भगवान बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि आज, सैकड़ों लोग देंगे श्रद्धांजलि
भगवान बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि खूंटी जिले में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई जाएगी। उलिहातू, जहाँ उनका जन्म और कर्मभूमि है, में बड़ी संख्या में लोग जुटेंगे। प्रशासनिक अधिकारी, राजनीतिक दल और...

खूंटी, संवाददाता। आदिवासी समाज के महानायक और स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत भगवान बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि सोमवार को खूंटी जिले सहित पूरे देश में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई जाएगी। इस ऐतिहासिक अवसर पर खूंटी जिले के उलिहातू, जो बिरसा मुंडा की जन्म और कर्मभूमि है, में बड़ी संख्या में लोग जुटेंगे। राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, आदिवासी समुदाय, धार्मिक संस्थाओं और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भगवान बिरसा को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। पुण्यतिथि से एक दिन पूर्व रविवार को उलिहातू गांव के ग्रामीणों ने बिरसा ओड़ा की सफाई कर वातावरण को पवित्र बनाया। भगवान बिरसा मुंडा के वंशज सुखराम मुंडा ने जानकारी दी कि सोमवार को पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पाहन (ग्राम पुजारी) द्वारा पूजा-अर्चना की जाएगी।
उलिहातू स्थित बिरसा ओड़ा एवं बिरसा कॉम्प्लेक्स के साथ-साथ खूंटी के डोम्बारीबुरु, बिरसा पार्क, बिरसा कॉलेज, और सेनिटेशन पार्क में स्थित भगवान बिरसा की प्रतिमाओं पर भी माल्यार्पण किया जाएगा। पुण्यतिथि के दिन खूंटी की उपायुक्त आर. रॉनिटा, पुलिस अधीक्षक मनीष टोप्पो, आईडीडीए के परियोजना निदेशक आलोक शिकारी कच्छप और एसडीएम दीपेश कुमारी सहित कई प्रशासनिक अधिकारी श्रद्धांजलि देने के लिए उलिहातू पहुंचेंगे। विकास की घोषणाएं, पर उलिहातू आज भी बुनियादी सुविधाओं से दूर: उलिहातू न केवल भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली है, बल्कि यह देश भर के आदिवासी समाज के लिए आस्था और गौरव का केंद्र है। अब तक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, मुख्यमंत्री समेत कई उच्चस्तरीय नेताओं ने यहां दौरा किया है और विकास की बड़ी-बड़ी घोषणाएं की हैं। लेकिन हकीकत यह है कि आज भी उलिहातू के लोग जलसंकट से जूझ रहे हैं। सोयको थाना के पास एक जलमीनार बनाकर जलापूर्ति योजना शुरू की गई थी, लेकिन उससे केवल बड़े कार्यक्रमों के दिन ही पानी मिलता है। बाकी समय ग्रामीण कुएं और डाड़ी (जलस्रोत) पर निर्भर रहते हैं। पक्का आवास और टूरिज्म सर्किट योजना अधर में: केंद्र सरकार ने उलिहातू में हर ग्रामीण को पक्का आवास देने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक अधिकांश ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिला। इसी तरह भगवान बिरसा से जुड़े स्थलों उलिहातू, डोम्बारीबुरु और चलकद को जोड़कर एक टूरिज्म सर्किट विकसित करने की योजना बनी थी, जिसका उद्देश्य इन क्षेत्रों का सांस्कृतिक और आर्थिक विकास करना था। लेकिन यह योजना अब तक शुरू भी नहीं हो पाई है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।