Waterlogging Threatens Sitapur Dilapidated Roads and Poor Drainage Before Monsoon बोले सीतापुर- शहर की जर्जर सड़कों से बारिश में गहरी होगी जल भराव की समस्या, Sitapur Hindi News - Hindustan
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बोले सीतापुर- शहर की जर्जर सड़कों से बारिश में गहरी होगी जल भराव की समस्या

Sitapur News - सीतापुर में मानसून से पहले हल्की बारिश ने जल भराव की स्थिति पैदा कर दी है। नगर पालिका के नाले चोक हैं, जिससे मुख्य बाजारों और रिहायशी इलाकों में जल भराव की संभावना है। स्थानीय निवासी वर्षों से इन...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीतापुरSun, 8 June 2025 04:55 PM
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बोले सीतापुर- शहर की जर्जर सड़कों से बारिश में गहरी होगी जल भराव की समस्या

सीतापुर। शहर में अभी मानसून ने पूरी तरह दस्तक नहीं दी है, लेकिन हल्की बूंदाबांदी ने ही शहर के कई निचले इलाकों में जल भराव की स्थिति पैदा कर दी है। नगर पालिका के नाले और नालियां सफाई के अभाव में पूरी तरह से चोक पड़े हैं। ऐसे में जब मानसून पूरी तरह से सक्रिय होगा, तो शहर के मुख्य बाजारों और रिहायशी इलाकों में जल भराव की भयावह स्थिति उत्पन्न होना तय है। सबसे खराब हालत शहर की मुख्य बाजार घंटाघर से गुरुद्वारा रोड, वाल्दा रोड की काफी खराब है। हालात ये हैं कि ये दोनों सड़के गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं।

ये कोई नई बात नही है, करीब दो दशकों से इन मुख्य मार्गों की हालत कोई बदलाव नहीं आया है। बरसात के दिनों में इन मार्गों पर तो लोगों का निकलना तक दूभर हो जाता है। इस साल भी बीते सालों जैसी स्थिति होने का अनुमान है। मौजूदा सड़कों की हालत को देखते हुए इस साल की स्थिति बीते कई सालों के मुकाबले और भी बदतर हो सकती है। इतना ही नहीं, यह मार्ग वीवीआईपी आवागमन का भी एक प्रमुख रास्ता है। शहर विधायक और प्रदेश सरकार में एक बड़े मंत्री इसी सड़क से होकर रोज गुजरते हैं। इसके बावजूद, इस मार्ग की हालत में कोई सुधार नही हुआ है। इसके अलावा इसी मार्ग पर जिला अस्पताल के अलावा कई इंटर कॉलेज भी है। जिसकी वजह से स्कूली छात्रों और खासकर इस मार्ग से गुजरने वाले मरीजों को खासी दिक्कतों को सामना करना पड़ता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सालों से ये रोड इसी हाल में है। सड़क में गहरे-गहरे गड्ढे हो गए हैं। जिसकी वजह से आए दिन हादसे होते रहते हैं। गहरे-गहरे गड्ढे न केवल वाहनों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि पैदल चलने वालों के लिए भी खतरा बने हुए हैं। थोड़ी सी बारिश में ही ये गड्ढे पानी से भर जाते हैं, जिससे उनकी गहराई का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। बारिश करीब है और समय तेजी से निकल रहा है। यदि जिला प्रशासन और नगर पालिका ने जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए, तो सीतापुर एक बार फिर जल भराव और जर्जर सड़कों के कारण होने वाली समस्याओं में घिर जाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार जनता की आवाज सुनी जाती है, या फिर हर साल की तरह इस बार भी लोगों को अपनी किस्मत पर रोना पड़ेगा। शहरवासियों को उम्मीद है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या का संज्ञान लेगा और युद्धस्तर पर सड़कों की मरम्मत तथा जल निकासी की व्यवस्था को दुरुस्त करेगा, ताकि उन्हें बारिश के दिनों में होने वाली दुश्वारियों से निजात मिल सके। बीस साल का इंतजार और बढ़ी हुई मुश्किलें --- शहर के पुराने बाशिंदे बताते हैं कि घंटाघर से गुरुद्वारा रोड और वाल्दा रोड की हालत दशकों से खराब है। करीब दो दशक से इन मार्गों की मरम्मत और रख रखाव के नाम पर सिर्फ लीपापोती ही हुई है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि ये सड़कें हमेशा से ऐसी ही रही हैं। हर साल बारिश में हम दलदल में फंस जाते हैं। प्रशासन सिर्फ वादे करता है, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं होता। हमारी दुकानें इन सड़कों के किनारे हैं। बारिश में ग्राहक यहां आना ही नहीं चाहते। सड़क पर पानी भर जाता है और कीचड़ फैल जाती है। व्यापार पर इसका सीधा असर पड़ता है। हमने कई बार नगर पालिका और जिला प्रशासन को ज्ञापन दिए हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। वाल्दा रोड की स्थिति भी गुरुद्वारा रोड से कम बदतर नहीं है। इस सड़क पर भी गहरे गड्ढे और जलभराव आम बात है। यह सड़क भी घनी आबादी वाले क्षेत्र से गुजरती है और यहां भी भारी आवाजाही रहती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन सड़कों पर चलते समय हमेशा दुर्घटना का डर बना रहता है। विशेष रूप से रात के समय या बारिश के दौरान यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है। स्वास्थ्य जोखिम और आर्थिक नुकसान --- जल भराव से न केवल आवागमन बाधित होता है, बल्कि यह स्वास्थ्य जोखिमों को भी बढ़ाता है। रुके हुए पानी में मच्छर पनपते हैं, जिससे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, जलभराव से उत्पन्न गंदगी और दूषित पानी से पेट संबंधी बीमारियां और त्वचा संक्रमण भी फैलते हैं। आर्थिक रूप से भी जर्जर सड़कें और जलभराव शहर के लिए नुकसानदायक हैं। व्यापारियों को व्यापार में घाटा होता है, क्योंकि ग्राहक बाजारों से दूर रहते हैं। वाहनों को नुकसान पहुंचता है, जिससे लोगों को मरम्मत पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है। समय की बर्बादी और उत्पादकता में कमी भी एक बड़ा आर्थिक बोझ है। प्रशासन की चुप्पी पर सवाल --- विकास के बड़े-बड़े दावों के बीच शहर के गुरूद्वारा और वालदा रोड जैसे मुख्य मार्गों की हालत में कोई सुधार नही हो सका है। सालों से लोग इन जर्जर सड़को पर सफर करने को मजबूर है। स्थानीय लोग प्रशासन की उदासीनता और लापरवाही पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं। जब मुख्य बाजार और वीवीआईपी मार्ग की यह दुर्दशा है, तो शहर के अन्य अंदरूनी इलाकों की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। लोगों को कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीतापुर जैसे ऐतिहासिक शहर की मुख्य सड़कें इतनी खराब हालत में हैं। मुख्य सड़कों पर जलभराव की स्थिति है। प्रशासन को जनता की सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। केवल कागजों पर विकास दिखाने से काम नहीं चलेगा। कई सामाजिक संगठनों ने भी इस मुद्दे पर आवाज उठाई है और प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर बारिश से पहले सड़कों की मरम्मत और जल निकासी की व्यवस्था दुरुस्त किए जाने की मांग की है। सुझाव - - मानसून से पहले सड़कों के सभी बड़े गड्ढों को भरकर मरम्मत की जाए। -सड़कों के दोनों ओर नई और प्रभावी जल निकासी नालियों का निर्माण कराया जाए। - सड़कों का निर्माण इस तरह हो कि पानी नालियों की ओर बहे और कहीं भी इकट्ठा न हो। - सड़कों और नालियों की नियमित सफाई और रखरखाव के लिए एक स्थायी टीम बनाई जाए। - लोगों को जलभराव रोकने के लिए नालियों में कूड़ा न डालने के लिए जागरूक किया जाए। - सड़क निर्माण या मरम्मत से पहले, स्थानीय व्यापारियों और निवासियों की समस्याओं को सुना जाए। शिकायतें - - मानसून से पहले न तो सड़कों के गड्ढों की मरम्मत और न नालों की सफाई होती है। -सड़कों के दोनों ओर नई और जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं है। - सड़कों का निर्माण इस तरह से हैं कि बारिश का पानी सड़कों पर ही भरता है। - सड़कों और नालियों की नियमित सफाई और रखरखाव की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। - लोगों को जल भराव रोकने के लिए नालियों में कूड़ा न डालने के लिए लोगों में जागरूकता की कमी है। - सड़क निर्माण या मरम्मत से पहले, स्थानीय व्यापारियों और निवासियों की समस्याओं को नहीं सुना जाता है। प्रस्तुति- अविनाश दीक्षित

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