Meerut Residents Struggle with Monkeys Stray Dogs and Poor Sanitation बोले मेरठ : बंदरों और कुत्तों से छुटकारा चाहता है वैदवाड़ा, Meerut Hindi News - Hindustan
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बोले मेरठ : बंदरों और कुत्तों से छुटकारा चाहता है वैदवाड़ा

Meerut News - मेरठ के वैदवाड़ा इलाके में लोग बंदरों, आवारा कुत्तों और गंदगी की समस्या से परेशान हैं। यहां की संकरी गलियों में चलना मुश्किल हो गया है, जिससे बच्चे और महिलाएं बाहर निकलने से डरते हैं। नगर निगम की...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठFri, 13 June 2025 06:57 PM
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बोले मेरठ : बंदरों और कुत्तों से छुटकारा चाहता है वैदवाड़ा

मेरठ का वह हिस्सा जो शहर के हृदय में धड़कता सदियों पुराना मोहल्ला है। बुढ़ाना गेट के पास मौजूद वैदवाड़ा, स्वामी पाड़ा, नत्थू पांडे की गली और सब्जी मंडी की संकरी गलियां पुराने दिनों की गवाही देती नजर आती हैं। आज भी यहां सदियों पुरानी झरोखों से सजी, लगभग दो सौ बरस पुरानी दीवारें हैं। इन्हीं पुराने मोहल्लों से होकर लाला का बाजार और सर्राफा तक रास्ता जाता है। लेकिन इन रास्तों पर बंदरों, कुत्तों और आवारा पशुओं के कारण लोगों का निकलना कठिन हो जाता है, गंदगी और बदबू के कारण रास्ते चलने लायक नहीं रहते। यहां रहने वाले लोग अब इन समस्याओं से छुटकारा चाहते हैं।

कोतवाली क्षेत्र का पुराना इलाका, वैदवाड़ा, स्वामी पाड़ा या कहो सदियों पुराना शहर, जहां कभी अच्छी खासी सब्जी मंडी लगती थी, लेकिन यहां अब सब्जी मंडी तो घट गई, लेकिन बंदर, कुत्ते, आवारा पशु और गंदगी का अंबार रहता है। हिन्दुस्तान बोले मेरठ टीम इस इलाके के लोगों की समस्याओं को जानने के लिए उनसे संवाद करने पहुंची। बुढ़ाना गेट के पास से इस पुराने इलाके में प्रवेश करते हैं। गली में अंदर जाते हैं, तो रास्ते संकरी होते चले जाते हैं। आगे वैदवाड़ा इलाके में सब्जी मंडी क्षेत्र के अंदर पहुंचते ही वहां तारों पर झूलते बंदर गुर्राते हुए नजर आते हैं। साथ ही सड़क पर गोबर, गाय, कुत्ते और बंदरों की भरमार दिखती है। नगर निगम के वार्ड 78 में पड़ने वाला यह क्षेत्र कई समस्याओं से जूझ रहा है। जहां दो हजार से अधिक जनसंख्या रहती है, जो इस क्षेत्र में गंदगी, बंदर और आवारा पशुओं जैसी समस्याओं से निजात चाहते हैं। बंदरों की बढ़ती संख्य से बढ़ रहा डर वैदवाड़ा इलाके में रहने वाले लोगों का कहना है, कि यहां से लाला का बाजार और सर्राफा बाजार के लिए रास्ता जाता है। इस रास्ते पर मोहल्ले के लोगों का चलना दूभर हो जाता है, जब बंदर गुर्राते हैं। बाहर से आने वाले लोगों पर बंदर कब हमला बोल देते हैं पता नहीं चलता। हमारे इस क्षेत्र में बंदरों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। पूरे दिन सड़क और छतों पर बंदर जमकर उत्पात मचाते हैं। बंदर मकानों की छतों और बालकनियों में कूदते हैं, कपड़े और सामान उठाकर ले जाते हैं। क्षेत्र के लोग, खासकर बच्चे और महिलाएं डर की वजह से बाहर ही नहीं निकलते हैं। अकेले जाने में लगता है डर वैदवाड़ा में रहने वाली निधि अग्रवाल और अलका रस्तोगी का कहना है, इस रास्ते पर अकेले निकलना मुश्किल हो जाता है। बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते और बड़े बुजुर्ग अकेले निकलने से डरते हैं। बाहर निकलो तो बंदरों का झुंड टूट पड़ता है। आप खाने पीने का सामान लेकर भी नहीं चल सकते। यहां से निकलने वाले लोगों के सामान बंदर लेकर भाग जाते हैं। कई बार तो बंदर हमला बोल देते हैं और दो पहिया वाहन या पैदल चलने वाले लोग चोट खा जाते हैं। नगर निगम वाले भी कुछ नहीं करते। इन बंदरों के आतंक से छुटकारा मिल जाए तो चैन की सांस मिले। सीसीटीवी कैमरे तक उखाड़ देते हैं लोगों का कहना है, कि इस इलाके में अगर लोग अपनी सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगवा लेते हैं तो बंदर उनको भी नहीं छोड़ते। बड़ी मुश्किल से एकआध कैमरा ही बचा हुआ है। छतों पर सूखते कपड़े, बालकनियों में फूल पौधे, और घरों की रसोई तक को नुकसान पहुंचाते हैं। दिन में स्कूली बच्चे जब बस्ते लटकाए घर लौटते हैं, तो सबसे पहले निगाह ऊपर जाती है, कहीं कोई बंदर दीवार पर न बैठा हो। महिलाओं ने छत पर जाना छोड़ दिया और बुज़ुर्ग दरवाज़ा खोलने से पहले दो बार बाहर झांकते हैं। बंदरों के साथ सड़कों पर घूमते हैं कुत्ते और गाय इलाके के लोगों का कहना है कि सड़कों पर बंदरों के साथ दूसरा खतरा कुत्तों का है। दर्जनों कुत्ते गलियों में घूमते रहते हैं, जो लोगों को देखते ही उन पर झपट्टा मार देते हैं। आने-जाने वाले राहगीरों पर भौंकते हैं और कई बार तो लोगों को दौड़ा लेते हैं। जिससे लोग गिरकर चोटिल हो जाते हैं। कई बार नगर निगम को शिकायत भी दी गई, लेकिन ना तो बंदरों को पकड़ा जा रहा है और ना ही कुत्तों को। गली में जगह-जगह कुत्ते गंदगी करते रहते हैं, सफाई करने वाला कोई आता नहीं है। वहीं आवारा घूमती गायों से भी लोगों को बहुत परेशानी होती है। आवारा घूमते पशु जगह-जगह गोबर करते हैं और गदंगी फैलाते हैं। यही नहीं कई बार तो आने जाने वालों को टक्कर मार देते हैं। इलाके में सफाई व्यवस्था सुधरे नालियों और सड़क की हालत दिखाते हुए लोग कहते हैं कि यहां गंदगी का अंबार लगा रहता है। यह इलाका वार्ड 78 में आता है, लेकिन कोई सफाई कर्मचारी झाडू तक मारने नहीं आता। गंदगी सड़क किनारे पड़ी रहती है, जो कई दिनों तक नहीं उठती। यहां न तो कोई सरकारी सफाई कर्मचारी आता है और न ही नगर निगम की कूड़ा गाड़ी कभी कचरा लेने आती है। हमें मजबूर होकर निजी सफाईकर्मियों को पैसे देकर सफाई करवानी पड़ती है। यहां रहने वाले लोग नियमित रूप से टैक्स देते हैं, फिर भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। पूरे इलाके में जल निकासी नदारद लोगों का कहना है कि पूरे इलाके की नालियां महीनों से चोक पड़ी हैं। गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था एकदम बेकार है। सीवर हैं, लेकिन उनकी कनेक्टिवटी ही नहीं है, इसलिए लोगों के कनेक्शन भी सीवरों से नहीं है। इसके चलते लोगों के घरों का गंदा पानी नालियों में बहता है। जब बरसात होती है तो गलियों में जलभराव हो जाता है। लोग अपने ही खर्च पर नालियों की भी सफाई करवाते हैं। अगर नगर निगम वाले सुचारू रूप से नालियों की ही सफाई कर दें तो जलभराव और गंदगी जैसी समस्या से छुटकारा मिल जाए। रात में डराता है अंधेरा, नहीं जलती स्ट्रीट लाइटें लोगों का कहना है कि पूरे क्षेत्र में एक तो बंदर, कुत्ते, और आवारा पशुओं का डर बना रहता है, रात में स्ट्रीट लाइटें नहीं जलतीं। हालात ये है कि पूरे इलाके में गुप अंधेरा हो जाता है, लोग अपने घरों के आगे लाइटें जलाकर रखते हैं, जिससे उजाला रहता है। जिन खंभों पर स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं वहां व्यवस्था की जाए, ताकि रात में कोई अप्रिय घटना ना हो। साथ ही इलाके में सुरक्षा के लिए पुलिस गश्त करे। हादसों को दावत देते लटकते बिजली के तार वैदवाड़ा इलाके के लोगों का कहना है कि हमारे क्षेत्र में बिजली के तार बहुत नीचे और खुले में लटके हुए हैं। इनमें कई बार चिंगारी भी निकलती है, जिससे जान-माल का खतरा बना रहता है। बिजली के तारों के साथ फाइबर और अन्य वाई-फाई के तार भी लटके हुए हैं। बंदर इन पर गुलाटी मारते रहते हैं, नीचे से गुजरने वाले लोगों की टॉपी, चश्मे और यहां तक की मोबाइल भी छीनकर भाग जाते हैं। एक तरफ बिजली के तार खतरनाक हैं तो दूसरी तरफ आवारा पशु लोगों के लिए जान के दुश्मन बने हैं। समस्या - इलाके के लोग बंदरों के आतंक से परेशान रहते हैं - सड़कों पर आवारा कुत्ते और पशु लोगों को काटते हैं - इलाके में नियमित सफाई नहीं और कूड़ा नहीं उठता - ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह खराब है, निकासी नहीं है - बिजली के तार झूलते रहते हैं, हादसों को दावत दे रहे सुझाव - बंदरों के आतंक से लोगों को छुटकारा मिले - नगर निगम आवारा कुत्ते व पशुओं पर लगाम लगाए - पूरे इलाके में नियमित सफाई हो, कूड़ा रोज उठे - इलाके का ड्रेनेज सिस्टम सही किया जाना चाहिए - हादसे से बचाव को बिजली के तारों को सही किया जाए बयां किया दर्द पूरे दिन सड़कों पर बंदरों का आतंक रहता है, लोग घरों से निकलते हुए भी डरते हैं, अकेला तो कोई जाता ही नहीं है। - राजेश अग्रवाल इस पूरे इलाके में बंदर, कुत्ते और आवारा पशुओं की भरमार है, साफ-सफाई के लिए कोई सरकारी कर्मचारी नहीं आता। - प्रखर रस्तोगी इलाके की हालत बहुत खराब हुई पड़ी है, नालियां साफ नहीं होतीं, यहां कूड़ा भी सड़कों पर कई दिनों तक पड़ा रहता है। - प्रदीप सिंघल रात में इलाके में इतना अंधेरा हो जाता है कि लोग आत-जाते डरते हैं, क्योंकि बंदर और कुत्ते उन्हें दौड़ा लेते हैं। - गिरीश कुमार इलाके में खंभों पर स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं, तार झूल रहे हैं, कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, समाधान होना चाहिए। - अरुण रस्तोगी बंदरों का आतंक इतना ज्यादा है, कि लोग घरों के दरवाजे हमेशा बंद करके रखते हैं, बंदर बहुत ज्यादा नुकसान करते हैं। - दीपक गुप्ता मोहल्ले में सड़कों पर कुत्ते और बंदरों ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है, सड़क पर अकेले निकलना बहुत मुश्किल है। - विप्रेश अग्रवाल बंदरों, कुत्तों और आवारा पशुओं की समस्या इस इलाके में बहुत ज्यादा है, वहीं क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम भी बहुत खराब है। - गौरव नामदेव, पूर्व पार्षद सड़कें बहुत गंदी रहती है, इलाके में रोज सफाई हो तो लोगों को सुकून मिले, लेकिन यहां तो सफाई वाला कोई आता ही नहीं। - प्रज्ञान लोगों ने सुरक्षा को लेकर सीसीटीवी कैमरे लगाए थे, उनको भी बंदरों ने तोड़ दिया, इलाके में कई बार लूट के मामले हो चुके हैं। - संगम गुप्ता सड़क पर बंदर निकलने ही नहीं देते, स्कूल से बच्चे भी आते हैं, तो डर लगता है कहीं काट ना लें, एक आदमी साथ रहता है। - अलका रस्तोगी पूरे इलाके में बंदरों, कुत्तों और गायों ने परेशान कर रखा है, ऊपर से गंदगी इतनी रहती है कि सांस लेना भारी पड़ जाता है। - निधि अग्रवाल इलाके में साफ-सफाई हो और कुत्ते, बंदर और अवारा पशुओं की व्यवस्था हो, ताकि लोग बिना डरे खुलकर आ-जा सके। - विशाल रस्तोगी

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