बोले मेरठ : भागीदारी बढे, संरक्षित हों जैन स्मारक
Meerut News - जैन समाज, जो भारत में एक अल्पसंख्यक समुदाय है, ने अपनी समृद्ध पहचान बनाई है। उनकी सफलता का श्रेय उनके सिद्धांतों, मेहनत और नैतिकता को जाता है। हालांकि, जैन समाज सरकारी योजनाओं से वंचित है और राजनीतिक...
मेरठ। भारत देश, जहां विविधता ही इसकी असली पहचान है। इसमें जैन समाज ने भी अपनी अल्पसंख्यक स्थिति होने के बावजूद एक अनूठी और समृद्ध पहचान बनाई है। जैन धर्म, जो अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह और संयम के सिद्धांतों पर आधारित है, अपने अनुयायियों के जीवन में गहराई से रचा-बसा है। जिसकी कुल आबादी देश की जनसंख्या का एक बहुत छोटा हिस्सा है। वह सीमित संख्या और संसाधनों के बावजूद संघर्षरत रहा है। आज भी जैन समाज खुद को नए मुकान देने की जुगत में लगा है। उस अपने प्रतिनिधित्व के साथ सम्मान-सुरक्षा की दरकार है। जिला मेरठ, जहां जैन समाज की कुल आबादी 50 हजार के करीब है, लेकिन हर कोने में उनकी दस्तक देखने को मिल जाएगी।
मेरठ जिले की बात करें तो शहर में जैन नगर, थापर नगर, सदर बाजार, असोड़ा हाऊस और ग्रामीण देहात एरिया में सरधना, मवाना, हस्तिनापुर, जहां जैन समाज के लोगों की अच्छी खासी आबादी है। जहां भी व्यापारिक गतिविधियां होंगी वहां जैन समाज के लोग आपको नजर आ जाएंगे। देखा जाए तो कारोबारी दुनिया में जैन समाज का योगदान महत्वपूर्ण है। छोटे व्यापारों से लेकर बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों तक, जैन समुदाय ने अपने परिश्रम, ईमानदारी और नैतिक मूल्यों के बल पर सफलता की मिसाल कायम की है। 'व्यापार में धर्म' की भावना को जीते हुए, इस समाज ने धन अर्जन को मात्र भौतिक सुख का साधन न मानकर, उसे धर्म और सेवा का एक साधन बनाया है। शहरों की गलियों से लेकर देश-विदेश के बड़े-बड़े बाजारों तक, जैन समाज ने अपनी योग्यता का लोहा मनवाया है। चाहे हीरा उद्योग हो, कपड़ा व्यापार, शिक्षा क्षेत्र हो या स्वास्थ्य सेवाएं, जैन समुदाय के कार्यक्षेत्र की कोई सीमा नहीं रही। परिश्रम और नैतिकता के संगम से जैन समाज ने यह साबित कर दिया है, कि सफलता के लिए न संख्या मायने रखती है और न ही विशेष संसाधन, बल्कि संकल्प और सिद्धांत महत्वपूर्ण हैं। वहीं अगर देखा जाए तो जैन समाज को अल्पसंख्यक होने के साथ ही सरकारी नौकरी और अन्य जगहों पर व्यवस्था मिल जाए तो वे खुद और बेहतर साबित कर सकते हैं। ---------------------------------- धार्मिकता का अद्भुत उदाहरण है जैन समाज प्रमुख लोगों में अक्षय जैन, प्रदीप जैन, सुरेश जैन 'ऋतुराज' और विपिन जैन का कहना है, कि जैन समाज ने हमेशा धर्म को अपने जीवन का केंद्र बिंदु बनाए रखा है। अहिंसा के उच्चतम आदर्श को जीते हुए, यह समाज केवल अपने अनुयायियों के लिए ही नहीं, बल्कि समस्त मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत रहा है। जैन मंदिरों की भव्यता, तीर्थयात्राओं की निष्ठा, प्रवचनों की गूंज और त्यागमयी साधुओं-साध्वियों का तप, यह सब समाज की गहरी धार्मिक चेतना का प्रमाण है। जैन समाज भारतीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है और देश की आजादी में भागीदार रहा है। पहली लोकसभा में जैन समाज के 48 सदस्य हुआ करते थे, लेकिन आज ना के बराबर हैं, जो समाज के लिए बड़ी हानि है। -------------------------------- सामाजिक व्यवहार में झलकते सिद्धांत सुरेंद्र कुमार जैन, विनेश जैन, संयम जैन और अनिल जैन का कहना है कि पारसनाथ से लेकर श्रवणबेलगोला तक, पावापुरी से लेकर शत्रुंजय तक, जैन तीर्थ स्थलों की महिमा देश के कोने-कोने में फैली हुई है। मेरठ में हस्तिनापुर जैन धर्म का बड़ा तीर्थ स्थल है। जैन पर्व, विशेष रूप से पर्युषण और महावीर जयंती, संपूर्ण समाज में आत्मचिंतन और आत्मशुद्धि का संदेश देते हैं। उनके सिद्धांतों का प्रभाव केवल धार्मिक दायरे तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक व्यवहार में भी स्पष्ट झलकता है। लेकिन कई घटनाओं से समाज में असुरक्षा का भाव पैदा होने लगा है। धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर चिंता रहती है। जिनके लिए सरकार को कुछ करना चाहिए। --------------------------- हस्तिनापुर तीर्थ स्थल के रूप में हो विकसित जैन समाज के लोगों का कहना है कि मेरठ जिले में जैन समाज का बड़ा और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हस्तिनापुर है। जहां जैन समाज के बड़े मंदिर हैं और बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग यहां तीर्थ यात्रा के लिए आते हैं। इसको तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जाए, साथ ही यहां तक आने जाने के लिए रेल लाइन बिछाई जाए। इस बारे में सरकार को सोचना चाहिए, ताकि जैन समाज का यह धार्मिक स्थल अपनी पहचान बनाए रखे। वहीं इसके पास बस अड्डे पर बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए, पीने के पानी की व्यवस्था हो तो बात बने। ---------------------------------- सरकारी योजनाओं से वंचित समाज जैन समाज का कहना है कि यह विडंबना ही है कि अल्पसंख्यक श्रेणी में आने के बावजूद जैन समाज आज भी सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का अपेक्षित लाभ नहीं उठा पाया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्यमिता विकास आदि क्षेत्रों में सरकार द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं के बारे में जैन समाज में जागरूकता होने के बाद भी लाभ नहीं उठा पाते है। परिणामस्वरूप, उनकी प्रतिभा और मेहनत के बावजूद कई अवसर उनसे दूर रह जाते हैं। अगर सरकारी योजनाओं और नौकरियों में भी अपनी भागीदारी करने लगें तो बहुत आगे निकल सकते हैं। ------------------------------------------- राजनीति और आयोग में हो भागीदारी जैन समाज के लोगों का कहना है कि वह सबसे ज्यादा टैक्स देते हैं, करीब 24 फीसदी टैक्स हर साल उनके द्वारा सरकार के खाते में जाता है। इसके बावजूद उनकी राजनीति में कोई भागीदारी नहीं है। अल्पसंख्यक में आते हैं लेकिन अल्पसंख्यक आयोग में भी उनका कोई स्थान नहीं है। चाहते हैं कि सरकार में उनका प्रतिनिधित्व हो और आयोग में भी उनकी भागीदारी हो। साथ ही गैर शैक्षणिक शिक्षण संस्थानों का भी अल्पसंख्यक का दर्जा बना रहे। वहीं सरकारी सुविधाएं मिलनी चाहिएं और तीर्थों की सुरक्षा व्यवस्था की जाए। ---------------------------------------- सौ मीटर दायरे में ना हों मांस की दुकानें जैन समाज का कहना है कि दशलक्षण पर्व समाज के लिए बड़ा धार्मिक पर्व होता है। ऐसे में धार्मिक स्थलों के आसपास मीट-मांस की दुकानों को हटाया जाना चाहिए। जैन समाज के लोग सुबह मंदिरों में पूजा पाठ के लिए जाते हैं तो रास्तों में गंदगी और बदबू होती है। जिससे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जैन समाज के मुख्य पर्वों के दौरान तो इनको बंद रखा जाए। जैन समाज का तीरगरान में 350 साल पुराना मंदिर है, उसका जीर्णोद्धार होना चाहिए। सरकारी स्तर भी उसमें सहायता की जाए और सुरक्षा प्रबंध भी हों। ---------------------------------------- देश में कायम कर सकते हैं मिसाल जैन समाज के लोगों की मानें तो उनका कहना है कि अगर उन्हें भी योजनाओं का समुचित लाभ मिले, मार्गदर्शन और सहयोग का सही वातावरण मिले, तो यह समाज और अधिक प्रगति कर सकता है। जैन समाज की अंतर्निहित क्षमताएं इतनी विशाल हैं, कि वे न केवल अपने लिए बल्कि देश के विकास के लिए भी एक नई मिसाल कायम कर सकते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्यमिता के क्षेत्र में सरकारी सहायता से नए आयाम स्थापित किए जा सकते हैं। युवा पीढ़ी को इसके लिए प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे अधिकारों और अवसरों की जानकारी लें और उसका सदुपयोग करें। ------------------------------------ लगें तीर्थ स्थलों और महात्माओं की तस्वीरें समाज के लोगों का कहना है कि शहर में रैपिड और मेट्रो का काम चल रहा है, जल्द ही ट्रेनें ट्रैक पर दौड़ने लगेंगी, अगर स्टेशनों पर जैन समाज के तीर्थ स्थलों और उनके महात्माओं के फोटो लगेंगे तो समाज को बहुत अच्छा लगेगा। साथ ही समाज की एक पहचान भी होगी, कि मेरठ शहर में भी समाज की भागीदारी है, इससे समाज का मनोबल भी बढ़ेगा। समाज को सेवाओं के लिए जाना जाता है, ऐसे में समाज की सेवाओं को दर्शाया जाए, उनके धार्मिक स्थलों को पहचान मिले। -------------------------------- अधिकारों के प्रति सजग हो समाज समाज के लोगों का कहना है कि जैन समाज महावीर स्वामी के सिद्धांतों पर चलते हुए, आत्मविश्वास और विवेक से बहुत आगे जा सकता है। जैन समाज का इतिहास त्याग, तपस्या और संघर्ष का इतिहास है। सीमित संख्या में होने के बावजूद उन्होंने अपने सिद्धांतों को कभी नहीं छोड़ा और दुनिया के समक्ष एक चमकता हुआ आदर्श प्रस्तुत किया। आज आवश्यकता है कि इस समाज के लोग अपने अधिकारों के प्रति सजग बनें और उपलब्ध अवसरों का पूरा उपयोग करें, ताकि आने वाली पीढ़ियां एक और भी उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकें। ------------------------------------------ समस्या - अल्पसंख्यक होने के बाद भी सरकारी नौकरी में संख्या कम है - राजनीतिक प्रतिनिधित्व में भी लोगों की भागीदारी ना के बराबर - सरकारी योजनाओं का नहीं ले पाते लाभ, नहीं मिलती जानकारी - जैन मंदिरों के तोड़े जाने की घटना से समाज में असुरक्षा का भाव - हस्तिनापुर में जैन समाज के तीर्थ स्थल को पहचान की दरकार सुझाव - अल्पसंख्यक के अनुसार सरकारी नौकरी में मिले जगह - राजनीतिक प्रतिनिधित्व में बढ़े लोगों की भागीदारी - सरकारी योजनाओं का मिले लाभ तो बने समाज की बात - जैन मंदिरों की बढ़ाई जाए सुरक्षा, आसपास पुलिस करे गश्त - हस्तिनापुर में जैन समाज के तीर्थ स्थल को मिले पहचान -------------------------------- पूरा समाज भारतीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है, देश की आजादी में भी बड़ा सहयोग रहा है, यही नहीं पहली लोकसभा में भी सदस्यों की संख्या अच्छी थी, लेकिन धीरे-धीरे प्रतिनिधित्व कम हो रहा है। - अक्षय जैन देशभर में जैन समाज के बड़े मंदिर और तीर्थ स्थल हैं, आजकल होने वाली घटनाओं के कारण समाज में असुरक्षा का भाव पैदा हो रहा है, इसके लिए मंदिरों व धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के इंतजाम हों। - प्रदीप जैन मेरठ में हस्तिनापुर जैन समाज के लोगों का बड़ा तीर्थ स्थल है, जिसको तीर्थ स्थल के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए और बड़े स्तर पर उसको विकसित किया जाए, इसमें सरकार सहयोग करे। - विपिन जैन जैन समाज के कुछ चेहरे राजनीति में भी होने चाहिएं, ताकि वे समाज का प्रतिनिधित्व कर सकें, भले ही जीतकर ना जाएं, लेकिन उनको मनोनीत करके प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाना चाहिए। - विनय जैन राजनीति में नेतृत्व के साथ ही समाज के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए, साथ ही तीर्थ स्थलों का संरक्षण किया जाना चाहिए, जैन समाज के लिए उनकी संस्कृति ज्यादा महत्व रखती है। - सुरेश जैन जैन समाज के लोग सबसे ज्यादा टैक्स देते हैं, ऐसे में उनको टैक्स और अन्य संसाधनों में राहत मिलनी चाहिए, साथ ही हमारे शैक्षणिक संस्थानों का अल्पसंख्यक का दर्जा बना रहना चाहिए। - सुरेंद्र कुमार जैन अल्पसंख्यक आयोग में जैन समाज का प्रतिनिधि होना चाहिए, ताकि वो समाज की समस्याओं और उनके समाधान पर बात रख सके, समाज को होने वाली दिक्कतों का समाधान कर सके। - विनेश जैन जैन समाज के पर्वों पर सुरक्षा व्यवस्था का पूर्ण इंतजाम होना चाहिए, साथ ही जहां भी मंदिरों के आसपास मांस की दुकानें हैं उनको हटाया जाए, सौ मीटर के दायरे में कोई मांस की दुकान ना हो। - संयम जैन जैन समाज अल्पसंख्यक होने के बाद भी लोगों को वो सुविधाएं नहीं मिल पातीं हैं जो मिलनी चाहिएं, भले ही समाज सक्षम है, लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ उनके पास तक तो पहुंचे। - अनिल जैन जैन समाज के लोग सबसे ज्यादा धार्मिक स्थलों का विचरण करते हैं, घूमने जाते हैं, उनके लिए सरकार सुरक्षा संबंधी समस्याओं का हल करे, मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए जाने चाहिएं। - शिल्की जैन जैन मंदिरों के आसपास पुलिस सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि समाज की महिलाओं को असुरक्षा का भाव ना हो, दशलक्षण पर्व सहित अन्य पर्वों पर पुलिस की सुरक्षा बढ़ा दी जानी चाहिए। - अलका जैन हमारे मंदिरों के संरक्षण के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की जाए, जहां मंदिरों के साथ अप्रिय घटनाएं सामने आई हैं, उनका संरक्षण किया जाए, समाज के लोगों को प्रतिनिधित्व भी मिले। - रितु जैन सरकारी विभागों में भी समाज के लोगों को आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए, अल्पसंख्यक होने के बाद भी उन्हें सरकारी व्यवस्थाओं का लाभ नहीं मिल पाता है, व्यवस्था बने तो बेहतर हो। - आकाश जैन हस्तिनापुर में बस स्टैंड के पास बैठने के लिए कोई टीन शेड या अन्य व्यवस्था होनी चाहिए, लोग खड़े रहते हैं और बस का इंतजार करते हैं, वहीं पीने के पानी तक की व्यवस्था वहां नहीं है। - विनोद जैन हस्तिनापुर को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, वहां तक रेल लाइन बिछे और अलग पहचान मिले, वहां पहुंचने वाले लोगों के लिए सुविधाएं हों, सुरक्षा व्यवस्था भी सही हो। - रमेशचंद जैन -----------------------------------
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