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कभी बाहरी दुश्मन के खिलाफ अब… IRS योगेंद्र के कारगिल युद्ध लड़ने वाले पिता आए सामने

लखनऊ के इनकम टैक्स दफ्तर में IRS अफसर गौरव गर्ग पर हमले में आरोपी IRS अफसर योगेंद्र मिश्रा के कारगिल युद्ध लड़ने वाले पिता गोविंद नारायण मिश्रा सामने आ गए हैं। उन्होंने कहा कि कभी बाहरी दुश्मन के खिलाफ वर्दी पहन कर डटा था। अब भीतरी दुश्मनों से बेटे को बचाने के लिए काले कोट में खड़ा हूं।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानThu, 5 June 2025 12:18 AM
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कभी बाहरी दुश्मन के खिलाफ अब… IRS योगेंद्र के कारगिल युद्ध लड़ने वाले पिता आए सामने

लखनऊ के इनकम टैक्स दफ्तर में पिछले हफ्ते दो आईआरएस अफसरों के बीच हुए विवाद के बाद बुधवार को बड़ा एक्शन हुआ। उपायुक्त गौरव गर्ग पर हमले के आरोप में ज्वाइंट कमिश्नर योगेंद्र मिश्रा को निलंबित कर दिया गया। योगेंद्र के निलंबित होते ही कारगिल का युद्ध लड़ने वाले उनके बुजुर्ग पिता गोविंद नारायण मिश्रा सामने आए।उन्होंने कहा कि कभी बाहरी दुश्मन के खिलाफ वर्दी पहन कर डटा था। अब भीतरी दुश्मनों से बेटे को बचाने के लिए काले कोट में खड़ा हूं।

खुद एक वकील गोविंद नारायण मिश्रा ने एक्स पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए। इसमें कहा कि आज एयर फोर्स अधिकारी या वकील के रूप में यह ट्वीट नहीं कर रहा बल्कि एक ईमानदार आईआरएस अफसर योगेंद्र मिश्रा के पिता के रूप में कर रहा हूं। ऐसे बेटे के पिता के रूप में अपनी बातें रख रहा हूं जिसे आईपीसी की धारा 307 का गलत इस्तेमाल कर सस्पेंड किया गया है। योगेंद्र मिश्रा के ही हैंडल से किए गए ट्वीट को उन्होंने केवल पीएमओ को टैग भी किया है।

उन्होंने आगे लिखा कि मैंने कारगिल के दौरान श्रीनगर एयरफोर्स स्टेशन से देश की सेवा की। मेरा बेटा उस समय केवल 12 साल का था। बमों की आवाज सुनकर बड़ा हुआ वह बच्चा एक निडर, सिद्धांतवादी अधिकारी बन गया। आज उसी बच्चे को उसकी ईमानदारी की सजा मिल रही है। कहा कि योगेंद्र मिश्रा गोल्ड मेडलिस्ट रहा है। सीबीएसई का टॉपर रहा और उसका सेलेक्शन IES, ISRO, NTPC में भी हुआ। लेकिन उसने आईपीएस की जगह आईआरएस को क्यों चुना? क्योंकि वह कहता था कि उसे सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार से लड़ना है। अब वही सिस्टम उसे तबाह करने पर तुल गया है।

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इनकम टैक्स दफ्तर में हुई घटना को बयां करते हुए उन्होंने कहा कि 29 मई को आईआरएस गौरव गर्ग की तहरीर पर उनकी आईपीएस पत्नी रवीना त्यागी और इनकम टैक्स मुख्यालय के ही भ्रष्ट मंडली के सहयोग से आईपीसी 307 यानी जानलेवा हमले की धारा में झूठी एफआईआर दर्ज की गई। जबकि वहां कोई हथियार नहीं था। कोई चोट नहीं मिला। कोई मकसद भी नहीं। केवल कुछ उजागर होने के डर से यह सब किया गया।

इसलिए रची गई योगेंद्र मिश्रा के खिलाफ साजिश

उन्होंने कहा कि यह साजिश केवल इसलिए रची गई क्योंकि मेरे बेटे ने मुख्यालय के लिए की गई खरीद में आठ करोड़ के गबन को उजागर करने की हिम्मत की। पेपर, प्रिंटर, सोफा, यहां तक कि जगुआर बाथरूम फिटिंग फाइल पर और सस्ती फीटिंग साइट पर हुई। वह भी बेनामी फर्मों के द्वारा सबकुछ किया गया। योगेंद्र मिश्रा ने इसे उजागर किया तो भ्रष्टाचार मंडली द्वारा चुप करा दिया गया। उन्होंने लखनऊ में DTRTI छात्रावास के अधिग्रहण का विरोध किया। इसमें फर्जी सौना और स्टीम बाथ, गलत बिलिंग, घटिया निर्माण हुआ था। उन्होंने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया तो उन्हें धमकाया गया। उन्होंने रिपोर्ट की लेकिन किसी ने कार्रवाई नहीं की।

आरोप लगाया कि आईआरएस पोस्टिंग को किसी सामान की तरह बेचा। जांच के लिए ₹50 लाख, सेंट्रल सर्किल के लिए ₹50 लाख, लखनऊ/वाराणसी रिटेंशन के लिए ₹5-10 लाख। योगेंद्र ने एलपीसी रिकॉर्ड की मांग करते हुए आरटीआई दायर की। गौरव गर्ग ने इसका जवाब नहीं दिया। एक महिला अफसर का नाम लिखते हुए कहा कि वहां अपील तक खारिज कर दी गई।

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इनकम टैक्स दफ्तर के सीसीटीवी में सच्चाई कैद

कहा कि योगेंद्र ने सबूतों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से सीआईटी (प्रशासन) के चैंबर में शांतिपूर्वक बातचीत की। गौरव गर्ग ने योगेंद्र को थप्पड़ मारा। योगेंद्र ने अपना बचाव किया। सीसीटीवी में सारी सच्चाई कैद है। लेकिन इसके बाद भी योगेंद्र पर ही आईपीसी 307 यानी हत्या के प्रयास की धारा में एफआईआर दर्ज कर ली गई। इसके बाद योगेंद्र के परिवार को परेशान करने की शुरुआत हुई। उनकी पत्नी और नाबालिग बेटी तक का पीछा किया गया।

गिनाईं योगेंद्र मिश्रा की उपलब्धियां

पिता ने योगेंद्र मिश्रा की उपलब्धियां भी गिनाईं। कहा कि सलोनी ऑयल्स में ₹800 करोड़ का भंडाफोड़ किया। ₹1000 करोड़ की बेनामी संपत्ति जब्त की। चावला ग्रुप में ₹100 करोड़ से ज्यादा डिमांड निकली। बीएनआर ऑयल्स, बसंत ऑयल्स में ₹100 करोड़ से अधिक की कर चोरी उजागर की। बेनामी ट्रिब्यूनल में जीत, जबकि सीबीआई और सभी का समर्थन उसे हासिल था। वह भी बिना किसी ड्रामे के हासिल किया।

आरोप लगाया कि योगेंद्र के बिल्कुल विपरीत गौरव गर्ग ने काम किया। देश की जगह भ्रष्ट लोगों की सेवा की। छापेमारी के दौरान भी मारपीट की। जब्त की गई नकदी को भी व्यावसायिक आय बताकर छोड़ दिया। करोड़ों पर 78%-117% तक फाइन लगाने की जगह केवल 20% लगाया। शेल फर्मों पर कोई कार्रवाई नहीं की। एसटीआर पर कोई फालोअप नहीं।

कहा कि योगेंद्र को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि उन्होंने आदेश मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने सबूत दाखिल किए। उन्होंने डीजीआईटी (प्रशिक्षण), सीपी लखनऊ और सीबीडीटी को पत्र लिखा। उन लोगों ने योगेंद्र को इसलिए सस्पेंड कियाा क्योंकि उनकी छवि को नष्ट कर सकें। उनकी इच्छाा शक्ति को तोड़ सकें। मैंने उसे रोते देखा। जो लड़का श्रीनगर में मोर्टार फायर के बीच बड़ा हुआ था। जो कभी कक्षा में दूसरे स्थान पर नहीं आया। जिसने कहा था पापा, सच बोलना और सच के लिए जीना सीखा है, अब झुक नहीं सकता।

कहा कि यह लड़ाई अब केवल हमारी नहीं है। यह लड़ाई अब हर ईमानदार अफसर की है। हर देशभक्त और हर उस माता-पिता की लड़ाई है, जिसका बच्चा सही रास्ते पर चलने की हिम्मत करता है। मैं इस देश को बाहरी दुश्मनों से बचाने के लिए वर्दी में खड़ा था। अब मैं अपने बेटे को अंदरूनी दुश्मनों से बचाने के लिए काले कोट में खड़ा हूं।

योगेंद्र सिर्फ़ मेरा बेटा नहीं है। वह एक स्वतंत्रता सेनानी की विरासत और इस देश के एक वायुसेना अधिकारी का बेटा है। और इस देश की अपनी व्यवस्था ने उसे हत्या के प्रयास के झूठे आरोप में फंसा दिया।

उन्होंने सीबीडीटी अधिकारियों, मीडिया और देशवासियों से भी अलग-अलग अपील की। उन्होंने सीबीडीटी से अपील की कि ईमानदार अधिकारियों को नहीं भ्रष्ट अफसरों को निलंबित करें। मीडिया से कहा कि बदनाम करने से पहले पुष्टि कर लें। और देशवासियों से कहा कि अगर एक बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले आईआरएस अधिकारी को इस तरह से बर्बाद किया जा सकता है - तो दूसरों के पास क्या मौका है?

उन्होंने वकीलों से अपील करते हुए कहा कि यह आपकी भी लड़ाई है। सत्य को दंडित किया जा रहा है। न्याय का मज़ाक उड़ाया जा रहा है। जब व्यवस्था पहला हथियार बन जाए तो हमारी अदालतें अंतिम शरणस्थली बन जानी चाहिए। बुजुर्गों और सैन्यकर्मियों के परिवारों से कहा कि अगर हम भारत को बचाने के लिए सीमा पर लड़ सकते हैं तो भारत की न्याय व्यवस्था को बचाने के लिए एक साथ खड़े हो जाएं। आइए सुनिश्चित करें कि अग्निपथ पर चलने वाला कोई भी बेटा खून से लथपथ न रहे।

अंत में योगेंद्र मिश्रा के लिए लिखा कि बेटे तुम अकेले नहीं हो। तुम्हारे पीछे तुम्हारे पिता की वर्दी है। तुम्हारे साथ कानून है। तुम्हारे हाथ में सत्य है। और अब पूरा देश तुम पर नज़र रख रहा है। कहा कि बेटे हरिवंश राय बच्चन की कविता हमेशा याद रखना।

तू न थकेगा कभी,

तू न रुकेगा कभी,

तू न मुड़ेगा कभी,

कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ

अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

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