पुलिस के हाथ लगा बच्ची के खून से सना आरोपी का गमछा, आगरा रेप केस में अब डीएनए टेस्ट की तैयारी
- 17 अप्रैल की रात घटना हुई थी। बच्ची अपने घर के बाहर मौसेरी बहन के साथ सो रही थी। एक युवक उसे गोद में उठाकर देवस्थान पर ले गया था। वहां बालिका के साथ दुराचार किया था। बदहवास हालत में बालिका घर लौटी थी। दूसरे दिन सुबह यह मामला पुलिस तक पहुंचा था। बालिका को उसके पिता थाने लेकर गए थे।

आगरा के खेरागढ़ के एक गांव में 12 वर्षीय दलित बालिका से दुराचार में पकड़े गए आरोपित को पुलिस ने सोमवार को जेल भेज दिया। आरोपित ओमवीर के खिलाफ पुलिस के पास पुख्ता फोरेंसिक और डिजिटल साक्ष्य हैं। पुलिस ने खून से सना गमछा बरामद किया है। गमछा आरोपित का है। उस पर लगा खून बालिका का है। गमछे में बालिका के सिर के बाल भी मिले हैं। पुलिस डीएनए कराएगी। विवेचना एसीपी खेरागढ़ को मिली है। पंद्रह दिन में चार्जशीट लगाई जाएगी।
17 अप्रैल की रात घटना हुई थी। बालिका अपने घर के बाहर मौसेरी बहन के साथ सो रही थी। एक युवक उसे गोद में उठाकर देवस्थान पर ले गया था। वहां बालिका के साथ दुराचार किया था। बदहवास हालत में बालिका घर लौटी थी। दूसरे दिन सुबह यह मामला पुलिस तक पहुंचा था। बालिका को उसके पिता थाने लेकर गए थे। सीसीटीवी में आरोपित कैद हुआ था। वह सिर्फ गमछा लपेटे हुआ था। उसकी पहचान गांव के ओमवीर के रूप में हुई थी। पुलिस उसकी तलाश में दबिश दे रही थी।
डीसीपी पश्चिम अतुल शर्मा ने बताया कि आरोपित ने पूछताछ में घटना का इकबाल किया है। आरोपित ठेल लगाता है। मुकदमे को सजा के लिए चिन्हित किया गया है। आरोपित ने घटना के बाद अपना गछमा एक जगह फेंक दिया था। पुलिस ने आरोपित की निशानदेही पर उसे बरामद किया है। गमछे में खून लगा था। खून बालिका है। गमछे में बाल भी लगे मिले हैं। सीसीटीवी में आरोपित कैद हुआ था। फुटेज डिजिटल साक्ष्य का काम करेगा। खून और बाल के लिए डीएनए कराया जाएगा। ताकि आरोपित को सख्त सजा दिलाई जा सके।
मेडिकल में विलंब पर आक्रोश
दुराचार पीड़िता बालिका को पांच घंटे थाने में बैठाया गया। लेडी लॉयल में तीन घंटे बैठाने के बाद भी मेडिकल नहीं हुआ। इस पर भाजपा सांसद राजकुमार चाहर ने नाराजगी जताई थी। उन्होंने इस संबंध में पुलिस आयुक्त दीपक कुमार को भी अवगत कराया है। सांसद चाहर ने बताया कि वह इस संबंध में कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र लिखेंगे। ताकि भविष्य में ऐसी संवेदनशून्यता नहीं दिखाई जाए। पीड़िता को पहले तत्काल उपचार मिले।