दलहन की खेती को दे बढ़ावा, अरहर पर करें फोकस
Siddhart-nagar News - सोहना, हिन्दुस्तान संवाद।बदलते समय में दालें मानव शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व बन गई हैं। इसी को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के कृषि प्रसार व

सोहना, हिन्दुस्तान संवाद। बदलते समय में दालें मानव शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व बन गई हैं। इसी को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉ. शेष नारायण सिंह ने किसानों से दलहन की खेती को प्राथमिकता देने की अपील की है। डॉ. सिंह ने बताया कि एक सामान्य व्यक्ति को प्रतिदिन 56 से 60 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है, जबकि गर्भवती महिलाओं को 70 से 75 ग्राम तक। दालें प्रोटीन का सस्ता और सुलभ स्रोत हैं। ऐसे में हर किसान को अपनी खेती के कुछ हिस्से में दलहन फसलों को जरूर शामिल करना चाहिए, खासकर अरहर की खेती पर जोर देना चाहिए।
उन्होंने बताया कि अरहर के लिए हल्की दोमट या मध्यम भारी जमीन जिसमें पीएच मान 7.0 से 8.5 हो, उपयुक्त होती है। खेत की तैयारी के लिए दो-तीन बार गहरी जुताई और समुचित जल निकासी जरूरी है। सिंचित क्षेत्रों में जून के पहले सप्ताह से बुवाई की जा सकती है, जबकि असिंचित क्षेत्रों में बारिश शुरू होते ही बुवाई करें। डॉ. सिंह ने अरहर की प्रमुख उत्पादक प्रजातियों में पूसा-992, यूपीएएस-120, बहार, नरेन्द्र अरहर-1 व 2, मालवीय अरहर-15 और आईपीए-203 को बेहतर बताया। उन्होंने बताया कि बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर 12-15 किग्रा रखनी चाहिए और उसे राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना जरूरी है। जिससे फसल रोगमुक्त और स्वस्थ हो सके। उन्होंने किसानों को लाइन विधि से बुवाई की सलाह दी है। इसमें पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60-75 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 15-20 सेमी होनी चाहिए। इससे न सिर्फ फसल की देखरेख आसान होती है बल्कि पैदावार भी अधिक मिलती है। उन्होंने कहा कि यदि किसान अरहर जैसी फसलों को अपनाते हैं, तो न केवल अपने परिवार के लिए पोषण की गारंटी कर सकते हैं बल्कि बाजार में भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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