नहीं दिला सके 1200 बच्चों को दाखिला
Moradabad News - आरटीई में दाखिले को लेकर स्कूलों की आनाकानी के बीच डीएम के अल्टीमेटम के बाद दाखिलों की गति बढ़ गई है। फिर भी, 1200 से अधिक बच्चों को दाखिला नहीं मिल सका है। अभिभावकों के कागजात में गड़बड़ी, वार्ड का...

आरटीई में दाखिले को लेकर स्कूलों की आनाकानी के बीच डीएम के अल्टीमेटम के बाद से दाखिलों की स्पीड काफी तेजी से बढ़ गई। हालांकि अभी भी 1200 से ज्यादा बच्चों को आरटीई के तहत दाखिला नहीं मिल सका। किसी के कागजात गड़बड़ होने व किसी को वार्ड का निवासी न बताकर विद्यालयों ने दाखिला लेने से हाथ खड़ा कर दिया। आरटीई के दाखिलों को न लेने की लगातार शिकायतों के बाद डीएम ने निजी स्कूलों के संचालकों व प्रधानाचार्यों पर शिकंजा कसा था। कुल 5712 आवंटित सीटों में से विद्यालयों ने 4446 बच्चों को दाखिला मिल चुका है, लेकिन अभी भी 1266 बच्चों को दाखिला नहीं मिल सका है।
इसके पीछे कारण कई बताए गए हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि कुल आवंटित सीटों में करीब 1200 बच्चों को दाखिला नहीं मिला है और करीब 100 से ज्यादा अभिभावक रोजाना बीएसए कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। बता दें कि कुछ दिन पहले बीएसए विमलेश कुमार ने जानकारी दी थी कि आरटीई के दाखिलों से कई बच्चे वंचित रह गए हैं। 661 अभिभावकों ने विद्यालय से संपर्क नहीं किया। इसके अलावा 87 अभिभावकों ने विद्यालय से संपर्क किया लेकिन दोबारा नहीं आए। 160 अभिभावक अन्य वार्ड, ग्राम पंचायत व पते में अंतर मिला, जिस कारण उन्हें दाखिला नहीं मिला। साथ ही 38 बच्चों को दाखिला जरूरी अभिलेख न देने के कारण नहीं मिल सका। 85 छात्र उसी विद्यालय में अध्ययनरत होने के कारण उन्हें आरटीई के तहत दाखिला नहीं दिया गया। एक अभिभावक को आय प्रमाण पत्र व सैलरी में अंतर मिलने के कारण उनके बच्चे को दाखिला नहीं दिया गया। इसके अलावा 169 ऐसे अभिभावक हैं, जिन्होंने आवंटित स्कूल में प्रवेश लेने से मना कर दिया। इतने कारणों के बावजूद अभी भी कई अभिभावक रोजाना शिकायती पत्र व दाखिला दिलाने के लिए लेटर लेकर आ रहे हैं, फिर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। -------------- अगर कोई विद्यालय दाखिला लेने से मना कर रहा है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। जांच के बाद से अगर अभिभावक के सभी कागज सही हैं तो विद्यालयों को दाखिला लेना ही पड़ेगा। विमलेश कुमार, बीएसए
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