बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर मचा घमासान, गोस्वामी समाज ने किया विरोध; मंदिर में लगाए पोस्टर
बांके बिहारी मंदिर के कॉरिडोर का निर्माण होना है। सरकार ने इसके निर्माण लेकर पूरी प्लानिंग तैयार कर ली है। निर्माण में कहां कितना खर्च होगा? इसका भी इस्टीमेट बन चुका हे, लेकिन कॉरिडोर के निर्माण से पहले ही घमासान मच गया।

यूपी में बांके बिहारी मंदिर के कॉरिडोर का निर्माण होना है। सरकार ने इसके निर्माण लेकर पूरी प्लानिंग तैयार कर ली है। निर्माण में कहां कितना खर्च होगा? इसका भी इस्टीमेट बन चुका हे, लेकिन कॉरिडोर के निर्माण से पहले ही घमासान मच गया। मंदिर में पूजा पाठ कराने वाला गोस्वामी समाज इसके विरोध में उतर आया है। कॉरिडोर के विरोध में विश्व प्रसिद्ध लाडलीजी मंदिर में पोस्टर भी लगाए गए हैं। नंदगांव व बरसाना के मंदिरों के पुजारियों ने कॉरिडोर और अध्यादेश लाए जाने के विरोध में प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
कॉरिडोर के विरोध में नंदगांव, बरसाना के सेवायतों ने लाडलीजी के सामने मुखिया रामभरोसे गोस्वामी की अध्यक्षता में बैठक भी हुई। बैठक में दोनों कस्बों के गोस्वामियों ने निर्णय लिया कि दोनों मंदिरों से जुड़े सेवायत और स्थानीय लोग वृंदावन जाएंगे और वृंदावन के गोस्वामियों के विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे। सेवायतों ने कहा कि बांके बिहारी न्यास बनाने के लिए जो अध्यादेश प्रदेश सरकार द्वारा लाया गया है, वह गलत है। सेवायतों ने कहा कि ब्रज और वृंदावन का स्वरूप यहां की कुंज गलियां हैं। जिनका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों व कविता और पदों में मिलता है। बरसाना मंदिर के पुजारी माधव गोस्वामी और ललित ने कहा कि कॉरिडोर बनाने पर सरकार आमादा है। इससे ब्रज का कल्चर बदल जाएगा।
मंदिरों में बीआईपी, मंत्री दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं, उनकी 8-10 गाड़ियां आती है। उनमें दर्जनों अधिकारी कर्मचारी या नेता शामिल होते हैं। मंदिरों में उनकी कोशिश होती है कि उनको वीआईपी ट्रीटमेंट मिले, मंदिर से ही प्रसाद मिले। मंदिरों में साधारण यात्रियों की तरह वीआईपी को आना चाहिए, ताकि भीड़ ज्यादा नहीं हो। इससे मंदिरों में अव्यवस्था फैलती है। यदि सरकार विकास कराना चाहती हैं तो कुंज गलियों को ही सुंदर बनाये, ताकि यात्रियों को इधर-उधर निकाला जा सके। जिससे ब्रज की संस्कृति बनी रह सके।
क्यों पड़ी कॉरिडोर की जरूरत
रोजाना मथुरा और वृंदावन में सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं। बांके बिहारी मंदिर के लिए जो रास्ता जाता है वह वह बहुत छोटा रास्ता है। इस रास्ते पर जब श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती है तो यहां सांस लेना भी लोगों को दूभर हो जाता है। जिसके चलते कई बार व्यवस्था भी बिगड़ जाती है। कॉरिडोर बन जाने से श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने में आसानी होगी और भक्त दर्शन भी आसानी से कर सकेंगे, लेकिन गोस्वामीी समाज झुकने को तैयार नहीं है।
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी कॉरिडोर को लेकर दे चुका है फैसला
बात 19 अगस्त 2022 की है। उस दौरान मंगला आरती के समय दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और आठ लोग घायल हुए थे। इसके बाद मंदिर को बड़ा करने के लिए हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी मंदिर में कॉरिडोर बनाने का फैसला सुना दिया। लेकिन गोस्वामी समाज के लोगों ने इस फैसले से संतुष्ट नहीं दिखे और कॉरिडोर निर्माण को लेकर विरोध-प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।