कोर्ट से केस लड़ मुर्दा हुए जिंदा तो विभाग ने दिए 63 हजार
Prayagraj News - प्रयागराज में समाज कल्याण विभाग ने जिन दो लोगों को ढाई साल पहले मृत घोषित किया था, उन्हें कोर्ट में जीवित साबित करना पड़ा। कोर्ट के आदेश पर उनकी पेंशन फिर से शुरू की गई और उन्हें एरियर के रूप में 63...

प्रयागराज। ये फिल्मी कहानी से कम नहीं लगता, लेकिन असल जिंदगी में यह घटना हुई। ढाई साल से जिन जिंदा लोगों को समाज कल्याण विभाग ने मुर्दा घोषित कर दिया, उन्हें कोर्ट में खुद को जीवित साबित करना पड़ा और जीवित साबित होने के बाद विभाग ने न सिर्फ उनकी पेंशन दोबारा शुरू की, बल्कि जब से उन्हें मृत माना था उस अवधि का एरियर भी दिया। समाज कल्याण विभाग से वृद्धा पेंशन पाने वाले चक मुज्जमिल सैदाबाद के रामस्नेही और बिठौली धनुपुर के कल्लू को विभाग की जांच में लगभग ढाई साल पहले मृत मान लिया गया था। दोनों के खाते में पेंशन की राशि नहीं आई तो वो विभाग में पहुंचे।
दस्तावेज देखे गए तो पाया गया कि पोर्टल पर दर्ज है कि अब वो इस दुनिया में नहीं रहे। खुद को मृत जानकर उनके तो होश ही उड़ गए। इसके बाद उन्होंने अपने दस्तावेज दिए लेकिन मानें कौन, फिर क्या था। एक ही चीज बचती थी वो है कोर्ट। दोनों न्यायालय की शरण में गए और वहां उनके दस्तावेज के आधार पर विभाग से इस बारे में पूछा गया। विभाग ने अपनी गलती स्वीकार की। रामस्नेही की पेंशन एक बार फिर शुरू की गई और 33 हजार रुपये का एरियर भी दिया गया। वहीं कल्लू को तो बुधवार को ही 30 हजार रुपये की राशि दी गई। जिला समाज कल्याण अधिकारी डॉ. प्रज्ञा पांडेय ने बताया कि दोनों का मामला कोर्ट में था। कुल 63 हजार रुपये का एरियर भी दे दिया गया। उन्होंने बताया कि बीडीओ वार्षिक सत्यापन पर सचिव की रिपोर्ट पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में जब सचिव की रिपोर्ट आती है तो उस पर ही भरोसा करना होता है।
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