हाई-वे किनारे पेड़ लगवाने की बजाय ट्री गार्ड पर खर्च कर दी गई धनराशि
Mirzapur News - मिर्जापुर, संवाददाता मिर्जापुर-प्रयागराज मार्ग के चौड़ीकरण के लिए लगभग पांच हजार पेड़ों को कटवाया

मिर्जापुर, संवाददाता मिर्जापुर-प्रयागराज मार्ग के चौड़ीकरण के लिए लगभग पांच हजार पेड़ों को कटवाया गया था। इन पेड़ों के स्थान पर नया पेड़ लगवाने के लिए वन विभाग को कार्यदायी संस्था एनएचआई ने छह वर्ष पूर्व दो करोड़ रुपये इस शर्त के साथ दिया था कि वन विभाग इस पैसे से हाई-वे किनारे पेड़ लगवाएगा। वन विभाग पेड़ लगवाने की बजाय दो करोड़ रुपये का ट्री गार्ड खरीद लिया। वहीं मिर्जापुर-प्रयागराज मार्ग पर एक भी पेड़ नहीं लगाए गए। इससे राहगीर जहां तपती दोपहरी में छाव के लिए तरस जा रहे है। वहीं लगभग पांच हजार पेड़ों को कटवा दिए जाने से पर्यावरण असंतुलन की समस्या खड़ी हो गई है।
मिर्जापुर-प्रयागराज मार्ग के चौड़ीकरण के दौरान सड़क की दोनों पटरी पर स्थित लगभग पांच हजार पेड़ों को वन विभाग ने एनएचआई को इस शर्त के साथ कटवाने की अनुमति दी थी कि इतने पेड़ों को दोबारा लगवाने पर खर्च होने वाली धनराशि की भरपाई उसे करना होगा। एनएचआई ने पांच हजार पेड़ों के स्थान पर दस हजार पेड़ों को दोबारा हाई-वे किनारे लगवाने के लिए दो करोड़ रुपये वन विभाग को दे दिया। लगभग छह वर्ष बीत गए अभी तक मिर्जापुर-प्रयागराज मार्ग पर एक भी पेड़ नहीं लगवाए गए। स्थिति यह है कि जिला मुख्यालय से जिगना तक लगभग 40 किमी लंबे मार्ग पर सड़क के किनारे एक भी पेड़ अब नहीं है। गर्मी के दिनों में इस मार्ग से गुजरने वाले राहगीर छांव के लिए तरस जा रहे है। स्थिति यह है कि बड़ी संख्या में पेड़ों को काट लिए जाने से इलाके के तापमान में भी वृद्धि हो गई है। वहीं वन विभाग ने एनएचआई से पेड़ लगवाने के लिए मिले धनराशि का उपयोग पेड़ों की सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड खरीद लिया। वह ट्री गार्ड कहां लगवाया गया है। यह भी रहस्य बना हुआ है। डीएफओ अरविंद राज मिश्रा का कहना है कि पेड़ों की सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड खरीद कर विभिन्न स्थानों पर लगवा दिया गया है। वहीं दोबारा हाई-वे किनारे पेड़ लगवाने के मुद्दे पर कहाकि इस वर्ष कार्य योजना तैयार की गई है। आडिट में हुआ मामले का खुलासा मिर्जापुर। हाल ही में शासन से कराई गई आडिट में इस मामले का खुलासा हुआ। आडिट टीम के एक सदस्य ने वन विभाग के अफसरों की इस कार गुजारी को गलत बताया है। नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह बजट के प्राविधानों का खुला उलंघन है। फिलहाल यह रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाएगी। अब शासन ही इस मामले में कार्रवाई कर सकता है।
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