गांव में हो रहा कार्य, ब्लॉक मुख्यालयों से जियो टैग
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर जिले में राज्य वित्त परियोजनाओं के जियो टैग में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। अधिकारी गांव के बजाय ब्लॉक मुख्यालय से जियो टैग कर रहे हैं, जिससे गड़बड़ियां हो रही हैं। ग्राम पंचायत...

हिन्दुस्तान टीम, संतकबीरनगर। जिले में राज्य वित्त की परियोजनाओं पर जियो टैग करने की आईडी और पासवर्ड पर विभागीय अधिकारियों के चहेतों का कब्जा है। गांव में संचालित वित्त की परियोजनाओं का जियो टैग कार्यस्थल के बजाय ब्लॉक मुख्यालयों से किया जा रहा है। इसमें जमकर खेल भी हो रहा है। इसमें हर स्तर से गड़बड़ी की जा रही है। लेकिन जिम्मेदार इससे पूरी तरह से बेखबर हैं। जिले के अधिकांश ब्लॉक मुख्यालय राज्य वित्त की परियोजनाओं के जियो टैग का केंद्र बने हुए हैं। ग्राम पंचायत सचिवों को एलॉट होने वाली ग्राम पंचायतों की आईडी और पासवर्ड विभागीय जिम्मेदारों ने अपने चहेतों के मोबाइल में ग्राम पंचायतों की आईडी अपलोड करा दिया है।
इसके लिए एडीओ पंचायत कार्यालयों में अटैच सफाई कर्मी अथवा अन्य विभागीय संविदा कर्मियों की सेवाएं भी ली जाती हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो एक-एक मोबाइल में 25-25 ग्राम पंचायतों की आईडी अपलोड की गई है। प्रत्येक कार्ययोजना का जियो टैग करने के बदले ग्राम प्रधानों से वसूली भी की जाती है। कार्य स्थल से जियो टैग होने पर कार्य होने की पुष्टि होती है, लेकिन बिना कार्य स्थल पर गए ही जियो टैग होने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। जिम्मेदार अधिकारी भी इन कार्यों के पर्यवेक्षण में लापरवाही कर रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब यह आईडी ग्राम पंचायत सचिव को अलॉट किए जाने का प्रावधान है तो फिर अधिकारियों ने सफाई कर्मियों और अन्य संविदा कर्मियों को कैसे आवंटित कर दिया? जिलाधिकारी, संतकबीरनगर आलोक कुमार ने कहा, इस तरह का मामला संज्ञान में अभी तक नहीं आया है। यदि ऐसा हो रहा है तो गम्भीर विषय है। इसकी जांच कराई जाएगी। जांच में यदि प्रकरण सही मिला तो इसके दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होगी। जांच हो तो होंगे बड़े खुलासे वित्त के परियोजनाओं के जियो टैग की हकीकत की जांच हो तो कई चौंकाने वाले मामले सामने आ सकते हैं। अकेले खलीलाबाद और नाथनगर ब्लॉक में ही करोड़ों के परियोजनाओं के जियो टैग का केंद्र बिंदु ब्लॉक मुख्यालय ही मिलेगा। विभागीय सूत्रों के दावे पर गौर करें तो पिछले दिनों जिले के दक्षिणांचल में स्थित एक ब्लॉक की ग्राम पंचायत का जियो टैग सुदूर प्रांत से ही कर दिया गया। इसका ऑनलाइन प्रमाण भी है। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।
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