अगर आपने लिया है होम लोन तो ऐसे बचाएं 8 लाख रुपये, RBI से पाएं ये तोहफा
जिन लोगों ने फ्लोटिंग दर (बदलती हुई ब्याज दर) पर होम लोन लिया है, उनके लिए ये खास खबर है। उनकी ईएमआई भी घट सकती है। पर यहां एक पेंच है।

आरबीआई की कटौती फ्लोटिंग रेट वाले होम लोन धारकों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है, खासकर ईबीएलआर वालों के लिए। एमसीएलआर वालों को थोड़ी मेहनत करके स्विच करना होगा। इस मेहनत के बदले आपको लाखों रुपये की बचत हो सकती है। तो, अगर आपका होम लोन है, तो जल्दी से अपने बैंक से बात करिए।
आरबीआई ने हाल ही में रेपो रेट (जिस दर पर बैंक आरबीआई से उधार लेते हैं) में आधा प्रतिशत की कटौती की है। अब ये 5.50% हो गया है। ये इस साल की तीसरी कटौती है। मतलब, पिछले कुछ महीनों में कुल 1% की गिरावट आई है। इसका सीधा मतलब है कर्ज सस्ता हुआ। चाहे वो घर खरीदने का लोन हो, गाड़ी खरीदने का या कोई और।
फ्लोटिंग रेट वालों का मौका
जिन लोगों ने फ्लोटिंग दर (बदलती हुई ब्याज दर) पर होम लोन लिया है, उनके लिए ये खास खबर है। उनकी ईएमआई भी घट सकती है। पर यहां एक पेंच है। ये राहत सिर्फ तभी मिलेगी जब आपका लोन ईबीएलआर (EBLR) नाम के मानक से जुड़ा हुआ है। अगर आपका लोन एमसीएलआर (MCLR) से जुड़ा है, तो आपको ये फायदा ऑटोमैटिक नहीं मिलेगा। आपको खुद कदम उठाना होगा।
क्यों है ये फर्क?
1. एमसीएलआर (MCLR - 2016 से चलन में): इसे इसलिए लाया गया था ताकि रेपो रेट घटने का फायदा आप तक पहुंचे। पर इसमें बैंकों के पास कुछ 'हाथ' रहता है। वे अपनी परिचालन लागत (बैंक चलाने का खर्चा) का हवाला देकर पूरा फायदा नहीं दे सकते। इसका नतीजा ये हैं कि रेपो घटने के बाद भी, आपकी ईएमआई में कटौती धीमी हो सकती है या पूरी नहीं हो सकती। पिछली दो कटौतियों में भी कई बैंकों ने ऐसा ही किया था।
2. ईबीएलआर (EBLR - 2019 से चलन में): आरबीआई ने इसे एमसीएलआर की कमियों को दूर करने के लिए लाया। ये सीधे-सीधे रेपो रेट से जुड़ा है। बैंकों की परिचालन लागत का इसमें कोई रोल नहीं।
सबसे बड़ा फायदा: रेपो रेट घटते ही, बैंक को तुरंत आपकी ब्याज दर घटानी पड़ती है। आपकी ईएमआई फटाफट कम हो जाती है।
अगर आपका लोन एमसीएलआर से जुड़ा है, क्या करें?
1. ईबीएलआर में स्विच करने पर विचार करें: अपने बैंक में जाकर या ऑनलाइन, ईबीएलआर में ट्रांसफर करने के लिए आवेदन करें। कहें, "मैं अपना होम लोन एमसीएलआर से ईबीएलआर में शिफ्ट करना चाहता हूं।"
2. कुछ शुल्क लग सकते हैं: बैंक इसके लिए थोड़ा चार्ज कर सकता है - जैसे ट्रांसफर फीस (लगभग 25,000-35,000 रुपये), प्रोसेसिंग फीस, या कानूनी शुल्क। पहले पूछ लें।
3. बैंक बदलने का विकल्प: अगर आपका बैंक ज्यादा शुल्क मांगे या सहयोग न करे, तो दूसरे बैंक में अपना लोन ट्रांसफर करवाने (बैलेंस ट्रांसफर) पर भी गौर करें। हो सकता है दूसरा बैंक बेहतर ईबीएलआर रेट दे।
कितनी बचत हो सकती है?
मान लीजिए राजू ने 2022 में 60 लाख रुपये का लोन लिया था तब ब्याज दर = 8.5%, किस्त = ₹52,069 (20 साल के लिए)
अब (अगर वो कुछ न करे और लोन एमसीएलआर पर रहे): उसकी ईएमआई लगभग वही रहेगी। पूरे 20 साल में वो करीब 64.96 लाख रुपये सिर्फ ब्याज चुकाएगा। कुल भुगतान होगा लगभग 1 करोड़ 25 लाख रुपये।
अब (अगर वो ईबीएलआर में स्विच करता है): ब्याज दर घटकर 7.5% हो जाएगी। ईएमआई घटकर ₹48,336 रह जाएगी। बाकी बचे सालों में वो सिर्फ 55.87 लाख रुपये ब्याज चुकाएगा। कुल भुगतान होगा लगभग 1 करोड़ 16 लाख रुपये।
राजू की बचत: पूरे लोन पर लगभग ₹8.96 लाख। अगर बैंक ने ट्रांसफर पर ₹35,000 भी लिए, तो भी करीब 8.5 लाख रुपये उसकी जेब में बचेंगे। सोचिए, ये पैसा बच्चों की पढ़ाई, घर के रेनोवेशन या बढ़िया छुट्टी पर खर्च हो सकता है।
स्विच करते समय ये बातें याद रखें
हिसाब लगाएं: अपने बचे हुए लोन की अवधि और बैंक के शुल्क को ध्यान में रखकर पता करें कि स्विच करना फायदेमंद है या नहीं। जितनी ज्यादा अवधि बची हो, उतना फायदा।
जल्दी करें: अगर लोन अभी नया है या अवधि लंबी बची है, तो तुरंत स्विच के बारे में सोचें।
कुछ ज्यादा चुकाएं: अगर पैसे बच रहे हैं, तो कम ब्याज दर का फायदा उठाकर कभी-कभी ज्यादा ईएमआई या लंबपट्टी (लम्पसम अमाउंट) चुकाकर लोन जल्दी खत्म करने की कोशिश करें।
नया लोन ले रहे हैं? तो सीधे ईबीएलआर (EBLR) वाला ऑप्शन ही चुनें। भविष्य में ऐसी कटौतियों का फायदा झट से मिलेगा।