जीवन में विचार आवश्यक : संत अनिल जी
Mirzapur News - कछवा के बाड़ा पुर गांव में आयोजित वार्षिक संत समागम में संत अनिल ने परोपकार के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मनुष्य का जीवन दूसरों की सेवा के लिए है और हमें आत्म-चिंतन करना चाहिए। उदाहरण के...

कछवा,हिंदुस्तान संवाद । कछवा के बाड़ा पुर गांव में शनिवार की रात आयोजित वार्षिक संत समागम में मऊ के राधास्वामी मतावलंबी सद्गुरुदेव आश्रम से पधारे संत अनिल ने कहा कि मनुष्य जीवन उद्धार के लिए मिला है। जीवन में सर्वश्रेष्ठ कार्य परोपकार का होता है। हर मनुष्य को कुछ समय निकाल कर जीव सेवा में लगाना चाहिए। स्वयं के लिए तो पशु भी करता है, तो फिर पशु और मानव का अंतर जीवन में दिखना चाहिए। उदाहरण देते हुए बतायाकि बीज मिट्टी के अंदर अपने आप को समाप्त करता है। तब जाकर विशाल वट वृक्ष का रुप लेता है और फिर वही वट वृक्ष प्रत्येक जीव मात्र को सहारा देता है।
उन्होंने कहा कि वृक्ष अपने फल भी नहीं खाते, लेकिन ईश्वर की कृपा से निरंतर वृद्धि की ओर अग्रसर रहता है। इसका तात्पर्य है कि हमको भी विचार करने की आवश्यकता है कि हम कौन हैं । हमारा जन्म क्यों हुआ है। इसपर गंभीरता से विचार करते हुए नित्य भगवन्नाम का जप करते हुए परोपकार करते रहें। जीवन विचार की बड़ी उपयोगिता है। बिना बिचार किए कोई भी कार्य न करें । प्रवचन के पश्चात एक भंडारे का भी आयोजन किया गया। इस अवसर शिवशंकर सिंह, अजीत कुमार सिंह, नीरज सिंह, छोटू चौरसिया, नंदलाल मोदनवाल, महेंद्र चौरसिया, दीनानाथ सिंह, मुन्ना जयसवाल, रोशन सिंह, राजू सिंह आदि सैकड़ों भक्त उपस्थित रहे।
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