बोले मेरठ : शहर के बीच में बसी लिसाड़ी की सुविधाएं आज भी बिल्कुल गांव जैसी
Meerut News - मेरठ के लिसाड़ी गांव में 35 साल बाद भी विकास की कोई कमी नहीं हुई है। गंदगी और जलभराव से परेशान लोग, सरकार से विकास की उम्मीद कर रहे हैं। यहां की सड़कें गंदगी में डूबी हैं और जल निकासी की व्यवस्था नहीं...

मेरठ शहर के नगर निगम क्षेत्र में शामिल लिसाड़ी गांव आज भी उसी जगह खड़ा नजर आता है, जहां इसे 35 साल पहले निगम की सीमाओं में जोड़ा गया था। उस समय लोगों ने विकास का एक सपना देखा था, कि गांव में अब शहर जैसी सुविधाएं मिलेंगी। गलियां साफ होंगी, सड़कें मजबूत होंगी, और बुनियादी सुविधाएं हर घर तक पहुंचेंगी। लेकिन तीन दशक बीत जाने के बाद भी लिसाड़ी गांव की तस्वीर में बदहाली नजर आती है। अब यहां के लोग बदहाली की इस तस्वीर को बदलना चाहते हैं। मेरठ शहर में 1989 के दौरान नगर निगम के चुनाव हुए तो लिसाड़ी गांव भी इसका हिस्सा बना।
आज इस गांव में लगभग 10 हजार की आबादी रहती है। एक हजार से ज्यादा घर और मकान इस गांव की पहचान हैं, लेकिन अफसोस कि यह पहचान सिर्फ आंकड़ों तक ही सीमित है। ज़मीनी सच्चाई ये है, कि यहां सड़कें गंदगी में डूबी हैं, सीवर की व्यवस्था है नहीं, साथ ही पूरे इलाके में जल निकासी का कोई ठोस इंतजाम भी नहीं है। यहां बिन बरसात ही सड़कों पर जलभराव रहता है, वहीं अगर बारिश हो जाए। हिन्दुस्तान बोले मेरठ की टीम ने इस इलाके में रहने वाले लोगों से संवाद करके उनका दर्द जाना। जहां लोगों का कहना है कि सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के मौसम में झेलनी पड़ती है, जब गलियों में गंदा पानी भर जाता है और लोग घर से निकल भी नहीं पाते। बच्चों को स्कूल जाने के लिए उसी गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है। वहीं माता का मंदिर जो आस्था का केंद्र होना चाहिए, वो अब गंदगी से घिरा हुआ है। अब यहां के लोग अश्वासन नहीं बल्कि गांव का उद्धार चाहते हैं। सड़क पर बहती गंदगी की नदी लिसाड़ी के लोगों का कहना है, कि यह पूरा इलाका नगर निगम वार्ड आठ का हिस्सा है, लोग निगम को टैक्स भरते हैं, इसके बाद भी आजतक यहां विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ। इस गांव से निकलने वाली मुख्य सड़क की हालत दिखाते हुए कहते हैं, कि लिसाड़ी की सड़कों का हाल ये है, कि इस पर पैदल भी नहीं चल सकते। यहां बिना बरसात के पानी भरा रहता है। पूरे इलाके में गंदे पानी की निकासी नहीं होने के कारण, यह सड़क नाले में तब्दील हो जाती है। जलभराव के कारण पता नहीं चलता कि सड़क के किनारे नालियां भी हैं। गलियों के अंदर से भी गंदा पानी टुल्लू पंप के जरिए निकाला जाता है, जो आगे ना जाकर सड़क पर ही भरता है। इस इलाके में सबसे पहले गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था सुधारी जाए। गंदगी से होकर जाना पड़ता है मंदिर लोगों का कहना है कि इसी रास्ते पर आगे माता का मंदिर है, वहां पूजा करने के लिए श्रद्धालुओं को इस गंदगी से गुजरना पड़ता है। माता के मंदिर तक जाने वाला यह पूरा मार्ग इतना गंदा है, कि पूजा करने वाले श्रद्धालुओं को नाक पर रुमाल रखकर जाना पड़ता है। बरसात के दिनों में हालात और भी बदतर हो जाते हैं, गंदा पानी मंदिर के अंदर तक भर जाता है। बारिश में जलभराव के कारण मंदिर की बाउंड्री भी गिर गई थी। जिसे फिर से सही कराया गया, जिससे लोगों की आस्था को ठेस पहुंच रही है। कई बार ऐसे हालात हो जाते हैं, कि महिलाएं और बुजुर्ग फिसलकर गिर जाते हैं। आस्था के इस रास्ते का किसी तरह उद्धार हो जाए तो लोग नरक वाली जिंदगी से बाहर आ जाएं। स्कूल जाने के लिए जद्दोजहद लोगों का कहना है कि इसी रास्ते पर सरकारी स्कूल और एक कॉलेज भी है, वहीं यह रास्तो आगे श्मशान तक भी जाता है। यहीं से कई कॉलोनियों के लिए रास्ता निकलता है, लेकिन गंदगी के कारण लोगों को जूझना पड़ता है। गांव और आसपास के इलाके से छोटे बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है। क्योंकि सरकारी स्कूल इसी रास्ते पर बना हुआ है। हालात ये हैं कि बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ती है। कुछ बच्चे तो कई बार फिसलकर भी गिर जाते हैं। इस रास्ते का उद्धार हो जाए तो गांव सही हो जाए। श्मशान तक पहुंचना पड़ता है भारी लोगों का कहना है कि श्मशान घाट तक यही रास्ता जाता है। शव लेकर जाने वाले लोग कई बार फिसल कर कीचड़ में गिर चुके हैं। एक ओर अंतिम यात्रा की गरिमा होनी चाहिए, और दूसरी ओर गंदगी की वजह से अपमानजनक स्थिति झेलनी पड़ती है। इस बारे में अधिकारियों और नेताओं को लिखित में ज्ञापन दे चुके हैं, बस हर बार आश्वासन ही मिलता है। आज काम शुरू हो जाएगा, कल हो जाएगा, लेकिन आजतक वह कल नहीं आया। पहले इस इलाके के गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था बने और साथ ही सड़क का निर्माण हो ताकि गंदगी और जलभराव से मुक्ति मिले। टूटी नालियां, गुम हो चुकी पाइप लाइन लोगों ने बताया कि 2007 में यहां पानी की पाइपलाइन डाली गई थी, लेकिन आज तक यह स्पष्ट नहीं है, कि वह पाइपलाइन किसके लिए डाली गई थी। न उसमें कभी पानी आया, न ही कभी उसका पता चला कि वह पाइपलाइन कहां गई। यह पानी की पाइपलाइन भी शायद नेताओं के वादों की तरह मिट्टी में ही दफन हो गई। इस गांव की 11 गलियों में से 9 गलियां आज भी नरक बनी पड़ी हैं। गंदगी और गंदे पानी की वजह से लोग परेशान रहते हैं। इलाके में शायद ही आजतक नालियों की सफाई हुई हो। सड़क पर जलभराव के कारण संक्रमण का खतरा लोगों का कहना है कि गंदा पानी घरों के सामने भर जाता है, पूरी सड़क पर गंदा पानी भरा रहता है। अगर बरसात हो जाए तो फिर जीना मुश्किल हो जाता है। इस गंदे पानी में मच्छर पनपते हैं और बीमारियों का खतरा मंडराता है। लोग संक्रमण के शिकार होने लगते हैं, मलेरिया और अन्य बीमारियां यहां जन्म ले लेती हैं। इलाके में साफ-सफाई की बड़ी समस्या है, कूड़ा खाली जगहों पर पड़ा रहता है। गलियों और सड़क पर गंदा पानी भरा रहता है, जो बीमारी का सबसे बड़ा कारण बन रहा है। शिकायतें, दौरे और आश्वासन, मगर काम जीरो यहां के लोग बताते हैं, कि पिछले तीन साल से अधिक समय से शिकायतों का अंबार लग चुका है। नेता दौरे पर आए, अधिकारियों ने निरीक्षण किया, सबने आश्वासन दिया कि बहुत जल्द काम शुरू होगा। लेकिन आजतक कुछ नहीं हुआ, जबकि सरकार के एक बड़े नेता इसी इलाके में रहते हैं। इस रास्ते की मरम्मत के लिए गांव के लोग ट्रैक्टर ट्रॉली भरकर कई बार डीएम, नगरायुक्त और कमिश्नर के यहां जा चुके हैं, इसके बावजूद रास्ते के हालात नहीं सुधर रहे। लगे हैंडपंप और सोलर लाइट लोगों का कहना है कि पूरे गांव में हैंडपंप नहीं है, और सरकारी पानी की पाइप लाइन का पता नहीं है। लोगों ने घरों में सबमर्सिबल लगवा रखे हैं, अगर बिजली भाग जाए तो लोगों को पानी तक भी नसीब नहीं होता। वहीं खंभों पर कहीं स्ट्रीट लाइटें हैं और कहीं नहीं हैं। जिससे कई बार अंधेरा रहता है। वहीं लोगों का कहना है कि गांव में हाईमास्क लाइट लगाई जाए, ताकि रास्तों पर अंधेरा ना रहे और यहां मौजूद अंबेडकर भवन में उजाला रहे। समस्या - गांव के मुख्य रास्ते पर गंदा पानी भरा रहता है - पूरे इलाके में कहीं भी निकासी की व्यवस्था नहीं है - मंदिर, श्मशान और स्कूल के रास्ते पर जलभराव है - लिसाड़ी क्षेत्र में कहीं भी सफाई की व्यवस्था नहीं है - इलाके में कहीं पर भी हैंडपंप नहीं लगा हुआ है - सरकारी पानी की पाइप लाइन का कुछ पता नहीं सुझाव - लिसाड़ी के मुख्य रास्ते पर भरे गंदे पानी का समाधान हो - निकासी की व्यवस्था के लिए नालियों का निर्माण हो - मंदिर, श्मशान और स्कूल के रास्ते पर जलभराव खत्म हो - इस क्षेत्र में साफ-सफाई की व्यवस्था सुचारू की जाए - इलाके में हैंडपंप लगाए जाएं ताकि पीने का पानी मिले - टैक्स लेते हैं तो सरकारी पानी की व्यवस्था की जाए बयां किया दर्द लिसाड़ी का मुख्य रास्ता है, इस पर आदमी चल भी नहीं सकता, हमेशा गंदा पानी भरा रहता है, जिसका समाधान नहीं हो रहा। - राजेश कुमार इस रास्ते पर मंदिर है, श्मशान है और स्कूल भी मौजूद है, दूसरी कॉलोनी के लोग भी निकलते हैं, इसका सुधार नहीं हो रहा। - बिरजू नालियां पूरी तरह भरी पड़ी हैं, जिनका गंदा पानी सड़क पर ही भरता है, लोगों ने गंदा पानी निकालने के टुल्लू पंप लगा रखे हैं। - राजा गांव तो नगर निगम में आ गया, लेकिन आजतक यह शहर नहीं बना, हालात दिनो दिन बिगड़ रहे हैं, सड़क पर गंदगी रहती है। - अजय लिसाड़ी पूरे गांव में यही सड़के सबसे ज्यादा नरक बनी पड़ी है, यहां से निकलना बहुत मुश्किल होता है, कोई इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा। - मुंशी सिंह सड़क पर जलभराव को लेकर अधिकारियों व नेताओं को लगातार शिकायत पत्र दिए गए, अश्वासन ही मिलता है, काम नहीं हो रहा। - राहुल सिंह इस रास्ते से श्मशान और मंदिर के लिए लोग जाते हैं, कई बार शव के साथ लोग फिसलकर गिर जाते हैं, समाधान जरूरी है। - राहुल वर्मा पता नहीं इस नरक से कब लोगों को छुटकारा मिलेगा, बड़े-बड़े नेता यहां आ चुके हैं, लेकिन यह रास्ता ही नहीं बनकर दे रहा है। - मनोज कुमार पानी की निकासी की व्यवस्था की जानी चाहिए, इससे पूरे गांव को राहत मिल जाएगी, नालियां बनें और निकासी सही हो जाए। - सुरेंद्र कुमार गांव की हालत बहुत खराब है, लोगों के घरों का पानी सड़कों पर बहता है, कहीं भी इलाके की निकासी की व्यवस्था नहीं है। - मोहम्मद रमजान आए दिन लोग गंदे पानी में गिरकर घायल हो जाते हैं, स्कूल के बच्चे भी गंदे पानी में गिर जाते हैं, जलभराव से छुटकारा मिले। - भगवान दास बरसात में यह इलाका जलभराव से परेशान रहता है, लोग इस रास्ते निकल भी नहीं पाते हैं, किसी तरह इसका निर्माण हो जाए। - सुमित कुमार लोगों ने गलियों में नालियों के गंदे पानी के निकालने के लिए टुल्लू पंप लगा रखे हैं, निकासी कहीं है नहीं, सड़क पर भरता है। - दिनेश कुमार इलाके में हैंडपंप लगे तो लोगों को पीने के पानी की सहूलियत हो, कई बार बिजली जाने पर सबमर्सिबल नहीं चलते, दिक्कत होती है। - सोनू कुमार इस नरक से राहत मिल जाए बस, यह रास्ता बन जाए और नालियां बन जाएं, मच्छर इतने हैं, कि लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। - अनीता गंदे पानी में मच्छर पैदा हो गए हैं, कीड़े मकौड़े भी पैदा हो रहे हैं, कोई देखने वाला नहीं है, इस रास्ते का सुधार हो जाए। - शकुंतला देवी
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।