शास्त्र की रक्षा के लिए शस्त्र की शिक्षा देना जरूरी : देवव्रत
Pratapgarh-kunda News - कुंडा में श्रीमदभागवत कथा के दौरान आचार्य देवव्रत ने कहा कि भारत में धर्म की रक्षा के लिए केवल भाव ही नहीं, बल्कि शस्त्र की शिक्षा भी जरूरी है। उन्होंने गीता का उल्लेख करते हुए कहा कि धर्म की रक्षा के...
कुंडा, संवाददाता। भारत में धर्म की रक्षा के लिए अब केवल भाव से ही काम नहीं चलेगा। उसके लिए हमारे सनातन संस्कृति को मानने वाले सनातनियों को शस्त्र की शिक्षा भी देने की जरूरत है। यह बातें नगर पंचायत के शिवपुरम् में चल रहे श्रीमदभागवत कथा में आचार्य देवव्रत ने कही। उन्होंने पहलगाम में सैलानियों की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने उपदेश दिया है। धर्म की रक्षा के लिए अगर शस्त्र उठना पड़े तो वह धर्म के अनुरुप है। उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की कथा सुनाई। कहा भगवान चाहते तो राक्षसों का वध गोलोक में बैठकर भी कर सकते थे। शिक्षा तभी सार्थक है जब संस्कार और धर्म बचा रहे। भारत की पहचान संस्कृत और संस्कृति से ही होती है। यह इक्कीसवीं सदी का भारत है। इसमें बेटियों को रानी लक्ष्मी बाई और बेटों को सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद बनना पड़ेगा। इस मौके पर चेयरमैन प्रतिनिधि शिव कुमार तिवारी, आनंद देव पांडेय, मनीष पांडेय, शशिकांत शुक्ला, प्रेमा शुक्ला, कुशलेश, लवलेश, कुलदीप, गौरव, अंकित, रवीन्द्र नाथ, अजय तिवारी, शिव प्रकाश तिवारी, नागेश शुक्ला आदि मौजूद रहे।
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