डेढ़ दशक से जिले की 16 लाख की आबादी को ब्लड बैंक की दरकार
Shamli News - जिले में रक्तदाता की कमी नहीं है और साल में सैकड़ों कैंप आयोजित होते हैं। लेकिन 16 लाख की आबादी के लिए अभी तक सरकारी ब्लड बैंक नहीं खुला है। हाल ही में ब्लड बैंक खोलने का रास्ता खुला है, लेकिन इसमें...

जिले में रक्तदाता की कमी नहीं है साल में जिले भर में सैकड़ों कैंप आयोजित किए जाते है जिसमें रक्तदाता बढ़चढ़कर भाग लेते है, लेकिन जिलेभर की 16 लाख की आबादी के लिए सरकारी ब्लड बैंक अभी तक नहीं खुला है। अब जिला बने भी डेढ़ दशक हो गया लेकिन ब्लड बैंक नहीं खुला है। हालांकि अब ब्लड बैंक खुलने का रास्ता खुल गया है, लेकिन अभी भी इसमें छह से सात माह का समय लगेगा। जिले की आबादी 16 लाख से अधिक पहुंच गई, लेकिन स्वास्थ्य सेवा का अहम हिस्सा ब्लड बैंक अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। जिला अस्पताल को भी बने हुए छह साल हो गए है लेकिन यह भी ब्लड बैंक के ही चल रहा है।
इसके अलावा आठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 23 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है 134 उपकेंद्र है। इनमें कोई खून की आवश्यकता वाला मरीज आ जाए तो विभागीय स्तर पर खून मुहैया कराने की कोई सुविधा नहीं है। जिला अस्पताल में गुर्दे के मरीजों के लिए डायलेसिस की सुविधा तो है, लेकिन डायलेसिस के मरीजों के लिए खून नहीं मिल पाता। मरीजों के तीरमारदारों को इसके लिए प्राइवेट ब्लड बैंक से महंगा खून खरीदना पड़ रहा है। गर्भवती महिलाए अथवा अन्य किसी भी प्रकार के मरीज को ब्लड की आवश्यकता पड़ जाए तो इसकी प्राइवेट ब्ल्ड बैंक के अलावा कोई साधन नहीं है। जिले में तीन प्राइवेट ब्लड बैंक संचालित है। अभी ब्लड बैंक के लाइसेंस का इंतजार शामली। जिला अस्पताल में ब्लड बैंक को लेकर शासन स्तर से राज्य और केंद्र की संयुक्त टीम भी निरीक्षण कर चुकी है। टीम की रिपोर्ट पर ही ब्लड बैंक का लाइसेंस जारी किया जाएग, लेकिन अभी रिपोर्ट नहीं आई है। स्वास्थ्य विभाग ने शासन स्तर से ब्लड बैंक के लिए स्टाफ की नियुक्ति न होने पर जिला अस्पताल में मौजूद स्टाफ से ही ब्लड बैंक चलाने की तैयारी की जा रही है। सीएमएस एवं सीएमओं स्तर से शासन को पत्राचार किया गया। चलते जिला अस्पताल में कार्यरत डा. अनुपम सक्सेना को छह माह का अनुभव प्राप्त करने के लिए मुजफ्फरनगर भेजा गया है। जिला अस्पताल में ब्लड बैंक जल्दी शूरू कराया जा सके। जिला अस्पताल में बने ब्लड बैंक में सभी मशीनें व उपकरण शासन से पहले ही उपलब्ध कराए जा चुके हैं। जरूरत पड़ने पर पहुंच जाते है रक्तदाता शामली। जिले में कुछ समाज सेवी युवों ने ब्लड डोनेट के लिए वाट्सएप ग्रुप बनाया है। इसमें चालीस से 50 रक्तदाता जुड़े है। जहां भी ब्लड बैंक की आवश्यकता होती तो ग्रुप में शेयर करते है। इसके बाद संबंधित सदस्यों में से उस ब्लड ग्रुप का व्यक्ति ब्लड डोनेट करने वहां चले जाते है। शहर में कई लोग ऐसे है जो 50 से 99 बार रक्तदार कर चुके है। मौहल्ला दयानंदनगर निवासी 46 वर्षीय समाजसेवी जितेन्द्र शर्मा भी 53 बार रक्तदान कर चुके है। उन्होने बताया कि डेरा सच्चा सौदा गुरमीत राम रहीम से जुडकर रक्तदान करने का संकल्प लिया। वर्ष 2001 से रक्तदान करते आ रहे है। जितेन्द्र शर्मा की पत्नी शिक्षा शर्मा भी 21 बार रक्तदान कर चुकी है। आर्यपुरी निवासी अजय संगल ब्लड बैंक चलाते है। वह सौ बार रक्तदान कर चुके है। शहर के आर्यपुरी निवासी अजय संगल (55 वर्ष) व्यापारी हैं और समाजसेवा के कार्यो में बढ़कर हिस्सा लेते हैं। अजय संगल बताते है कि पिछले 30 वर्षो में उन्होने 99 बार रक्तदान किया है। जनपद शामली को रक्त की कमी न हो इसके लिए पांच वर्ष पूर्व शहर के मेरठ-करनाल मार्ग पर सर्वोदय ब्लड बैंक की स्थापना कराई। कोट ब्ल्ड बैंक शूरू करने की सभी प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है जिसके चलते डा. अनुपम सक्सेना को छह माह का अनुभव प्राप्त करने के लिए मुजफ्फरनगर भेजा गया है। जैसे ही डाक्टर अनुभव प्राप्त कर आएगें उसके बाद से ही ब्लड बैंक शूरू करा दिया जाएगा। डा. किशोर आहुजा- सीएमएस
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