दुनिया के मुकाबले भारत में सबसे ज्यादा लोग ‘अत्यंत गरीबी से बाहर आए
विश्व बैंक ने नई वैश्विक गरीबी रेखा की घोषणा की है, जिसके अनुसार भारत में अत्यधिक गरीबी दर 5.3% रह गई है। 2011-12 में यह 16.2% थी। नई गरीबी रेखा $3 प्रतिदिन है, जिससे कई देशों में गरीबों की संख्या...

नई दिल्ली। विश्व बैंक ने हाल ही में एक नई वैश्विक गरीबी रेखा की घोषणा की है, जिससे दुनियाभर में ‘अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की गणना फिर से की गई है। इसके बाद कई देशों में अचानक गरीबों की संख्या बढ़ गई है। हालांकि, भारत के लिए यह खबर सकारात्मक है। अत्यधिक गरीबी रेखा में संशोधन के बावजूद दुनिया के मुकाबले भारत में सबसे अधिक लोग गरीबी रेखा से ऊपर निकल आए हैं। गरीबी रेखा आखिर है क्या गरीबी रेखा वह न्यूनतम खर्च का स्तर है, जो किसी व्यक्ति को जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं जैसे भोजन, कपड़े और आवास की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक होता है।
लेकिन इस स्तर को वैश्विक रूप से तय करना आसान नहीं है। उदाहरण के लिए, भारत की गरीबी रेखा को सीधे अमेरिका या केन्या की गरीबी रेखा से तुलना नहीं की जा सकती। इसके लिए 1990 में ‘क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर एक वैश्विक गरीबी रेखा बनाई, जो यह सुनिश्चित करती है कि एक डॉलर में सभी देशों में लगभग समान वस्तुएं और सेवाएं उपलब्ध हो सकें। इस तरह पहली वैश्विक गरीबी रेखा एक डॉलर प्रतिदिन (1985 पीपीपी) थी। लेकिन मुद्रास्फीति की दरें अलग-अलग होती हैं, इसलिए इसे समय-समय पर संशोधित करना पड़ता है। अब विश्व बैंक ने नवीनतम संशोधन जारी कर क्रय शक्ति समता-2021 (पीपीपी) लागू किया है। बदलाव के बाद वैश्विक दर में बढ़ोतरी नई गरीबी रेखा अब तीन डॉलर प्रतिदिन हो गई है, जबकि पहले यह 2.15 डॉलर प्रतिदिन (2017 पीपीपी) थी। जब विश्व बैंक ने 2024 में पिछली बार अनुमान जारी किया था तो उसने 2022 में वैश्विक गरीबी दर 9% मानी थी (2.15 डॉलर के अनुसार) लेकिन अब नई रेखा के अनुसार गरीबी दर बढ़कर 10.5% हो गई है। यदि विश्व बैंक ने भारत के डाटा के लिए नई पद्धति लागू नहीं की होती, तो गरीबी दर में वृद्धि इससे कहीं अधिक होती। भारत के आंकड़े निर्णायक बने भारत ने 2022-23 का उपभोग व्यय सर्वेक्षण विश्व बैंक को उपलब्ध कराया, जो 11 वर्षों बाद किया गया पहला व्यापक सर्वेक्षण है। इससे पहले विश्व बैंक भारत के लिए वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग करता था। पुराने आकलन के अनुसार, 2021 में भारत की अत्यंत गरीबी दर 12.9% थी (2.15 डॉलर के अनुसार), लेकिन नई आधिकारिक रिपोर्ट और तीन डॉलर की नई रेखा के अनुसार, 2022 में भारत की अत्यंत गरीबी दर केवल 5.3% हो गई है। अगर पुरानी रेखा पर ही देखें, तो 2022 में केवल 2.4% भारतीय गरीबी रेखा से नीचे थे। भारत की कैसे बदलाव आया पिछले आंकड़ों के अनुसार, 2011-12 में गरीबी दर 2.15 डॉलर प्रतिदिन के आधार पर 16.2% और तीन डॉलर प्रतिदिन के आधार पर 27.1% थी। वर्ष 2022 में यह घटकर 5.3% (नई रेखा) रह गई। इसका मतलब यह है कि 11 वर्षों में अनुमानित 26.9 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा से ऊपर उठ गए हैं। नया उपभोग व्यय सर्वेक्षण दर्शाता है कि लोग पहले की तुलना में अधिक खर्च कर रहे हैं, जिससे गरीबी रेखा से नीचे आना कठिन हो गया है। किन देशों में कौन सी गरीबी रेखा - कम आय वाले देश : पहले 2.15 डॉलर/प्रतिदिन थी, अब 3 डॉलर हुई। इसे ‘अत्यंत गरीबी का मापदंड माना जाता है। - निम्न-मध्यम आय वाले देश : पहले 3.65 डॉलर/प्रतिदिन थी, अब 4.20 डॉलर हो गई है। - मध्यम-आय वाले देश : पहले 6.85 डॉलर/प्रतिदिन थी, अब 8.30 डॉलर कर दी गई है। भारत के लिए मायने - 4.20 डॉलर प्रतिदिन की गरीबी रेखा के अनुसार, वर्ष 2022 में 23.9% भारतीय इससे नीचे थे। पहले यह आंकड़ा 28.1% था। - भारत के लिए यह रेखा भविष्य में अधिक प्रासंगिक होगी क्योंकि अत्यधिक गरीबी काफी हद तक कम हो चुकी है।
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