बोले मिर्जापुर: कभी लगता था ऐतिहासिक मोहल्ले में दरबार, अब दुश्वारियों की भरमार
Mirzapur News - शाही नाम के बावजूद विजयपुर कोठी मोहल्ले की रंगत में अब कहीं शाही निखार हीं शाही निखार

शाही नाम के बावजूद विजयपुर कोठी मोहल्ले की रंगत में अब कहीं शाही निखार नहीं दिखता। यहां के लोग कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। उन्हें बिजली,पानी जैसी समस्याएं लंबे समय से झेलनी पड़ रही हैं। न नाली की सफाई होती है और न बेहतर सड़क है। कूड़े का अंबार लगा है। यहां के लोग कहते हैं कि हमारी परेशानी कोई नई नहीं है। शिकायतों पर सुनवाई नहीं होती। जरूरत है बदलाव की कि कोई लहर उठे और मोहल्ले का नाम फिर से अपने ‘राजा जैसे रुतबे को हासिल कर सके। नगर के सिविल लाइन में गंगा तट पर स्थित विजयपुर कोठी मोहल्ला सुनने में जितना शाही लगता है, असल में आज उतना रह नहीं गया है।
यहां वह ऐतिहासिक हवेली है, जहां कभी कंतित नरेश राजा श्रीनिवास प्रसाद सिंह का दरबार लगता था। एक जमाने में यह कोठी राजा साहब का मुख्य निवास हुआ करती थी। दशकों पहले यहां दरबार सजते थे, राजसी ठाट-बाट की गूंज सुनाई देती थी। धीरे-धीरे यह क्षेत्र विजयपुर कोठी मोहल्ले के नाम से जाना जाने लगा। दीवानी कचहरी-कलक्ट्रेट से सटा यह इलाका प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र है, लेकिन पता नहीं क्यों अधिकारियों की नजरों से ओझल है। यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। कोठी में 'हिन्दुस्तान' से चर्चा में यहां के बाशिंदों ने समस्याएं बताईं। जवाहर सिंह ने कहा कि विजयपुर कोठी का नाम सुनते ही लगता है जैसे कोई आलीशान इलाका होगा, लेकिन ऐसा है नहीं। नेपाल सिंह ने कहा कि यहां कूड़े का अंबार है। जहां मन करता है, लोग वहां फेंक देते हैं। मना करो तो लड़ने पर उतारू हो जाते हैं। हमने अपने मकान की दीवार पर बोर्ड भी लगा रखा है कि यहां कूड़ा न फेकें। राजेश तिवारी ने कहा कि नगर पालिका को चाहिए कि ऐसे लोगों की निगरानी करे और जुर्माना के साथ कार्रवाई करे। नियमित डोर-टु-डोर कूड़ा उठान की व्यवस्था करे। लोगों को जागरूक करे कि खुले में कचरा न फेंकें, गंदगी न फैलाएं, तभी स्वच्छता अभियान सफल हो पाएगा। वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि जगह-जगह डंप कूड़े में कोठी का सौंदर्य दब चुका है। स्थानीय लोगों ने खुद कूड़ा ‘डंपिंग जोन बना दिया है। बार-बार मना करने के बावजूद लोग हमारे मकान के पास ही कूड़ा फेंकते हैं। समय पर सफाई कर्मचारी नहीं आते हैं। गंदगी से मच्छर, दुर्गंध और बीमारियां फैल रही हैं। बाहर निकले पड़े हैं सीवर के ढक्कन: कोठी में प्रवेश करना बड़ी चुनौती है। जगह-जगह गड्ढे, बीच में उठे सीवर चैंबर और टूटी सड़कें राहगीरों को परेशान करती हैं। धर्मराज सिंह ने कहा कि सड़क पर अनेक गड्ढे हैं। सीवर के ढक्कन बाहर निकले हैं। कई बार बच्चे और बुजुर्ग गिर चुके हैं, लेकिन प्रशासन सो रहा है। कहा कि बरसात हो या धूप हमेशा परेशानी का सबब बनी रहती है। बारिश में पानी भरता है तो सूखने पर कीचड़ और दुर्गंध झेलनी पड़ती है। दुर्गंध से जीना मुहाल: साफ-सफाई की स्थिति बहुत खराब है। कई जगह नालियां खुली हैं। श्यामलाल बिंद ने कहा कि नालियों का पानी कई जगह सड़क पर बहता है। इससे डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। गर्मियों में इतनी दुर्गंध होती है कि जीना मुश्किल हो जाता है। मच्छर का प्रकोप है। लोग मजबूरन नाक पर कपड़ा बांधकर बाहर निकलते हैं। बच्चे बजबजाते पानी से बीमार पड़ जाते हैं। नितिश पांडेय ने कहा कि नगर पालिका सफाई व्यवस्था दुरुस्त करे और दवा का छिड़काव करे, ताकि स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं से बचा जा सके। झेल रहे पेयजल की किल्लत: पूरे इलाके में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। एक भी सरकारी हैंडपंप नहीं है और जो हैं, वे जंग खा चुके हैं। लोगों को भी पानी खरीदकर लाना पड़ता है। गर्मियों में पानी की किल्लत बढ़ जाती है। नरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मोहल्ला अस्पताल, स्कूल और सरकारी दफ्तरों से भरा है, लेकिन यहां आने वाले लोग पानी के लिए तरसते हैं। क्या फायदा ऐसे विकास का? राशन की दुकान तक पहुंचना चुनौती: यहां चकबंदी विभाग का दफ्तर भी है, जहां रोजाना अधिकारी और कर्मचारी आते-जाते हैं। बावजूद इसके मोहल्ले की बदहाली किसी को नजर नहीं आती। टूटी सड़कें, जलभराव और गंदगी से लोग परेशान हैं। यहां सरकारी राशन की दुकान भी है, जहां हर महीने सैकड़ों लोग राशन लेने आते हैं, लेकिन वहां पहुंचना अपने आप में चुनौती है। जयप्रकाश ने कहा कि राशन लेने आए लोग पानी, कीचड़, गड्ढे और धूप में घंटों परेशान रहते हैं। ज्यादा दिक्कत बुजुर्गों, महिलाओं और दिव्यांगों को होती है। कहा कि सार्वजनिक स्थलों तक पहुंचने के रास्ते को दुरुस्त किया जाए, ताकि राहत मिल सके। प्रकाश व्यवस्था बदहाल: नारायणजी दुबे ने कहा कि यहां बिजली व्यवस्था बदहाल है। रात में मोहल्ला अंधेरे में डूब जाता है। स्ट्रीट लाइटें या बंद हैं या खराब पड़ी हैं। खतरनाक स्थिति बिजली के तारों की है जो जगह-जगह उलझे और लटके हैं। बरसात में ये जानलेवा हो जाते हैं। कई जगह नंगे तार झूलते हैं। राजाराम सिंह ने कहा बच्चों को बार-बार टोकना पड़ता है कि उधर मत जाना, वहां तार लटका है। मोहल्ले में डर का माहौल है। प्रस्तुति: कमलेश्वर शरण/गिरजाशंकर मिश्र अफसरों के आश्वासनों के बाद भी नहीं सुधरी स्थिति स्थानीय लोगों ने समस्याओं के समाधान के लिए कई बार जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन स्थिति सुधरी नहीं। न तो सफाई हुई, न बिजली और अन्य मूलभूत सुविधाएं मिल सकीं। लोगों का कहना है कि चुनाव से पहले नेता वादे करते हैं, लेकिन जीतने के बाद मुड़कर नहीं देखते। जवाहर सिंह ने कहा कि लगता है कि जब कोई बड़ा हादसा होगा, तभी इनकी नींद खुलेगी। लोग अब खुद अपने स्तर पर समाधान खोजने को मजबूर हैं। बजट आता है, पार्षद बदलते हैं, लेकिन यहां की हालत नहीं बदलती योजनाओं के लाभ से वंचित राजा विजयपुर कोठी की आबादी दो हजार से अधिक है, लेकिन यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। विष्णु पांडेय ने सवाल किया कि नियमित रूप से टैक्स देते हैं तो फिर सुविधाएं क्यों नहीं मिलतीं? न तो सफाई की व्यवस्था है, न ही जल निकासी की। बिजली और सड़क की स्थिति भी खराब है। कई बार आवेदन देने के बावजूद बुजुर्ग और विधवा पेंशन योजनाओं से वंचित हैं। राशन कार्ड, आवास और शौचालय जैसी योजनाओं में भी पारदर्शिता की कमी है। रमेश दुबे ने कहा कि कैंप लगाकर पात्र लोगों को योजनाओं का लाभ दिलवाया जाए। सिटी क्लब बना प्रचार मंच सिटी क्लब मैदान कहने को नपा का है, लेकिन यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव नजर आता है। मैदान का मुख्य गेट अंधेरे में डूबा रहता है क्योंकि प्रकाश की व्यवस्था नहीं की गई है। हैरानी की बात यह है कि इसी गेट पर नेताओं के बैनर और पोस्टर जरूर लगे रहते हैं, जो चुनावी वादों की याद तो दिलाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं। अमित टक्कर ने कहा कि बच्चों के खेलने और सामाजिक कार्यक्रमों के लिए यह मैदान एकमात्र विकल्प है, लेकिन साफ-सफाई, बैठने की व्यवस्था और प्रकाश जैसी जरूरतें पूरी नहीं की जातीं। सुझाव और शिकायतें 1. टूटी सड़कों को जल्द ठीक करें, गड्ढे भरें। सीवर चैंबर समतल किया जाए। सभी नालियों को ढंकवाया जाए और दवा छिड़काव हो। 2. नए हैंडपंप लगवाए जाएं। स्ट्रीट लाइटें ठीक की जाएं, जरूरत पड़ने पर संख्या बढ़ाएं। बिजली के तारों को शीघ्र भूमिगत किया जाए। 3. डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने की व्यवस्था हो। डंपिंग जोन हटाया जाए। कूड़ा खुले में फेंकने पर जुर्माना लगाएं। 4. नियमित सफाई अभियान चलाया जाना जरूरी है , ताकि यहां के निवासियों को गंदगी से निजात मिल सके। 5. सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार बढ़ाया जाना चाहिए। स्थानीय लोगों की शिकायतों के लिए एक शिकायत निवारण केंद्र भी बनाएं। 1. सड़कें टूटी पड़ी हैं, गड्ढे बन गए हैं, बुजुर्ग और बच्चे गिरते रहते हैं। प्रशासन कोई ध्यान नहीं देता, असुविधा बढ़ती जा रही है। 2. खुले नाले से दुर्गंध आती है। मच्छर पनप रहे हैं। डेंगू-मलेरिया का खतरा है। सफाई नहीं होती, लोग बीमार पड़ रहे हैं। 3. पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। सरकारी हैंडपंप जर्जर और खराब पड़े हैं। लोगों को पीने के लिए पानी खरीदना पड़ता है। 4. बिजली व्यवस्था खराब है, स्ट्रीट लाइटें बंद हैं। बिजली के तार उलझे हुए हैं। बरसात में स्थिति बहुत खतरनाक हो जाती है। 5. कूड़ा खुले में फेंका जाता है। नियमित सफाई नहीं होती है। दुर्गंध और मच्छरों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं।
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