Ganga Expressway Construction Causes Havoc in Lalganj and Kunda Tehsils बोले बेल्हा : फर्राटा भरते डंपर बने काल, 52 गांवों की सड़कें खस्ताहाल, Pratapgarh-kunda Hindi News - Hindustan
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बोले बेल्हा : फर्राटा भरते डंपर बने काल, 52 गांवों की सड़कें खस्ताहाल

Pratapgarh-kunda News - गंगा एक्सप्रेस-वे का निर्माण लालगंज और कुंडा तहसील के निवासियों के लिए मुसीबत बन गया है। तेज रफ्तार डंपरों से सड़कों की स्थिति खराब हो गई है, जिससे दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। ग्रामीणों ने सड़कें खस्ताहाल...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रतापगढ़ - कुंडाMon, 28 April 2025 01:23 AM
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बोले बेल्हा : फर्राटा भरते डंपर बने काल, 52 गांवों की सड़कें खस्ताहाल

जिले की लालगंज और कुंडा तहसील से होकर निकलने वाला गंगा एक्सप्रेस-वे सुविधा के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है लेकिन इसका निर्माण करा रही कार्यदाई संस्था के जिम्मेदारों की अनदेखी और लापरवाही दोनों तहसील की करीब 52 ग्राम पंचायत के निवासियों के लिए खासी मुसीबत साबित हो रही है। एक्सप्रेस-वे के निर्माण में मिट्टी ढोने के लिए लगाए गए डंपर की रफ्तार आए दिन लोगों की जान ले रही है तो दूसरी ओर पीडब्लयूडी, आरईएस सहित प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गई सड़कें खस्ताहाल हो चुकी हैं। जिन सड़कों से होकर डंपर गुजर रहे हैं उन्हें देखकर यह बताना मुश्किल हो जाता है कि यहां कभी काली सड़क थी। कुछ दिन पहले तक जिन सड़कों पर वाहन फर्राटा भरते थे, अब वहां धूल उड़ रही है और बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं, इन गड्ढों में फंसकर आए दिन बाइक सवार गिरते हैं और चोटिल होते हैं। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने गंगा एक्सप्रेस-वे के आस-पास वाली ग्राम पंचायतों में रहने वालों से उनकी समस्या जानने का प्रयास किया तो उनका गुबार फूट पड़ा। ग्रामीणों ने बारी-बारी से अपनी समस्याएं साझा की और उनके समाधान के सुझाव भी बताए।

मेरठ से प्रयागराज का सफर आसान करने के लिए सरकार की ओर से वर्ष 2021 में गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण को मंजूरी दी गई थी। यह मेरठ जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग 334 पर बिजौली गांव से शुरू होकर प्रयागराज के राष्ट्रीय राजमार्ग 19 पर जूड़ापुर गांव में समाप्त होता है। छह लेन का गंगा एक्सप्रेस-वे मेरठ से हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज को जोड़ेगा। इस एक्सप्रेस-वे पर वाहन 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से फर्राटा भर सकेंगे। रायबरेली से होकर प्रतापगढ़ जिले की लालगंज तहसील के कामापट्टी गांव से एक्सप्रेस-वे की शुरुआत होती है और कुंडा तहसील के सकरदहा गांव से होकर यह प्रयागराज की सीमा में प्रवेश कर जाता है। वर्तमान में लालगंज और कुंडा तहसील में एक्सप्रेस-वे का निर्माण तेजी से चल रहा है। तमाम सुविधाएं मुहैया कराने के लिए बनाया जा रहा गंगा एक्सप्रेस-वे फिलहाल तो लालगंज और कुंडा तहसील की 52 ग्राम पंचायतों में रहने वालों के लिए बड़ी मुसीबत बन चुका है। एक्सप्रेस-वे के लिए दिन रात चल रहे निर्माण ने ग्रामीणों की नींद हराम कर दी है। इसके अलावा निर्माण में लगाए गए सैकड़ों डंपर दिन रात ग्रामीण इलाके की सड़कों पर रफ्तार भरते रहते हैं जिससे आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। डंपर चालकों की रफ्तार ने कइयों की जान भी ले ली है और सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि जिने ग्राम पंचायतों में एक्सप्रेस-वे का निर्माण हो रहा है उसके आसपास की अधिकतर सड़कें खस्ताहाल हो चुकी हैं। इन सड़कों पर वाहन तो दूर की बात पैदल चलना भी मुहाल है। कुछ दिन पहले तक काली दिखने वाली सड़कों पर उड़ता धूल का गुबार दूर से देखकर ही राहगीर रास्ता बदल देते हैं। खस्ताहाल सड़कों को को लेकर पीडब्ल्यूडी की ओर से 40 सड़कों की सूची शासन को भेजी गई है। इसी तरह आरईएस, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कें और जिला पंचायत निधि की सड़कें भी अपना अस्तित्व खो चुकी हैं।

इंटरलॉकिंग-खड़ंजे की जगह हो गए हैं गड्ढे

गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण में लगे डंपरों की रफ्तार ने ग्राम पंचायतों में लगाए गए खड़ंजा और इंटरलॉकिंग को भी बदहाल कर डाला है। ग्राम पंचायतों की खस्ताहाल हो चुकी सड़कों के मरम्मतीकरण के लिए ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी की ओर से जिलाधिकारी को पत्र देकर रिपेयर कराने की मांग की गई है लेकिन इस पर कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हो सकी है। खास बात यह कि एक्सप्रेस-वे के निर्माण में लगे अफसर और कर्मचारी ग्रामीणों की कोई समस्या सुनने के लिए तैयार ही नहीं हैं। इससे परेशान ग्रामीण जिले के आलाधिकारियों से लेकर शासन तक गुहार लगा रहे हैं लेकिन कोई असर नहीं हो रहा है।

मानक से अधिक निकाली जा रही मिट्टी

गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण में मिट्टी निकालने के लिए शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने कार्यदाई संस्था को ग्रामीण इलाके में स्थित सरकारी तालाबों की सूची दे दी है। सरकारी तालाबों से दो मीटर गहराई तक मिट्टी निकालने का मानक निर्धारित किया गया है। कार्यदाई संस्था ने सरकारी तालाबों से मिट्टी निकालने का काम स्थानीय ठेकेदारों को सौंप दिया है। ठेकेदार अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में तालाबों से दो मीटर के सापेक्ष तीन से साढ़े तीन मीटर गहराई तक मिट्टी निकाल रहे हैं। खास बात यह कि तालाबों से जिस तरह से मिट्टी निकाली जा रही है वह आने वाले समय में ग्रामीणों के लिए खतरा साबित होगी। बारिश होने पर इन तालाबों में लबालब पानी भर जाएगा और इसमें सिर्फ ग्रामीण ही नहीं मवेशी भी गिरकर फसेंगे। ऐसे ही मिट्टी निकाले गए एक गड्ढे में भरे पानी में कुंडा इलाके में बच्चे की मौत हो चुकी है।

निराश्रित गोवंशों के लिए काल है डंपर

गंगा एक्सप्रेस-वे पर ग्राम पंचायतों के तालाब से मिट्टी निकालकर पहुंचाने वाले डंपर चालक कम समय में अधिक मिट्टी ढोने के फेर में मानक से अधिक स्पीड से वाहन चलाते हैं। ऐसे में अनियंत्रित होना स्वाभाविक है। अनियंत्रित मानक सिर्फ राहगीरों के लिए नहीं, निराश्रित गोवंशों के लिए भी काल साबित हो रहे हैं। दरअसल निराश्रित गोवंश घूमते घूमते थक जाते हैं तो सड़कों के किनारे झुंड में बैठ जाते हैं। ऐसे में रात में चलने वाले डंपर अनियंत्रित होकर इनकी जान ले रहे हैं। कुंडा इलाके में अनियंत्रित डंपर से एक साथ दर्जन भर गोवंशों की जान चली गई थी। इसी तरह लालगंज और कुंडा तहसील में दर्जनभर से अधिक बाइक सवार और साइकिल सवार डंपर की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं।

40 मिनट में तय हो रहा 10 मिनट का सफर

गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण में लगे डंपरों की रफ्तार से कुंडा और लालगंज तहसील की करीब 52 ग्राम पंचायतों को जोड़ने वाले अधिकतर सड़कें बदहाल हो चुकी हैं। इसका खामियाजा राहगीरों को भुगतना पड़ रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि जो रास्ता तय करने में पहले 10 मिनट लगता था, अब उसे तय करने में 40 मिनट लग रहे हैं। यही नहीं तमाम लोग सड़कों पर उड़ रही धूल देखकर रास्ता बदलकर दूसरे रास्ते से अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं। रास्ता बदलने वालों को इसके लिए अधिक समय और ईंधन खर्च करना पड़ता है।

खस्ताहाल सड़कों से खराब हो रहे वाहन

निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस-वे से जुड़े गांव और उनके आसपास के गांव में रहने वाले ग्रामीण बताते हैं कि अधिकतर सड़कें खस्ताहाल हो गई हैं और बड़े बड़े गड्ढे हो गए हैं। इन रास्तों से गुजरना भी हमारी मजबूरी है। इससे बाइक और चारपहिया वाहनों में खराबी आने लगी है। नए-नए वाहन खराब होने से लोगों की जेब बेवजह ढीली हो रही है।

सांस और दमा का का प्रकोप

गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण में मिट्टी ढो रहे डंपरों की मनमानी रफ्तार से बदहाल हुई सड़कों पर पूरे दिन धूल का गुबार उड़ता नजर आता है। यह किसी एक ग्राम पंचायत का नहीं बल्कि कुंडा और लालगंज की सैकड़ों ग्राम पंचायतों में देखा जा सकता है। दिन रात उड़ने वाला धूल का गुबार ग्रामीणों को बीमार कर रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि बीते छह महीने में सांस, दमा और टीबी के मरीज बढ़े हैं। इसके लिए पूरी तरह से धूल का गुबार ही है लेकिन ग्रामीणों के पास इसका कोई विकल्प भी नहीं है। ऐसे में लोग चुपचाप किसी तरह से काम निस्तारित कर रहे हैं।

सैकड़ों ग्रामीणों को रोजगार भी मिला

निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस-वे के आस-पास वाली ग्राम पंचायत के ग्रामीण बताते हैं कि इसके निर्माण से सिर्फ समस्याएं ही नहीं है। वर्तमान में एक्सप्रेस-वे के निर्माण में सैकड़ों स्थानीय ग्रामीण भी काम कर रहे हैं और अपनी रोजी रोटी की व्यवस्था आसानी से कर रहे हैं। यह ऐसे ग्रामीण है जो मजदूरी करने के लिए दूर दूर तक जाते थे अथवा परिवार का भरण पोषण करने के लिए परदेस जाकर मजदूरी करते थे। जबसे एक्सप्रेस वे का निर्माण शुरू हुआ है ऐसे मजदूरों को मजदूरी के लिए सोचना नहीं पड़ता। उनके लिए निर्माणाधीन एक्सपेस वे रोजगार का साधन बन गया है।

शिकायतें

0 मिट्टी ढोने के लिए लगाए गए डंपर तेजी से रफ्तार भरते हैं, इससे लगातार हादसे हो रहे हैं।

0 ग्राम पंचायतों के सरकारी तालाब से निकाली जा रही मिट्टी में जिम्मेदार सरकारी मानक की अनदेखी कर रहे हैं।

0 ग्राम पंचायत के तालाबों को मानक से अधिक गहरा कर देने से ग्रामीणों और गोवंशों के लिए बरसात में खतरा बढ़ रहा है।

0 गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए मिट्टी ढो रहे डंपरों के कारण आस-पास की अधिकतर सड़कें खस्ताहाल हो चुकी हैं जिस पर पैदल चलना भी मुश्किल होता है।

0 निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस-वे के किनारे वाली ग्राम पंचायत से जुड़ी सड़कों से उठने वाला धूल का गुबार ग्रामीणों को बीमार बना रहा है।

सुझाव

0 निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस वे के लिए मिट्टी ढोने वाले डंपरों की रफ्तार पर नियंत्रण लगाया जाए, जिससे हादसों को रोका जा सके।

0 ग्राम पंचायत के सरकारी तालाबों से मनमाने तरीके से मिट्टी निकालने पर रोक लगाई जाए, निर्धारित मानक के तहत ही मिट्टी निकालने के निर्देश दिए जाएं।

0 गंगा-एक्सप्रेस-वे से जुड़ी ग्राम पंचायतों की बदहाल सड़कों से उठने वाले धूल का गुबार रोकने के लिए नियमित पानी का छिड़काव कराया जाए।

0 डंफरों की रफ्तार से खस्ताहाल हुए प्रमुख सड़कों को रिपेयर कराने के निर्देश दिए जाएं, जिससे आवागमन सुलभ हो सके।

0 मिट्टी ढोने वाले डंफरों से होने वाले हादसे के नुकसान की भरपाई करने का निर्देश कार्यदाई संस्था के जिम्मेदारों को दिया जाए।

इनका कहना है :

गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण में मिट्टी ढोने के लिए लगाए गए डंपरों के तेज रफ्तार भरने से सड़कें बदहाल हो चुकी हैं। इन सड़कों पर वाहन चालाना तो दूर पैदल चलने में भी डर लगता है। जिम्मेदारों को आवागमन सुलभ बनाने के लिए खराब सड़कों को रिपेयर कराने की प्रक्रिया शुरू करना चाहिए।

वीरेन्द्र प्रताप सिंह

निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस-वे से जुड़ी ग्राम पंचायतों के ग्रामीण डंपरों की दिन रात की भागदौड़ से परेशान हो चुके हैं। इन डंपरों के अनियंत्रित होने से हादसे भी हो रहे हैं लेकिन जिम्मेदार चुप्पी साधे रहते हैं। जिले के अलाधिकारियों को इसमें हस्तक्षेप कर कार्यदाई संस्था को सचेत करना चाहिए।

राकेश प्रताप सिंह

गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण में ग्राम पंचायतों के सरकारी तालाबों से मिट्टी निकालने के निर्देश दिए गए हैं। ठेकेदार निर्धारित मानक दरकिनार कर तालाबों से मनमाने तरीके से मिट्टी निकाल रहे हैं। इससे बरसात में पानी भरने पर ग्रामीणों और गोवंशों के लिए खतरा बढ़ रहा है।

सुरेश सिंह

निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस-वे का काम पूरा होने के बाद इससे जुड़ी ग्राम पंचायत के निवासियों को रोजगार भी मिलेगा लेकिन वर्तमान में ग्रामीणों को खासी समस्या झेलनी पड़ रही है। ग्रामीणों की समस्या को लेकर जिले के आलाधिकारियों को गंभीरता दिखाना चाहिए।

अनुज तिवारी

गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण में लगने वाली मिट्टी निकालने के लिए जिला प्रशासन ने ग्राम पंचायत के सरकारी तालाब चिन्हित कराए हैं। तालाबों से दो मीटर गहराई तक मिट्टी निकालने के मानक तय किए गए हैं लेकिन ठेकेदार मनमाने तरीके से तीन से साढ़े तीन मीटर मिट्टी निकाल रहे हैं। इससे तालाबों की सूरत खराब हो रही है।

धीरज तिवारी

गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण में लगे डंपरों की रफ्तार से खराब हो रही ग्राम पंचायत की सड़कों का मुआवजा कार्यदायी संस्था को देना चाहिए। इसके लिए जिले के आलाधिकारियों को हस्तक्षेप कर कार्यदायी संस्था के जिम्मेदारों पर दबाव बनाना चाहिए। जिससे गांव की सड़कों को रिपेयर कराया जा सके।

रामकिशोर

मिट्टी ढोने वाले डंपरों के कारण गंगा एक्सप्रेस-वे से जुडी ग्राम पंचायत के अधिकतर रास्ते बदहाल हो चुके हैं। सड़कों पर उड़ रहे धूल के गुबार लोगों को बीमार बना रहे हैं। इसमे तमाम गरीब लोग हैं जो अपना इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे बीमारों का इलाज कराने की सुविधा प्रशासन को देना चाहिए।

नवनीत पांडेय

गंगा एक्सप्रेस-वे से जुड़ी ग्राम पंचायतों में रहने वाले ग्रामीणों को 10 मिनट का रास्ता तयकरने में 40 से 45 मिनट लगने लगा है। यही नहीं सड़कें खराब होने से ग्रामीणों के वाहन तेजी से खराब होने लगे हैं। इससे ग्रामीणों के जेब पर असर पड़ रहा है। खराब सड़कें रिपेयर कराने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए।

सुनील यादव

निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस-वे से जुड़ी कुंडा और लालगंज तहसील की 52 ग्राम पंचायतों के ग्रामीण फिलहाल तो मुसीबत झेल रहे हैं। तेज रफ्तार से चलने वाले डंपर से आए दिन हादसे हो रहे हैं और गांव के खड़ंजे और इंटरलॉकिंग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इसे रिपेयर कराने की पहल करना चाहिए।

बिरजू सरोज

बोले जिम्मेदार

गंगा एक्सप्रेस-वे का निर्माण होने से मेरठ से प्रयागराज तक का सफर बेहद आसान हो जाएगा। एक्सप्रेस-वे से जुड़ी जिले की ग्राम पंचायतों की खस्ताहाल सड़कों को रिपेयर कराने के लिए एनएचआई के अफसरों को पत्र लिखा गया है। ग्रामीणों की समस्याओं को निस्तारण प्राथमिकता से कराया जाएगा। एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूरा होने से इससे जुड़े ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

शिव सहाय अवस्थी, डीएम, प्रतापगढ़

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