भीख से सीख अभियान: बच्चों को मिली किताबें, परिवार को सम्मान
Sambhal News - संभल में भीख से सीख अभियान के तहत 146 परिवारों को पुनर्वासित किया जा रहा है। बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा केंद्रों में शिक्षा दी जा रही है। जिलाधिकारी डॉ. राजेन्द्र पैंसिया की पहल से यह अभियान सामाजिक...

भीख मांगने की बेड़ियों को तोड़कर शिक्षा, आत्मनिर्भरता और गरिमा की ओर बढ़ते क़दम, यही है संभल में चल रहे भीख से सीख अभियान की असली ताकत। जिलाधिकारी डॉ. राजेन्द्र पैंसिया की दूरदर्शी पहल से जनपद ने वह कर दिखाया है जो आमतौर पर सिर्फ़ योजनाओं की फाइलों में सिमटकर रह जाता है। अब यह अभियान केवल पुनर्वास नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन की कहानी बन गया है, जहां बच्चे स्कूल पहुंच रहे हैं और परिवार समाज की मुख्यधारा में लौट रहे हैं। इस अभिनव कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने किया था। अभियान जिला प्रशासन द्वारा उम्मीद संस्था और वीनस शुगर मिल्स (सीएसआर) के सहयोग से चलाया जा रहा।
अभियान के तहत जनपद के 146 परिवारों को चिन्हित किया गया जो भीख मांगकर जीवनयापन कर रहे थे। इनमें चंदौसी के 45, बहजोई के 70, बबराला/गुन्नौर के 13 और संभल के 18 परिवार शामिल हैं। इनमें से 264 बच्चे औपचारिक शिक्षा से वंचित पाए गए। 74 बच्चे 6-15 वर्ष की उम्र के हैं, जबकि 32 की उम्र 6 वर्ष से कम है। बच्चों और परिवारों को मिल रहा यह लाभ डीएम डा. पैंसिया ने बताया कि इन बच्चों के लिए उम्मीद संस्था द्वारा अनौपचारिक शिक्षा केंद्र संचालित किए जा रहे हैं जहां शिक्षा के साथ-साथ जीवन कौशल और रचनात्मक गतिविधियां भी सिखाई जा रही हैं। चंदौसी के 29 परिवारों को कांशीराम योजना के अंतर्गत अस्थायी रूप से आवास उपलब्ध कराए गए हैं। पुनर्वास हेतु गृह जनपदों से सत्यापन प्रक्रिया प्रगतिशील है। 305 वयस्क चिन्हित किए गए, जिनमें 155 पुरुष और 150 महिलाएं शामिल हैं। इन्हें कौशल विकास प्रशिक्षण से जोड़ने की योजना बनाई गई है। महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से माइक्रोफाइनेंस और उद्यमिता से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। निगरानी और संचालन के लिए बनाई गई जिला टास्क फोर्स कार्यक्रम की सुचारू निगरानी व संचालन हेतु जिलाधिकारी के नेतृत्व में 28 सदस्यीय जिला टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसमें पुलिस अधीक्षक, सीएमओ, सीडीओ, एडीएम और विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव शामिल हैं। इस अभियान के तहत एक अहम कार्य जनजागरूकता भी है। समाज में दया की जगह अधिकार आधारित सहयोग को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया जा रहा है। लोगों को यह बताया जा रहा है कि भीख देना समाधान नहीं, बल्कि स्थायी पुनर्वास ही स्थायी परिवर्तन है। अभियान का यह है मुख्य उद्ददेश्य भीख मांगने जैसी सामाजिक कुप्रथा से मुक्त करना है। भिक्षावृति/भीख से जुड़े हुए लोगों का सर्वेक्षण कर उनकी वस्तुस्थिति पता कर उन परिवारों को सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने, बच्चों को औपचारिक शिक्षा से जोड़ते हुए समाज की मुख्यधारा में समाहित करना, निराश्रित लोगों को आश्रय प्रदान करना, वयस्कों को कौशल विकास और रोजगार के अवसरों से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाना, महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सशक्त बनाना व परिवारों की सम्मानजनक पुर्नस्थापना सुनिश्चित करना है।
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