पं. बालकृष्ण भट्ट ने हिंदी को समर्थ शैली प्रदान की : डीपी सिंह
Prayagraj News - हिन्दुस्तानी एकेडेमी ने मंगलवार को पं. बालकृष्ण भट्ट की जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी में उनके योगदान को याद किया गया, जिसमें उनके साहित्यिक कार्यों और आत्मपरक शैली के प्रयोग की चर्चा...

हिन्दुस्तानी एकेडेमी की ओर से मंगलवार को पं. बालकृष्ण भट्ट की जयंती पर विचार गोष्ठी हुई। गोष्ठी से पहले एकेडेमी के अधिकारियों व कर्मचारियों ने परिसर में स्थित उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण किया। एकेडेमी के सचिव डीपी सिंह ने कहा कि वे एक पत्रकार, उपन्यासकार, नाटककार व निबंधकार थे। उनकी साहित्य सर्जना ने हिंदी को एक समर्थ शैली प्रदान की थी। वे ऐसे पहले निबंधकार थे, जिन्होंने आत्मपरक शैली का प्रयोग किया था। साथ ही 32 वर्षों तक हिंदी प्रदीप का संपादन भी किया। प्रशासनिक अधिकारी गोपालजी पांडेय ने कहा कि पं. भट्ट का समय ऐसा समय था, जब किसी का नेतृत्व नहीं दिखाई पड़ता था और उन्होंने उस समय का नेतृत्व किया।
इस मौके पर रतन पांडेय, संतोष कुमार तिवारी, अंकेश कुमार श्रीवास्तव, सुनील कुमार, मोहसिन खान व अमित कुमार सिंह आदि मौजूद रहे।
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