Merath Village Jainpur Struggles with Basic Amenities Since 1990 बोले मेरठ : निगम वसूल रहा टैक्स, सुविधाओं का पता नहीं, Meerut Hindi News - Hindustan
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बोले मेरठ : निगम वसूल रहा टैक्स, सुविधाओं का पता नहीं

Meerut News - मेरठ का जैनपुर गांव 1990 से नगर निगम में शामिल है, लेकिन आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। गांववासी पानी, सड़कें, सीवर लाइन, और साफ-सफाई की समस्याओं से जूझ रहे हैं। नगर निगम और एमडीए के बीच का विवाद...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठSun, 8 June 2025 05:04 PM
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बोले मेरठ : निगम वसूल रहा टैक्स, सुविधाओं का पता नहीं

मेरठ। जैनपुर गांव वर्ष 1990 में नगर निगम में किया गया था शामिल। आज भी गांव की स्थिति वैसे की वैसी है। गांववासी पानी, सड़कें, सीवर लाइन, निकासी की व्यवस्था, टूटी नालियां, साफ-सफाई की व्यवस्था, स्ट्रीट लाइटें आदि समस्याओं से आज भी परेशान हैं। लोगों को आशा थी कि नगर निगम इन सभी समस्याओं का समाधान कर उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। मूलभूत सुविधाओं का अभाव यहां के निवासियों का दर्द बढ़ाता नजर आता है। साल 1990 में जब गांव जैनपुर को नगर निगम की सीमा में शामिल किया गया, तब गांववालों में उम्मीदों की किरण जगी थी। उन्हें लगा था कि अब शहर के समान इस गांव का भी विकास होगा, बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी, और उनका गांव भी तरक्की करेगा।

लेकिन समय के साथ-साथ यह उम्मीदें धीरे-धीरे दम तोड़ती गईं। करीब पंद्रह साल बीत चुके हैं, जबसे इस गांव की बागडोर नगर निगम के हाथों में आई, लेकिन विकास की रफ्तार यहां अब भी ठहरी हुई है। करीब 2,500 की आबादी वाला यह गांव, जैनपुर उर्फ नंगला शेरखा, शहर का हिस्सा होकर खुद को बदल नहीं पाया। इस गांव में 1,400 से अधिक वोट डाले जाते हैं, लेकिन यह क्षेत्र आज भी चुनावी वादों की पूर्ति से कोसों दूर है। हिन्दुस्तान बोले मेरठ ने इस गांव के लोगों से संवाद किया तो उनका दर्द सामने आया। यहां के लोग कहते हैं, कि नगर निगम खाली प्लॉटों पर भी हाउस टैक्स वसूल रहा है, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। आज भी गांव के लोग नगर निगम और एमडीए के बीच विकास के लिए जूझ रहे हैं। संकरी होती पुलिया पर हादसों का डर बिजली बंबा बाइपास से जैनपुर गांव में घुसते ही सबसे पहले बंबे पर बनी पुलिया ही डराती नजर आती है। जो धीरे-धीरे संकरी होती जा रही है, जिसके कारण आए दिन बंबे में वाहन फिसलकर गिरते रहते हैं। गांव के लोगों का कहना है, कि इस गांव में आने के लिए पहले तो सड़क पर जाम से जद्दोजहद करनी पड़ती है, इसके बाद पुलिया से बंबे में गिरने का डर बना रहता है। शाम के समय गांव में आने के लिए लोगों को सड़क पार करने में काफी देर इंतजार करना पड़ता है। पुलिया को ठीक किया जाए और उसके दोनों ओर सपोर्ट बनाई जाए, ताकि बंबे में वाहन गिरने से बच जाएं। जर्जर सड़कों पर गहरे हो रहे गड्ढे गांव के अंदर प्रवेश करने के बाद सड़क भी खराब होती जाती है। जर्जर सड़क पर गड्ढे नजर आने लगते हैं। यहां के लोग बताते हैं कि जब यह गांव नगर निगम में आया था तभी इसकी सड़क बनी थी, वो भी एमडीए ने बनवाई थी। इसके बाद से आज तक सड़क ही नहीं बनी है। पहली बार चुनाव हुए थे, तो राम मेहर सिंह यहां से पार्षद चुने गए थे। अब तक कई पार्षद आए और गए, लेकिन विकास आज भी वहीं खड़ा है, जहां बहुत साल पहले था। इस गांव से कई इलाकों का कनेक्शन है, और उनको जोड़ने वाली सभी सड़कें एकदम खराब हो चुकी हैं। जिनका निर्माण होना गांव के विकास के लिए जरूरी है। नालियां जाम, गंदगी की भरमार गांव की गलियों में बहती नालियां वर्षों से सफाई की बाट जोह रही हैं। चोक नालियों में गंदगी अटी पड़ी है, निकासी न होने के कारण बारिश के समय यही नालियां पूरे गांव के लिए मुसीबत बन जाती हैं। लोगों का कहना है, कि सालों पहले बनी नालियां टूट चुकी हैं, जिनको ठीक भी नहीं किया गया। नालियों की सफाई और निकासी की व्यवस्था एकदम खराब है। नगर निगम में होने के बावजूद आजतक सीवर लाइन नहीं डली। जिसके चलते नालियों में बहते पानी की निकासी का साधन झोड़ी के अलावा कुछ नहीं है। ऐसे में गंदगी सड़कों तक आ जाती है। पानी की लाइन गायब, सबमर्सिबल ही सहारा गांव के लोग कहते हैं कि इस गांव में पंद्रह साल पहले डाली गई पाइपलाइन का अब कोई अता-पता नहीं है। लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए सबमर्सिबल पर निर्भर हैं, और यदि बिजली ना हो, तो पूरे गांव को पानी की त्रासदी झेलनी पड़ती है। हाल ही की आंधी के बाद छह दिन तक गांव में अंधेरा पसरा रहा, न बिजली, न पानी मिला। लोगों को छह दिन तक जनरेटर लगवाकर पानी की व्यवस्था करनी पड़ी थी। पहले गांव में नल हुआ करते थे, इसके बाद लोगों ने सबमर्सिबल लगवा लिए, लेकिन आज तक सरकारी पानी घरों तक नहीं पहुंचा। खतरे की घंटी बनी पानी की टंकी गांव के लोगों का कहना है कि पास में ही शताब्दी नगर क्षेत्र में एमडीए द्वारा बनाई गईं पानी की कई टंकियां हैं। लेकिन इस गांव में ना तो नगर निगम से पानी पहुंचा और ना ही एमडीए की कुछ व्यवस्था है। गांव से लगी एक पानी की एक टंकी जो एमडीए ने बनवाई थी, उसकी छत ही क्षतिग्रस्त हो गई है। वह कब गिर जाएगी पता नहीं, जिससे गांव के लोगों को भी खतरा रहता है, क्योंकि उसके आसपास से लोग गुजरते हैं। जल्द ही इस टंकी को ठीक किया जाए, नहीं तो किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। बिजली की लचर व्यवस्था, ट्रांसफार्मर ओवरलोड लोगों का कहना है कि गांव में बिजली शताब्दी नगर कतई मिल से आने वाली 11 हजार की लाइन से आती है, जो अकसर फॉल्ट होकर टूट जाती है। गांव में ट्रांसफार्मर इतने कम लोड के हैं, कि गर्मी के दिनों में बिजली की दिक्कत रहती है। गांव में लोड के हिसाब से बिजली ट्रांसफार्मर की व्यवस्था की जाए, तो लोगों को राहत की सांस मिलेगी। साथ ही शताब्दी नगर से आने वाली हाईटेंशन लाइन जर्जर हो चुकी है, जिसके तार आए दिन टूटते रहते हैं, उनको बदला जाए। एक दूसरे पर जिम्मेदारी टालते विभाग लोगों का कहना है, कि जब भी गांव वाले अपनी समस्याओं को लेकर नगर निगम के पास जाते हैं, तो निगम कहता है, कि यह एमडीए का गांव है, उसने इसको गोद ले रखा है, और जब एमडीए के पास पहुंचते हैं तो वह इसे नगर निगम का हिस्सा बताकर पल्ला झाड़ लेता है। इस आपसी खींचतान में नुकसान सिर्फ गांववालों का हो रहा है। हालात ये हैं, कि गांव दोनों विभागों के बीच खुद को ठगा महसूस करते हैं। विकास के नाम पर दोनों विभाग एक दूसरे पर टालते रहते हैं। झोड़ का हो सौंदर्यीकरण, गांव में लगे प्रवेश द्वार गांव के लोगों का कहना है कि सारा गंदा पानी पास के झोड़ में जाकर गिरता है, जिसकी हालत इतनी खराब हो चुकी है, कि ना उसकी सफाई होती है और ना ही मरम्मत। बरसात के दिनों में यही झोड़ उफान पर आ जाता है और पानी गांव में भरने लगता है। गांव के लोग कहते हैं कि झोड़ की सफाई कराकर उसका सौंदर्यीकरण हो। गांव का द्वार बनाया जाए, जिससे यहां आने वाले लोगों को पता चले कि यह जैनपुर गांव है। स्कूल में झाड़ियां, सड़कों पर रहता है अंधेरा गांव के शुरुआत में ही सरकारी स्कूल है। स्कूल दुर्दशा का शिकार है। मैदान में झाड़ियां उग आई हैं और छुट्टियों के कारण स्कूल की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। गांव के लोगों का कहना है कि इस गांव की सड़कों पर आज भी स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं। खंभे हैं, लेकिन लाइटें गायब हैं, शाम ढलते ही गांव अंधेरे में डूब जाता है। मुख्य सड़क पर ही स्ट्रीट लाइटें न होने के कारण दिक्कतें होती हैं, एक तो टूटी सड़क ऊपर से अंधेरा, आए दिन लोग चोटिल होते हैं। समस्या - नगर निगम के गांव में सरकारी पानी की व्यवस्था नहीं - गांव की मुख्य व दूसरे इलाकों कनेक्ट करने वाली सड़कें जर्जर - पूरे गांव कहीं भी सीवर लाइन नहीं है, निकासी व्यवस्था खराब - सभी नालियां टूटी पड़ी हैं और साफ-सफाई की व्यवस्था नदारद - खंभों पर स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं, रात में लोगों को दिक्कते होती हैं सुझाव - गांव में सरकारी पानी की व्यवस्था हो तो सबमर्सिबल कम हों - मुख्य और दूसरे इलाकों को कनेक्ट करने वाली सड़कें सही हों - गांव सीवर लाइन डाली जाए ताकि घरों की गंदगी से राहत मिले - सभी टूटी नालियों का निर्माण हो और साफ-सफाई सुचारू हो - सभी खंभों पर स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएं, रोशनी का प्रबंध हो इनका कहना है गांव में सारी सड़कें टूटी पड़ी हैं, जबकि यहां से बहुत सारे वाहन रोज गुजरते हैं, पूरी सड़क का दोबारा निर्माण होना चाहिए। - बिट्टू गांव नगर निगम में आता है, एक भी सुविधा शहर वाली नहीं है, ना सड़क है, ना ही गांव में नालियां ठीक बनी हुई हैं। - रमेशपाल गांव का झोड़ गंदे पानी से भर चुका है, गंदगी से अटा पड़ा है, जिसकी सफाई होनी चाहिए, सौंदर्यीकरण भी किया जाए। - कृष्णपाल एमडीए ने गांव में 2011 में सड़क बनाई थी, इसके बाद से आज तक सड़क नहीं बनी, पूरी सड़क का निर्माण होना चाहिए। - मनोज कुमार पूरे गांव में कोई सफाई वाला नहीं आता, कूड़ा लोगों को खुद ही उठाकर फेंकना पड़ता है, व्यवस्था सुचारू होनी चाहिए। - राजेंद्र बंबे पर बनी पुलिया का चौड़ीकरण होना चाहिए, दोनों ओर सपोर्ट भी बने, आए दिन लोग गिरकर चोटिल होते रहते हैं। - धर्मेंद्र कश्यप इस गांव से कई इलाकों का कनेक्शन है, यहां से होकर शताब्दी नगर और कई जगहों के लोग आते-जाते हैं, रास्ते बनें। - हर्षपाल गांव में दो रास्ते हैं, दोनों ही खराब हैं, इनसे गांव के लोग आते जाते हैं। गांव में मंदिरों के आसपास भी रास्तों की दिक्कत है। - करण कुमार कताई मिल से 11 हजार की लाइन गांव में आ रही है, सालों पुरानी लाइन है, आए दिन फाल्ट होते हैं, तार बदले जाने चाहिए। - तुषारपाल सड़क किनारे खंभों पर स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं, शाम ढलते ही गांव में अंधेरा हो जाता है, आने-जाने वालों को परेशानी होती है। - ओमकार प्रजापति गांव में सरकारी पानी की व्यवस्था नहीं है, पाइप लाइन काफी समय पहले डाली गई थी, जिसके बारे में यह भी नहीं पता कि है कहां। - सुल्तान सिंह समस्यओं को लेकर जब नगर निगम के पास जाते हैं, तो वह एमडीए के लिए कह देता है, एमडीए वाले नगर निगम पर टाल देते हैं। - टिंकू त्यागी 15 साल से गांव विकास की बाट देख रहा है, पता नहीं कब इसका उद्धार होगा, सड़कें और पानी की निकासी की समस्या ज्यादा है। - अंकुरपाल नालियां बनें, सड़क का निर्माण हो, बिजली की आपूर्ति की व्यवस्था सुचारू हो और गांव की पहचान को बाहर एक गेट लगाया जाए। - बाबूराम बोले पार्षद गांव की स्थिति काफी खराब है। लंबे समय से एमडीए और नगर निगम के चक्कर में इस गांव का विकास नहीं हो पा रहा है जबकि पूरा गांव नगर निगम में आता है। नगर निगम ही इसका विकास कराए। इसके लिए लिखित में दे चुके हैं, ताकि जल्दी गांव की व्यवस्था सुधरे। - भूपेंद्र सिंह, पार्षद

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