जीवन है पानी की बूंदे,कब मिट जाए रे.....
Muzaffar-nagar News - जीवन है पानी की बूंदे,कब मिट जाए रे.....जीवन है पानी की बूंदे,कब मिट जाए रे.....जीवन है पानी की बूंदे,कब मिट जाए रे.....जीवन है पानी की बूंदे,कब मिट ज

नगर में चार दिवसीय चल रहे मुनि महाराज आचार्य श्री 108 विमर्श सागर महाराज के कार्यक्रम में संघ सहित भक्तों को अपनी अमृत वाणी में समाज को जाागरूक कर रहे हैं। महाराज मुनि ने अपने प्रवचनों में कहा कि जीवन है पानी की बूंदे है जिसका पता नहीं कब मिट जाएं।“ इक संकल्प जगायें हम, इस भव प्रभु को पायें हम। भव सागर से तिरने को, गीत प्रभु के गायें हम । नयनों में प्रभु का, हो-हो-२, ही रूप समाये रे,जीवन है पानी की बूंदै, कब मिट जाये रे। कहा किअपने बेटे की शिक्षा के लिए अच्छे से अच्छा स्कूल-कॉलेज ढूंढते हो l अपना पूरा जीवन जिस भगवान के चरणों में समर्पित करना चाहते हो उस भगवान की कोई पहचान नहीं, कोई परीक्षा नहीं।
हमेशा ध्यान रखो, हर कोई भगवान नहीं हो सकता भगवान का भी एक रूप एक स्वरूप होता है। वह स्वरूप है जो राग, द्वेष, मोह, क्षुधा, पिपासा आदि 18 दोषों से रहित वीतरागी है, सर्व लोक के समस्त पदार्थों को जानने से जो सर्वज्ञ है और सभी भव्यः प्राणियों को हितकारी उपदेश देने से जो हितोपदेशी हैं। यह तीन गुण जिस व्यक्ति विशेष में हों वहीं भगवान हो सकता है, मात्र भगवान संज्ञा से कोई भगवान नहीं हो जाता। कार्यक्रममें दिल्ली,देहरादून,गुरूग्राम,गााजियाबाद,सरधना,बडौत आदि क्षेत्र से सैकडों लोग पहुंचे। सुशील जैन,सुनील जैन,विकास जैन,अक्षत जैन,पारस जैन,अतुल जैन,नीरज जैन,सुनील,मनोज जैन,पवन जैन,आगम जैन आदि का सहयोग रहा।
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