रेलवे को यात्री को 20 लाख जुर्माना देने का आदेश, कोच खोजने में प्लेटफॉर्म पर लगी थी चोट
प्लेटफार्म पर डिस्प्ले बोर्ड खराब होने से कोच खोजने में हुई परेशानी और गिरकर चोटिल हुए यात्री को 20 लाख रुपए जुर्माना देने का आदेश रेलवे को हुआ है।

रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर कोच डिस्प्ले बोर्ड खराब होने से ट्रेन का कौन सा डिब्बा कहां लगेगा इसकी जानकारी नहीं हो सकी। ऐसे में ट्रेन आने पर लोगों में अपना कोच खोजने में परेशानी हुई और भगदड़ में वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्गेश चंद्र गौतम गिरकर चोटिल हो गए। अधिवक्ता ने रेलवे की इस बड़ी लापरवाही की उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में शिकायत की। आयोग ने रेलवे की गलती मानी और अधिवक्ता को 20.25 लाख रुपए जुर्माना देने का आदेश दिया है। मामला वाराणसी रेलवे स्टेशन का है।
अलीगढ़ के रघुवीरपुरी में रहने वाले अधिवक्ता दुर्गेश चंद्र गौतम की ओर से वाराणसी स्टेशन अधीक्षक, जीएम नॉर्दर्न रेलवे, बरौदा हाउस (नई दिल्ली) व जीएम नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे (गोरखपुर) के खिलाफ वाद दायर किया गया था। उनके बेटे अधिवक्ता देवेश गौतम ने बताया कि पिता दुर्गेश व माता सुधारानी गौतम काशी दर्शन के लिए गए थे। वहां से लौटने के लिए 21 अगस्त 2024 को प्रीमियम तत्काल कोटा के तहत लिच्छवी एक्सप्रेस (14005) में दोनों के लिए टिकट बुक की गईं। एसी-3 के बी-3 कोच में सीट आरक्षित थी।
22 अगस्त 2024 को ट्रेन के नियत समय दोपहर 03:20 बजे से आधा घंटा पहले दंपती वाराणसी स्टेशन पर पहुंच गए। उस समय बरसात के चलते प्लेटफार्म पर फिसलन थी। बी-3 कोच कहां आएगा, ये डिस्प्ले बोर्ड पर नहीं दिखा। कोई सूचना भी नहीं दी गई। ट्रेन का स्टॉपेज दो मिनट का था। जब ट्रेन रुकी तो डिब्बा करीब छह सौ मीटर दूर था। इसके चलते अफरातफरी और भगदड़ मच गई।
डिब्बे में चढ़ने के प्रयास में दुर्गेश गिर गए। उनके घुटने में चोट आई। पत्नी व अन्य यात्रियों की मदद से वह ट्रेन में चढ़ सके। लेकिन, रास्ते में दर्द के चलते परेशान रहे। अलीगढ़ जंक्शन पर उतरे तो व्हीलचेयर की मदद से उन्हें बाहर पार्किंग में खड़ी कार तक लाया गया। वहां से निजी अस्पताल ले गए, जहां उपचार चला।
इसके बाद रेलवे के खिलाफ आयोग में याचिका डाली गई। मामले में आयोग के अध्यक्ष व न्यायाधीश हसनैन कुरैशी, सदस्य आलोक उपाध्याय व पूर्णिमा सिंह राजपूत की पीठ ने पीड़ित के हक में फैसला सुनाया है। आयोग ने अधिवक्ता के बिस्तर पर रहने के दौरान व्यावसाय में नुकसान के रूप में 10 लाख, उपचार खर्च व मानसिक उत्पीड़न के लिए पांच-पांच लाख रुपये और 25 हजार रुपये वाद व्यय के रूप में देने के आदेश दिया है।