ईरान-ईराक के धार्मिक स्थलों के दर्शन कर वतन लौटे जायरीन
Siddhart-nagar News - 29 एसआईडीडी 31: डुमरियागंज क्षेत्र के हल्लौर में स्थित वक्फ बोर्ड इमामबारगाह में मजलिस पढ़ते मौलाना अली अब्बास जैनबी

सिद्धार्थनगर, हिन्दुस्तान टीम। ईरान व ईराक में मुसलमानों के धार्मिक स्थलों के 21 दिवसीय जियारत (दर्शन) के लिए जायरीनों का समूह हल्लौर गांव से रवाना हुआ था। गुरुवार को वापस घर लौटने पर गांव के लोगों ने उनसे मिलकर गले में फूल माला डाली और खुशी का इजहार किया है। इस अवसर पर मजलिस का आयोजन किया गया। हल्लौर स्थित वक्फ बोर्ड शाह आलमगीर सानी इमामबारगाह में आयोजित मजलिस की मर्सिया शाहिद आलम व साथियों ने पढ़ी। मौलाना अली अब्बास जैनबी ने कहा कि इस्लाम धर्म अपने वसूलों के जरिए दुनिया में फैला हुआ है। इसको दुनिया में रहने वाले लोगों के बीच फैलाने में पैग़म्बरे रसूल हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल के बाद हज़रत अली अस, इमाम हुसैन अस व बीबी फातिमा आदि ने भी अपना योगदान दिया है।
इनकी शहादत के बाद ईरान और ईराक में बनी कब्रगाह को रौजा बनाया गया जहां पर दुनिया के कोने कोने से मानने वाले लोग जियारत करने के लिए पहुंचते रहते हैं। उन्होंने कहा ऐसे पाक स्थलों पर जाने वाले लोग बहुत खुशनसीब होते हैं। अंत मे कर्बला के शहीदों का दर्द भरा मसायब बयान किया। सुनकर लोगों की आंखें नम हो गईं। मजलिस के बाद बदरूल हसन, मजहर अब्बास सहित आठ महिलाओं के गले में फूल माला पहनाया गया और उनसे गले लगकर स्वागत किया गया। इस दौरान जमाल हैदर, अली ताहिर, वजीर हैदर, मेहंदी हैदर, अजादार हुसैन, इक़्तेदार मेहंदी, मोजिज अब्बास, वजारत हुसैन, अब्बास हैदर आदि मौजूद रहे।
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