Fathers Dedication Celebrated Inspiring Success Stories of IAS Doctors and Engineers पिता ने खुद को अभाव में रख बच्चों के भविष्य को संवारा , Orai Hindi News - Hindustan
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पिता ने खुद को अभाव में रख बच्चों के भविष्य को संवारा

Orai News - उरई, संवाददाता। स्वयं को कामकाज में खपाकर मेहनत करते हुए पिताओं ने संघर्षों के बीच, पिता ने खुद को अभाव में रख बच्चों के भविष्य को संवारा

Newswrap हिन्दुस्तान, उरईSun, 15 June 2025 02:12 AM
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पिता ने खुद को अभाव में रख बच्चों के भविष्य को संवारा

उरई, संवाददाता। स्वयं को कामकाज में खपाकर मेहनत करते हुए पिताओं ने संघर्षों के बीच बच्चों को पढ़ा लिखा कर सफलता की इबादत लिखते हुए ऊंचा मुकाम दिलाया। बच्चे भी अपने पिता की मेहनत को देख लगन और आत्मविश्वास से पढ़ाई कर आज सफलता का शिखर चूम रहे हैं। किसी ने अपने बच्चों को प्रेरणा देकर आईएएस बनाया तो कोई सॉफ्टवेयर इंजीनियर बना तो कोई पुलिस और डॉक्टर बनकर पिता का नाम रोशन कर रहा है।संघर्षों के बीच सफलता की कहानी लिख रही हस्तियों के पिता के जज्बे को सलाम है। कुछ ऐसे ही पिता की मेहनत और संघर्ष की स्टोरी फादर्स-डे पर आपके अपने अखबार ‘हिंदुस्तान ने साझा की है।

पिता से मिली प्रेरणा तो आईएएस ऑफिसर बन मानसी उरई। उरई के ग्राम टिमरो निवासी किसान धर्मेंद्र सिंह जादौन ने खेती किसानी करते हुए बेटी को पढ़ा लिखा कर सफलता के उत्कृष्ट मुकाम पर पहुंचाया। सीधे-साधे किसान धर्मेंद्र की बेटी ने अभी हाल ही में यूपीएससी क्रैक कर 168 वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनकर सफलता की इबारत लिखी है। बेटी मानसी सिंह कहतीं हैं कि पिता ने हमेशा कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरणा दी और उनसे प्रेरित होकर लगन और मेहनत से पढ़ाई कर सफलता हासिल की है। एग्जाम की तैयारी करते समय एक दो बार सफलता नहीं मिली तो लड़खड़ाई लेकिन पिता ने हौसला नहीं टूटने दिया। फादर्स डे से पहले मैंने पिता को आईएएस अफसर बनकर उनके सपनों को साकार करते हुए उन्हें तोहफा दिया है। टीवी रिपेयरिंग कर बेटे को पढ़ा लिखा दिलाया ऊंचा मुकाम कोंच। फादर्स डे पर कोंच नगर में रहने वाले टीवी रिपेयरिंग करने वाले गिरीश चन्द्र शुक्ला के जज्बे को सलाम है कि उन्होंने कड़े संघर्ष से बेटे को आईएएस बनाया। पैदा होने के बाद अश्वनी ने होश संभाला तो पिता को टीवी रिपेयरिंग का काम करते देखा लेकिन पिता की उम्मीद ने आगे बढ़ने की ताकत दी। जब-जब साहस डगमगाया तो पिता ने ही सहारा दिया। जब जिंदगी आगे बढ़ी तो पिता गिरीश चन्द्र शुक्ला ने ही अफसर के रूप में पढ़ाई का सपना दिखाकर कुछ करने को कहा। जब बुलंद हौसला मिला तो अश्वनी शुक्ला ने भी दमखम लगा दिया। इसका परिणाम आज सबके सामने है। अश्विनी का चयन यूपीएससी में हो गया और 423 वीं रैंक हासिल कर कलेक्टर बना। सफाई कर्मी सुनील ने अपने बेटे को डॉक्टर और पुलिस बना दिलाया मुकाम उरई। नगर पालिका के संविदा सफाई कर्मी सुनील कुमार पिता की महिमा को सार्थक कर रहे हैं। खुद अभाव और मुफलिसी में जीवन जी कर बेटों की अच्छे से परवरिश कर एक को डॉक्टर और एक को पुलिस कांस्टेबल बना उन्हें एक मुकाम दिलाने में अपना पूरा जीवन लगा दिया। सफाई कर्मी सुनील ने अपने बड़े बेटे राजा सिंह को एमबीबीएस करा कर डॉक्टर के रूप में स्थापित किया। जबकि छोटे बेटे गौरव सिंह को पुलिस कांस्टेबल बनाने के लिए प्रेरित किया और अभी हाल में उसका चयन पुलिस में हो गया है। दोनों बेटे भी अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को देते हुए उनकी प्रेरणा से मुकाम हासिल करना बता रहे हैं। मिठाई वाले महेश ने बेटे को सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनाकर दिलाया मुकाम कदौरा। नगर में एक छोटी सी मिठाई की दुकान चलाने वाले ने अपने पुत्र को सॉफ्टवेयर इंजीनियर बना कर नगर वासियों के लिए मिशाल बन गए हैं। वर्तमान मे उनका पुत्र एक जापान की कम्पनी में नियुक्त है और 50 लाख के पैकेज में कार्य कर कर रहा है। नगर निवासी महेश गुप्ता का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है। बचपन में मुफलिसी का दौर झेलने वाले महेश गुप्ता ने हार नहीं मानी और अपने पुत्र राहुल गुप्ता को वो मुकाम दिलाया जिसका सपना हर पिता का होता है। गरीबी का दंश झेलते हुए उसके पुत्र राहुल ने पांच साल पहले बीटेक करते हुए कम्पनी ज्वाइन की थी। तीन लाख 50 हजार रूपये सालाना पैकेज से स्टार्टिंग करने वाले राहुल ने आज पांच वर्षो मे 51 लाख के पैकेज पर पहुंच गया है। हिंदुस्तान से बात करते हुए राहुल के पिता महेश ने बताया फादर्स डे पर बेटे ने अच्छी खबर दी है। उसे कम्पनी ने एक बहुत बड़ा तोहफा दिया है जो 15 जून को उसका प्रमोशन कर दिया है और नवंबर माह मे उसे कम्पनी जापान भेज रही है। स्टोरी पांच हसन खान ने बेटे की परवरिश कर पहुंचाया सफलता के शिखर पर उरई। शहर के मोहल्ला आजाद नगर बजरिया निवासी उमर खान के पुत्र हसन खान ने यूपीएससी में 643वीं रैंक हासिल कर मध्यमवर्गीय पिता के सपने को साकार करते हुए मुकाम हासिल किया है। पिता उमर खान ने बेटे को दिल्ली यूनिवर्सिटी ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री दिलाने में पूरी मेहनत कर कोई कसर नहीं छोड़ी। तैयारी के बाद जब पहले प्रयास में बेटे को सफलता नहीं मिली तो पिता ने उसे प्रेरणा दी और इसके बाद तैयारी करते हुए हसन ने सेकंड अटेम्प्ट में यूपीएससी में चयनित होकर पिता के सपने को साकार कर दिया। हसन अपने पिता को फादर्स डे पर तोहफा देते हुए उन्हें अपना प्रेरणा श्रोत बता रहे हैं।

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