बोले मेरठ : बस नाम का है सुंदर नगर, हाल बद से बदतर
Meerut News - मेरठ के सुंदर नगर में पिछले 20 वर्षों से विकास नहीं हुआ है। यहाँ की जनसंख्या 3500 के करीब पहुँच गई है, लेकिन न तो सड़कें बनी हैं, न ही सीवर और जल निकासी की व्यवस्था। बारिश में गलियाँ तालाब बन जाती...
मेरठ। मेरठ शहर के कंकरखेड़ा क्षेत्र में बसा सुंदर नगर, नाम भले ही ‘सुंदर हो, लेकिन यहां की जमीनी हकीकत इससे एकदम उलट है। बीते बीस वर्षों से भी अधिक समय हो गया इस बस्ती को बसे हुए और अब तो इसकी जनसंख्या भी साढ़े तीन हजार के करीब पहुंच गई है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि यहां विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ। नगर निगम टैक्स वसूली का काम तो करता है, लेकिन यहां का उद्धार नहीं करता। लोगों की दरकार है, कि इस इलाके का भी विकास हो। आज के समय में जहां चारों ओर विकास की बयार बह रही है, वहीं सुंदर नगर वक्त के साथ अपनी बदहाली पर आंसू बहाता नजर आता है।
यहां मकान बनते गए, लोग नगर निगम का टैक्स भरते गए, लेकिन न तो यहां सड़क बनी, न सीवर लाइन की व्यवस्था हुई और न ही बिजली व पानी की बुनियादी सुविधाएं सुधर सकीं। इस बस्ती में शायद ही कोई गली हो जिसे देखकर लगे कि यह किसी नगर निगम के अधीन आती है। वार्ड 21 में पड़ने वाले सुंदर नगर में 20-25 साल पहले बसापत शुरू हुई थी। धीरे-धीरे मकान बनते गए, जनसंख्या 3500 के लगभग पहुंच गई, लेकिन हालात आज भी बदतर हैं। हिन्दुस्तान बोले मेरठ टीम ने इस इलाके की दुर्दशा को लेकर यहां के लोगों से संवाद कर उनका दर्द जानने का प्रयास किया। जो अपनी बदहाली आंसू बहा रहे हैं और इससे उबरना चाहते हैं। बारिश में गलियां बन जाती हैं तालाब सुंदर नगर के लोगों का कहना है, कि कई बार गलियों में घरों से निकलना भी कठिन हो जाता है। बारिश होती है, तो यहां की हर गली तालाब में तब्दील हो जाती है। कीचड़, गंदा पानी और जगह-जगह गड्ढे—इन्हीं सब से होकर गुजरना पड़ता है। न तो नालियों की सफाई होती है, न ही कूड़ा समय से उठाया जाता है। कई-कई दिन तक नालियों से निकला कचरा सड़क किनारे सड़ता रहता है, और बाद में वही गंदगी वापस नालियों में लौट जाती है। शिकायत के बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं होता। ना सीवर, ना नालियां, कैसे हो निकासी क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यहां की गलियों में सीवर लाइन ही नहीं डाली है। वहीं इलाके में नालियां नहीं बनाई गई हैं। लोगों के घरों का पानी या तो सड़कों पर भरता है या फिर खाली प्लॉट में जाता है। वहीं इलाके की मुख्य सड़क आंबेडकर रोड के किनारे बना नाला चोक होने के कारण ज्यादा दिक्कतें होती हैं। उस नाले पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है, जिससे नाला पूरी तरह चोक हो चुका है। जहां नालियां हैं उनका पानी भी नाले से पार नहीं पाता। गंदा पानी खुले में बहता है और बरसात आते ही मच्छर, कीड़े और यहां तक कि सांप भी गलियों में निकल आते हैं। सरकारी और सबमर्सिबल का पानी बेकार सुंदर नगर की महिलाएं कहती हैं कि घरों में पीने का पानी ही नहीं आता। पिछले दस दिन से ज्यादा हो गए सरकारी पानी नहीं आ रहा है। अगर आता भी है तो वह पीने लायक नहीं होता। लोगों ने सबमर्सिबल लगवा रखे हैं, लेकिन अब उनमें भी पानी ठीक नहीं आ रहा है। पानी भरकर रख दो तो कुछ ही देर में पीला पड़ जाता है। जिससे लोगों को पीने का सही पानी नहीं मिल पा रहा है, इससे लोगों के पेट में भी दिक्कतें बढ़ गई हैं। बहुत सारे लोग तो आए दिन डॉक्टरों के पास जाते रहते हैं। पीने के पानी की व्यवस्था सुधरनी चाहिए। अंधेरे में डूब जाता है सुंदर नगर सुंदर नगर के लोगों का कहना है कि इस इलाके में सड़कें तो हैं ही नहीं, साथ ही स्ट्रीट लाइट की भी व्यवस्था खराब है। रात के समय यह पूरा इलाका अंधेरे में डूबा रहता है। महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। कहीं बिजली के खंभे हैं तो उन पर लाइटें नहीं लगीं, और जहां लाइटें लगी हैं, वे खराब पड़ी हैं। गलियों में खंभे तक भी नहीं हैं, ऐसे में लोगों को बिजली के कनेक्शन बहुत दूर से ले जाने पड़ रहे हैं। जिससे कई बार दुर्घटना की संभावना रहती है। इलाके में सड़क बने और खंभें लगने के साथ स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था हो। गंदगी और झाड़ियों में पनपते हैं कीड़े-मकोड़े लोगों का कहना है कि यहां खाली पड़ी जगहों पर झाड़ी उग आई हैं। इन झाड़ियों की सफाई नहीं होने पर इनमें सांप, बिच्छू और कीड़े-मकोड़ों का बसेरा है। बच्चे खेलते हैं, तो अनहोनी का डर लगा रहता, कहीं कोई कीड़ा बच्चों को ना काट ले। साफ-सफाई के अभाव यहां गंदगी का अंबार रहता है। यहां साफ-सफाई के किसी को फोन करो तो वह आता ही नहीं। हालात ये हैं कि लोगों को खुद ही सफाई का जिम्मा उठाना पड़ता है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है, कि लोग किस हालत में जीते होंगे। कोई सुनता नहीं, किसे करें शिकायत पूर्व सभासद राजेश खन्ना का कहना है, इलाके में सफाई की व्यवस्था एकदम खराब है। सुपरवाइजर को अगर फोन करो तो वह उठाता ही नहीं है। गंदगी इकट्ठा होती रहती है, नालियों की गंदगी निकाल भी दी जाए तो वह काफी दिनों तक नहीं उठती। वापस फिर नाली में चली जाती है। शहर के 90 में से 17 वार्डों की जिम्मेदारी नगर निगम की है। जिसका डिपो कंकरखेड़ा में बना हुआ है। यहां कर्मचारी गाड़ी लेकर निकलते हैं और सफाई या कूड़ा उठाने के बजाय जाकर मार्शल पिच पर खड़े हो जाते हैं। ताकि यह लगे कि कर्मचारी मैदान में हैं, और एक बजते ही डिपो पहुंच जाते हैं। अगर कर्मचारी कम भी हैं, तो इलाके की साफ-सफाई भी जरूरी है, उसको व्यवस्थित किया जाए। सुंदर नगर के लोगों की उम्मीदें सुंदर नगर के लोगों का कहना है, कि वे लगातार इलाके के विकास को लेकर प्रतिनिधियों के समक्ष शिकायत दर्ज कराते रहते हैं। जल्द गलियों में चलने लायक सड़कें बन जाएं, गलियों में इंटरलॉकिंग टाइल्स लगें, नालियां बन जाएं, हो सका तो सीवर लाइन भी डल जाए। साथ ही सड़कों के किनारे खंभे लगाए जाएं, ताकि बिजली के तार घरों तक पहुंचें। साथ ही खंभों पर स्ट्रीट लाइटें लगें, ताकि अंधेरे से निजात मिल सके। उधर पार्षद बबीता खन्ना का कहना है, कि इस इलाके को लेकर प्रस्ताव बनाकर दे रखे हैं, कुछ जगह तो काम चल रहा है, उम्मीद है, कि एक दिन सुंदर नगर की हालत भी सुधरेगी। समस्या - सुंदर नगर क्षेत्र में गलियों के अंदर सड़कें नहीं बनी हैं - मुख्य सड़क से गलियां तीन-तीन फीट नीचे हो गई हैं - गली मोहल्ले में बरसात के दिनों में जलभराव होता है - नालियां साफ नहीं होतीं, सड़कों के किनारे गंदगी रहती है - बिजली के खंभे नहीं, खंभे हैं तो उन पर स्ट्रीट लाइटें नहीं ---- सुझाव - गलियों में भराव कराकर उनको ऊंचा किया जाए - यहां सभी गलियों के अंदर सड़कें बनाई जाएं - जल निकासी के लिए नालियां और सीवर बनें - नालियों की सफाई सुचारू हो, गंदगी उठाई जाए - बिजली के खंभे लगें और उन पर स्ट्रीट लाइटें भीं लोगों का कहना है यहां गली में चलने लायक सड़क ही नहीं हैं, गड्ढे हुए पड़े हैं, बरसात में तो और भी बुरा हाल हो जाता है। - सुनीता देवी गलियों में ना सड़क बनी, ना ही सीवर लाइन डली। यहां पीने का पानी भी लोगों के घरों में नहीं आ रहा है। - राजेश देवी बारिश होते ही यहां की गलियों में घुटनों तक पानी भर जाता है, कई दिनों तक लोगों को कीचड़ से जाना पड़ता है। - ओमकारी इस पूरे इलाके में गंदे पानी की निकासी नहीं है, कहीं तो नाली ही नहीं बनीं, यहां के लोग बहुत परेशान रहते हैं। - बीना देवी कई जगह तो गली में बिजली के खंभे नहीं लगे हैं, बहुत दूर से लोग अपने घरों में बिजली कनेक्शन कराते हैं। - मुनेश देवी सड़कों पर स्ट्रीट लाइटों के बिना अंधेरा रहता है, कई बार महिलाओं और बच्चों को काफी दिक्कतें भी होती हैं। - परमेश बाला पूरे इलाके में साफ-सफाई की बड़ी समस्या है, नालियां गंदगी से भरी रहती हैं, पूरे इलाके में झाड़झूंड हो गए हैं। - मनोरमा जब बरसात होती है तो सांप और कीड़े मकौड़े इलाके में घूमते नजर आते हैं, लोगों का निकलना मुश्किल होता है। - सीमा देवी कई दिनों तक नालियों से निकला कूड़ा ही नहीं उठता, जो वापस नालियों में भर जाता है, सफाई व्यवस्था सुधरे। - बाला देवी इलाके में साफ-सफाई, जलभराव और गंदगी की बड़ी समस्या रहती है। कोई सफाई कर्मचारी यहां आता ही नहीं है। - रामकरण सिंह बस यहां पहले गलियों में सड़क बन जाएं, तो लोगों को चलने लायक रास्ते मिल जाएं, बहुत परेशानी होती है। - अंकित कुमार स खंभों पर स्ट्रीट लाइटें नहीं जलतीं, कई जगहों पर खंभे ही नहीं हैं, रात में अंधेरा हो जाता है, बच्चे डरते हैं। - अमित कुमार पूरे इलाके में सफाई की व्यवस्था बहुत खराब है, कई बार शिकायत की जा चुकी, इसके बावजूद कोई सुनने को तैयार नहीं है, सुंदर नगर के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजे गए हैं, जिसकी व्यवस्था जल्द सुधरेगी। - बबीता खन्ना, पार्षद, वार्ड 21 पहले क्षेत्र में सफाई कर्मियों की जांच पड़ताल होती थी, अब कोई उनको देखने वाला ही नहीं है, सुपरवाइजर को कॉल करो तो वह फोन नहीं उठाता। नगर निगम की जगह इसका नाम नरक निगम रख दिया जाए। - राजेश खन्ना, पूर्व पार्षद
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