बोले मेरठ : इंडस्ट्रियल एरिया में समस्याओं का अंबार, जलभराव में 'डूबा' कारोबार
Meerut News - मेरठ का शताब्दी नगर सेक्टर तीन औद्योगिक क्षेत्र आर्थिक विकास का केंद्र है, जहां 150 से अधिक फैक्ट्रियां कार्यरत हैं। यहां की खराब सड़कें, गंदगी और टूटी हुई सुविधाएं व्यापारियों की चिंताओं का कारण बन...
मेरठ। किसी भी देश की रीढ़ उसकी अर्थव्यवस्था होती है, और अर्थव्यवस्था की धड़कनें उन फैक्ट्रियों में बसती हैं, जहां दिन-रात मेहनतकश लोग अपने पसीने से उत्पादन की कहानी लिखते हैं। बात कर रहे हैं, शताब्दी नगर सेक्टर तीन इंडस्ट्रियल एरिया की। यहां देश का बड़ा उत्पादन सांसें लेता है, लेकिन इस क्षेत्र का दम घुटता नजर आ रहा है। यहां 150 से अधिक फैक्ट्रियां हैं, जिनमें तैयार हुआ माल देश ही नहीं, विदेशों तक जाता है। मेरठ शहर के परतापुर क्षेत्र में बसा शताब्दी नगर सेक्टर तीन इंडस्ट्रियल एरिया एक ऐसा क्षेत्र है जहां 150 से अधिक फैक्ट्रियां दिन-रात चलती हैं।
केमिकल प्लांट्स, वाहन पार्ट्स की यूनिट्स, स्पोर्ट्स गुड्स का निर्माण, जिप बनाने वाली फैक्ट्रियां, यह सब मिलकर देश की औद्योगिक शक्ति को मजबूती देती हैं। यहां बना माल देश ही नहीं, विदेशों तक पहुंचता है। दो हजार से अधिक श्रमिक हर दिन यहां पसीना बहाते हैं। मशीनों की आवाज़, श्रमिकों की मेहनत और उद्योगों की हलचल इस क्षेत्र को जीवंत बनाए हुए हैं। लेकिन यहां का नज़ारा किसी उपेक्षित बस्ती की तस्वीर पेश करता है। टूटी-फूटी सड़कें, जगह-जगह गोबर और कचरे के ढेर, चोक हो चुके सीवर और बरसों से साफ न हुईं नालियां, यह सब एक एप्रूव्ड इंडस्ट्रियल एरिया की छवि को धूमिल करते हैं। कुछ दिन पहले यहां कुछ जर्जर खंभे नजर आते थे, जो हाल में आई आंधी में ध्वस्त हो गए। हिंदुस्तान बोले मेरठ की टीम इस इंडस्ट्रियल एरिया की खैरखबर लेने पहुंची। यहां कोई बदलाव नजर नहीं आया, बल्कि हालात पहले से बदतर नजर आए। यहां व्यापारी अश्वनी मिश्रा, बाबूराम, राम मणि तिवारी और शताब्दी नगर इंडस्ट्रियल ओनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप गर्ग बताते हैं कि इस क्षेत्र को वर्ष 2000 में मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) द्वारा विकसित किया गया था। 24 वर्षों बाद भी इस क्षेत्र को नगर निगम के हवाले नहीं किया गया है। नगर निगम हाउस टैक्स तो वसूलता है, लेकिन न तो सड़कों की मरम्मत होती है, न ही सफाई की व्यवस्था है। यह विडंबना ही है कि एक तरफ ‘मेक इन इंडिया और ‘लोकल से ग्लोबल की बातें की जाती हैं, वहीं दूसरी ओर, ऐसे औद्योगिक क्षेत्रों की हालत देखकर लगता है, कि जमीनी स्तर पर विकास महज़ एक दावा बनकर रह गया है। क्षेत्र में विकास की राह ताक रहे व्यापारी व्यापारी उमेश सिंघल का कहना है कि शताब्दी नगर सेक्टर तीन के इस उद्योग क्षेत्र की कहानी सिर्फ एक इलाके की नहीं है, बल्कि कई और इलाकों की भी है, जहां विकास के नाम पर कुछ नहीं है। क्षेत्र की पीड़ा मानों उस उद्योगपति की पीड़ा है, जो देश को निर्यात में आगे ले जाना चाहता है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में जूझ रहा है। यह इंडस्ट्रियल एरिया आर्थिक विकास की रीढ़ है। खंभे हो गए जमींदोज शताब्दीनगर इंडस्ट्रियल एरिया सेक्टर तीन में रोज समस्याओं से जूझते व्यापारी जयवीर सिंह बैसला, राम प्रकाश मिश्रा और शिवम शर्मा का कहना है कि इस क्षेत्र में 25 साल पुराने जर्जर खंभे थे। हाल ही में आई आंधी उन्हें ले उड़ी। गनीमत रही कि बड़ा हादसा नहीं हुआ। यहां आज भी रात में अंधेरा लोगों को डराता है। स्ट्रीट लाइटें वर्षों से जली ही नहीं हैं। रात में यह इलाका भयावह लगता है, जिसका समाधान होना चाहिए। बरसात में इंडस्ट्री एरिया बन जाएगा तालाब व्यापारियों का कहना है कि पूरे इंडस्ट्री एरिया की हालत आने वाले समय में बदतर होने वाली है। चोक नाले और नालियों का गंदा पानी क्षेत्र में भरने लगा है। बरसात शुरू होने पर दिक्कतें और भी बढ़ जाएंगी। इसके पहले ही अगर समाधान नहीं किया गया, तो पूरा क्षेत्र तालाब बन जाएगा। साथ ही फैक्ट्रियों में काम करने वालों के लिए संक्रमण की समस्या भी बढ़ जाएगी। सुझाव पूरे इंडस्ट्री क्षेत्र की सड़कों की मरम्मत कराई जाए नालियों की सफाई और पुनर्निर्माण कराया जाना जरूरी है बंद पड़ी सीवर लाइनों की निकासी सुचारू हो, टूटे ढक्कन दूसरे लगें जहां जर्जर खंभे टूटकर गिर चुके हैं, उनकी जगह नए खंभे लगें इलाके में गंदगी की सुचारू रूप से सफाई हो, नाले की दीवारें बनें शिकायतें पूरे इंडस्ट्री एरिया में सभी सड़कें जजर्र हो चुकी हैं नालियां नजर नहीं आतीं, जहां हैं गंदगी से अटी हैं सीवर की लाइनें चोक हैं, ढक्कन टूटे हैं सालों पहले लगे खंभों में कुछ गलकर गिर चुके है स्ट्रीट लाइटें जलती नहीं हैं, कई जगह खंभों पर हैं नहीं इन्होंने कहा यहां की समस्याओं के बारे में शिकायत की जा चुकी है। रोज सैकड़ों लोग काम पर आते हैं। सीवरों के ढक्कन आजतक नहीं बदले गए हैं। - संदीप गर्ग अध्यक्ष पूरे इलाके में बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। एमडीए एप्रूव्ड होने के बाद हालात एकदम दयनीय हो चुके हैं। -सौरभ बंसल, उपाध्यक्ष सड़कें बनें, नालियों और सीवर की व्यवस्था में सुधार हो, निकासी की व्यवस्था ठीक होगी तभी एरिया में कुछ बेहतर हो पाएगा। - एसपी मिश्रा, महामंत्री जर्जर हो चुके खंभे आंधी में नीचे गिर गए। गनीमत रही कि कोई हादसा नहीं हुआ, जबकि पहले ही इनके बारे में बताया जा चुका था। -राम प्रकाश मिश्रा नाले और नालियों का गंदा पानी अब क्षेत्र में भरने लगा है, जो खाली प्लॉट्स में इकट्ठा हो रहा है, जिससे फैक्ट्रियों की नींव कमजोर हो रही है। -शिवम शर्मा पूरे इलाके में खंभों पर लाइटिंग की व्यवस्था कहीं भी नहीं है। रात होते ही इलाके में अंधेरा हो जाता है, जिससे डर का माहौल पैदा होता है। -राम मणि तिवारी बिजली विभाग भी सुध नहीं लेता। जब से एरिया जोन में बंटा है तब से कभी भी कट लग जाता है। मशीनें चलते-चलते रुक जाती हैं। -सरित अग्रवाल चोक नाले और नालियों का गंदा पानी क्षेत्र में भरने लगा है। वहीं कुछ दिन बाद बरसात शुरू होने पर दिक्कतें और भी बढ़ जाएंगी। -जयवीर सिंह बैसला जलभराव के कारण फैक्ट्रियों में काम करने वालों के लिए संक्रमण की समस्या बढ़ जाएगी। फैक्ट्रियों की नींव में पानी भरने लगा है। -अश्विनी मिश्रा पूरे इंडस्ट्री क्षेत्र की हालत दयनीय हो चुकी है, सड़कों जर्जर हो चुकी हैं। जिन पर चलना भी मुश्किल होता है। इनकी मरम्मत जरूरी है। -बाबूराम बरसात में तो पूरे एरिया की हालत खराब हो जाएगी। नाला सड़कों तक भर जाता है। पता ही नहीं चलता कि यहां सड़क भी बनी हुई है। -अमित मिश्रा खाली प्लॉट में नालियों का गंदा पानी भरा हुआ है। फैक्ट्रियों की नींव कमजोर हो रही है। पूरे क्षेत्र में गंदे पानी की निकासी जरूरी है। -डॉ. अमित भारद्वाज
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