बोले प्रयागराज : डॉक्टरों का टोटा, ईंट पर टिकी कुर्सी, मोबाइल पर भेज रहे एक्स रे रिपोर्ट
Prayagraj News - कोटवा एट बनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सुविधाओं की गंभीर कमी है। डॉक्टरों की कमी, दवाओं का अभाव और अव्यवस्थित सेवाएं मरीजों को कठिनाइयों का सामना करने को मजबूर कर रही हैं। गंभीर मरीजों...
हनुमानगंज, हिन्दुस्तान संवाद। मूलभूत सुविधाओं में चिकित्सा बुनियादी जरूरत है। केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से तमाम स्वास्थ्य योजनाएं संचालित की जा रही हैं। ग्रामीणों के इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त रखने का दावा किया जाता है, लेकिन धरातल पर सच बिल्कुल अलग है। डॉक्टरों की कमी, दवाओं का टोटा मरीज-तीमारदारों पर भारी पड़ रहा है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने ‘बोले प्रयागराज शृंखला के तहत बहादुरपुर ब्लॉक के सीएचसी कोटवा एट बनी की हकीकत जानी। मरीजों-तीमारदारों से बातचीत की तो उनका दर्द छलक पड़ा। सभी ने अव्यवस्था पर रोष जताते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवा के नाम पर लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा है।
अस्पताल में पर्याप्त डॉक्टर तक नहीं हैं। इससे समुचित इलाज नहीं मिल पाता। गंभीर मरीजों को लेकर शहर के अस्पतालों में ले जाना पड़ता है। सीएचसी कोटवा एट बनी जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित कोटवा एट बनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिदिन 200 से 250 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। महाकुम्भ के दौरान अस्पताल के जीर्णोद्धार के नाम पर एक करोड़ बीस लाख रुपये खर्च किए गए, फिर भी मरीजों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस ब्लॉक में दो सीएचसी संचालित हैं। दोनों अस्पतालों में जहां कम से कम आठ डॉक्टर होने चाहिए, वहां तीन डॉक्टरों के सहारे ओपीडी और इमरजेंसी सेवा चलाई जा रही है। यहां पर एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक नियुक्त नहीं है। हर रोज प्रसव होते हैं फिर भी कोई बाल रोग विशेषज्ञ नहीं है। हार्ट के मरीजों की जांच के लिए सीएचसी में ईसीजी मशीन तक नहीं है। डेंटल चेयर वर्षों से टूटी पड़ी है। डॉक्टर कुछ दिन तक ईंट के सहारे टूटी डेंटल चेयर से काम लेते रहे, लेकिन अब उस लायक भी नहीं रही। किसी तरह एक्स-रे मशीन की सेवा तो शुरू हुई, लेकिन एक्स-रे इमेज का टोटा आज तक बना हुआ है। एक्स-रे टेक्निशियन बृजलाल बताते हैं कि एक्स-रे करने के बाद इमेज को मरीज के स्मार्ट मोबाइल पर सेंड कर देते हैं, लेकिन जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है उन्हें एक्सरे इमेज कैसे दी जाती है इसका कोई जवाब नहीं है। हेल्थ एटीएम से 72 जांच का दावा खोखला दो साल पहले लगे हेल्थ एटीएम से मामूली खर्च और कम समय में गंभीर बीमारियों की 72 जांच और रिपोर्ट उपलब्ध होने का दावा किया गया था, लेकिन लाखों रुपये लागत की मशीन से मरीजों का महज लंबाई और वजन नापा जा रहा है। कारण बताया गया कि जांच के लिए स्ट्रिप्स नहीं है। ऑक्सीजन प्लांट का उपयोग नहीं कोरोना काल में हंस फाउंडेशन संस्था की ओर से करीब 50 लाख की लागत से यहां ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया था। कोरोना बढ़ने पर प्लांट को झाड़ पोंछ कर इसकी क्रियाशीलता चेक कर ली जाती है। आम दिनों में प्लांट का कोई उपयोग नहीं है। रेफरल सेंटर बनकर रह गया है सीएचसी 113 गांवों के लोगों का सहारा यह अस्पताल महज रेफरल सेंटर बनकर रह गया है। वैसे यह अस्पताल 30 बेड का है, लेकिन शायद ही किसी मरीज को रात-दो रात के लिए भर्ती किया गया हो। भर्ती होने वाले मरीजों को या तो कुछ घंटे बाद छुट्टी दे दी जाती है या फिर उन्हें बड़े अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है। परिसर में ही जलाया जा रहा मेडिकल कचरा मेडिकल कचरा, सिरिंज, प्लास्टिक आदि परिसर में ही जलाए जा रहे हैं, जबकि मेडिकल वेस्ट निस्तारण के लिए फेरो कंपनी की कूड़ा गाड़ियां लगाई गई हैं। बताया गया कि कूड़ा गाड़ी के नहीं आने पर सफाई कर्मी कचरे को जला देते हैं। जबकि सीएचसी परिसर से सटा एक विद्यालय भी है। वातावरण प्रदूषित होने पर बच्चे भी जद में आ जाएंगे। कचरा जलाने की जानकारी होने पर सीएचसी अधीक्षक ने सफाईकर्मियों को फटकार लगाई। महाकुम्भ ड्यूटी पर गए स्वास्थ्यकर्मी नहीं हुए रिलीव सीएचसी अधीक्षक मनीष कुमार मौर्या बताते हैं कि स्टाफ की कमी बहुत बड़ी समस्या है। महाकुम्भ ड्यूटी में लगाए गए आधा दर्जन स्वास्थ्यकर्मी अभी तक रिलीव नहीं किए गए हैं। महाकुम्भ ड्यूटी पर लगाए गए हेल्थ सुपरवाइजर विजय, सियाराम, लैब टेक्नीशियन संतोष, जनार्दन सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी जियालाल व एक्स-रे टेक्निशियन बृजलाल सिंह बताते हैं कि विवशता में उन्हें दोनों जगह काम करना पड़ रहा है। शिकायतें और सुझाव - सीएससी में किसी विशेषज्ञ डॉक्टर की नियुक्ति नहीं है। - अस्पताल परिसर में मेडिकल कचरा जलाने से प्रदूषण बढ़ रहा है। - कई स्वास्थ्यकर्मी अस्पताल में समय से नहीं आते हैं। - रैबीज इंजेक्शन लगाने के लिए 20 से 50 रुपये की वसूली होती है। - गंभीर मरीजों को इलाज न मिलने से शहर ले जाना पड़ता है। - एक बाल रोग विशेषज्ञ सहित दो विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति होनी चाहिए। - आधा दर्जन स्वास्थ्य कर्मियों को अविलंब महाकुम्भ ड्यूटी से रिलीव करना चाहिए। - मरीजों को रेफर करने के बजाए भर्ती कर इलाज देने की व्यवस्था की जाए। - अस्पताल परिसर में मेडिकल कचरा जलाने वालों पर कार्रवाई की जाए। - रैबीज इंजेक्शन के नाम पर होने वाली वसूली भी बंद हो, संबंधित पर कार्रवाई हो। हमारी भी सुनें बेटवा के पेट में दर्द होत बा, तीन बार से दवाई लई जात हई, अराम नाही लगत बा। हिया घंटन लंबी लाइन में खड़ा होईके पड़त हय। जांच के लिए कभहु ई कमरा तो कभहू उ कमरा दौड़ई के पड़त हय। - राम अभिलाष सुबह आठ बजे से अस्पताल में आए हैं, पैर में बहुत दर्द है। दस बज रहे हैं, अभी तक डॉक्टर नहीं बैठे हैं। इस अस्पताल की व्यवस्थाएं नहीं सुधर रही हैं। जिम्मेदार बेपरवाह हैं। - अरविंद कुमार मरीज दोस्त के दांत में बहुत दर्द था। सीएचसी में दिखाने गए तो डेंटल कक्ष में ताला लटक रहा था। पता चला डॉक्टर छुट्टी पर हैं। बिना दिखाए ही लौटना पड़ा। - संजना सीने में दर्द हो रहा था। डॉक्टर ने एक्स-रे के लिए लिखा था। सीएचसी में एक्स-रे तो हुआ लेकिन एक्स-रे फिल्म नहीं दी गई। अस्पताल में व्यवस्थाएं ठीक नहीं होने के कारण लोगों को परेशान होना पड़ता है। - ज्ञानेंद्र कुमार सिंह सीएचसी में सुविधाओं के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। कभी डॉक्टर नही तो कभी जांच किट नहीं। जिम्मेदारों की लापरवाही और मनमानी की वजह से आम जनता परेशान होती है। -शिव शंकर तिवारी सरकार स्वास्थ्य विभाग पर पानी की तरह पैसा बहा रही है, लेकिन लोगों को समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। सीएचसी में न तो बाल रोग विशेषज्ञ हैं और न ही कोई एमडी मेडिसन। - प्रभात कुमार पांडेय एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाने के लिए रुपये मांगे जाते हैं। इसकी शिकायत अधीक्षक से की गई थी, लेकिन वसूली बंद नहीं हुई। जिम्मेदार ही जब खामोश हैं तो व्यवस्था कैसे सुधरेगी। - प्रदीप कुमार सिंह, ग्राम प्रधान बनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवरिया दो फार्मासिस्टों के सहारे चल रहा है। यहां पर भी डॉक्टर के बैठने की व्यवस्था हो। मरीजों को इलाज मिलने से बड़ी राहत होगी। - सचिन सिंह, ग्राम प्रधान देवरिया हृदय रोग के मरीजों की जांच के लिए ईसीजी मशीन नहीं है। हेल्थ एटीएम की जांच स्ट्रिप भी नहीं रहती है। इससे इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। --करुणा शंकर दुबे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए मात्र एक सहारा है। लेकिन संसाधनों का अभाव और जिम्मेदारों की लापरवाही से अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा है। अव्यवस्थाएं सुधरी जाएं। - बृजेश श्रीमुख अस्पताल में इमरजेंसी सेवा ठीक नहीं है। मरीजों को यहां से रेफर कर दिया जाता है। इससे लोगों को बहुत परेशानी होती है। अस्पताल में समुचित इलाज की व्यवस्था की जानी चाहिए। बेला सिंह एक्स-रे करने के बाद इमेज फिल्म नहीं देते हैं। बताते हैं एक्स-रे फिल्म नहीं है। एक्स-रे इमेज को मोबाइल में भेज देते हैं। जिनके पास स्मार्टफोन मोबाइल नहीं होता उन्हें एक्स-रे का लाभ नहीं मिल रहा है। - धर्मेंद्र जयसवाल बोले जिम्मेदार दोनों सीएचसी के लिए कम से कम आठ डॉक्टरों की जरूरत पड़ती है, लेकिन स्टाफ बहुत कम है। पैथोलॉजी में कोई दिक्कत नहीं है। रोज 40-50 मरीजों की जांच हो रही है। रही बात एक्स-रे फिल्म और हेल्थ एटीएम जांच स्ट्रिप्स की तो जिले में उपलब्ध होने पर सीएचसी में भी आती है। गर्मी में आने वाले मरीजों के लिए ठंडा पेयजल उपलब्ध रहता है। यहां प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा का भी पूरा ख्याल रखा जाता है। - मनीष कुमार मौर्या, सीएचसी अधीक्षक बोले जनप्रतिनिधि जिले में सबसे अधिक मरीज ओपीडी में देखने के मामले में सीएचसी कोटवा एट बनी का नाम आता है। यहां पर कुछ संसाधन और मैन पावर की कमी की जानकारी हुई है। कुछ कर्मचारी महाकुम्भ मेला ड्यूटी से अभी तक रिलीज नहीं हुए हैं। इसके लिए प्रयागराज मेलाधिकारी से बात कर उन्हें शीघ्र रिलीज कराने का प्रयास करूंगा। सीएचसी परिसर में लगे ऑक्सीजन प्लांट का भी सही उपयोग करने के लिए प्लान बनाने पर चर्चा करूंगा। - प्रवीण पटेल, सांसद फूलपुर सर्किट हाउस में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह की समीक्षा बैठक में सीएचसी में स्टाफ की कमी का मुद्दा उठाया था। विभागीय उच्चाधिकारियों ने शीघ्र ही स्टाफ की कमी को पूरा करने का भरोसा दिया है। शेष अन्य समस्याओं के लिए चिकित्सा मंत्री से बात कर सेवाएं बेहतर कराने का प्रयास करूंगा। - दीपक पटेल, विधायक फूलपुर
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