पक्षियों की 160 प्रजातियों की पहचान कर एएसपी अनुकृति ने दिलाई पहचान
Sambhal News - पर्यावरण की रक्षा में पुलिस अधिकारी एएसपी दक्षिणी अनुकृति शर्मा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने 160 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों की पहचान की, जिनमें 40 विदेशी प्रजातियां शामिल हैं। इनकी...

पर्यावरण की रक्षा अब केवल पर्यावरणविदों तक सीमित नहीं रही। पुलिस अधिकारी भी अब इस मिशन में आगे आ रहे हैं। जनपद में एएसपी दक्षिणी अनुकृति शर्मा ने जो कार्य कर दिखाया है वह न सिर्फ उदाहरण है बल्कि प्रेरणा भी है। उन्होंने इस वर्ष 160 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों को न केवल पहचानकर रिपोर्ट किया, बल्कि उन्हें ई-बर्ड कॉर्नर लैब पर अपलोड कर जिले को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान दिलाई है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन प्रजातियों में 40 से अधिक विदेशी पक्षी शामिल हैं, जो इससे पहले कभी जनपद में दर्ज नहीं किए गए थे।
ये पक्षी गंगा किनारे आते हैं। यहां की जलवायु इनके लिए अनुकूल मानी जाती है। जिले की देश व दुनिया में आध्यात्मिक और पौराणिक नगरी के रूप में पहचान है लेकिन अब जैव विविधता की एक नई पहचान बन गया है। इस परिवर्तन की खास वजह बनी हैं एएसपी दक्षिणी अनुकृति शर्मा, जिन्होंने न केवल कानून व्यवस्था को संभालकर माफियाओं की कमर तोड़ी है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी बेमिसाल योगदान दिया। एएसपी ने जिले को एक नई पहचान दिलाने का कार्य किया है हालांकि यह कार्य वन विभाग को करना चाहिए था। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर सामने आई जानकारी के मुताबिक, एएसपी अनुकृति शर्मा ने अब तक 160 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों को जनपद में रिपोर्ट किया है। इनमें से 40 से अधिक विदेशी पक्षी हैं, जो इससे पहले जिले में कभी रिपोर्ट नहीं हुए थे। पक्षियों की इन प्रजातियों ने संभल को किया गौरवान्वित एएसपी दक्षिणी अनुकृति शर्मा द्वारा रिपोर्ट की गईं 160 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों में लिटिल टर्न, ब्लैक बैलीड टर्न, ग्रेटर फ्लेमिंगो, ग्रीन वींगेड टील, कॉमन स्नाइप, केंटिश प्लोवर, टेगा फ्लाईकैचर, लेसर केसट्रिल आदि विदेशी पक्षी प्रमुख हैं। एएसपी ने इन सभी को ई-वर्ल्ड कॉर्नर लैब नामक अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर अपलोड भी किया गया है, जिससे इनका वैज्ञानिक और वैश्विक दस्तावेजीकरण सुनिश्चित हुआ है। एएसपी अनुकृति शर्मा का यह कदम न केवल अनुकरणीय है, बल्कि अन्य जिलों और अधिकारियों के लिए भी एक प्रेरणा है। प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता को संरक्षित रखना हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। जब मैंने पक्षियों की नई प्रजातियां देखीं, तो उन्हें पहचान कर रिपोर्ट करना मेरे लिए उत्साह का विषय बन गया। ये सभी पक्षी जैव विविधता के संकेतक माने जाते हैं और इनकी मौजूदगी यह दर्शाती है कि संभल का पर्यावरण अब इतनी गुणवत्ता प्राप्त कर चुका है कि विदेशी प्रजातियां भी यहां अपने को सुरक्षित महसूस कर रही हैं। यह मेरा व्यक्तिगत प्रयास था जो धीरे-धीरे एक पर्यावरणीय अभियान बन गया। हमने जो प्रजातियां रिपोर्ट की हैं, उनमें से अधिकतर पहली बार संभल से रिपोर्ट हुई हैं। - अनुकृति शर्मा, एएसपी दक्षिणी। ग्रेटर फलेमिंगो समेत कई विदेशी प्रजातियों के पक्षी आमतौर पर फरवरी मार्च महीने में आते हैं और मानसून के शुरू होने पर वापस लौट जाते हैं, लेकिन इनकी कितनी प्रजातियां यहां आती हैं, इसकी कोई गणना नहीं की गई है। केवल सारस की गणना हमारे यहां हुई है लेकिन जिले में गंगा किनारे की जलवायु विदेशी पक्षियों के लिए भी अनुकूल है। डॉ. वंदना फोगाट, डीएफओ।
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