ग्रेटर नोएडा में बिना अधिग्रहण बांटी गई 8 हजार वर्गमीटर जमीन, योगी सरकार ने 3 अधिकारियों को किया निलंबित
योगी सरकार ने ग्रेटर नोएडा में अधिग्रहण किए बिना ही 8000 वर्ग मीटर भूमि का आवंटन करने के मामले में तीन अधिकारियों के गम्भीर रूप से दोषी पाए जाने पर सस्पेंड कर दिया गया है।

योगी सरकार ने ग्रेटर नोएडा के पटवारी गांव में अधिग्रहण किए बिना ही 8000 वर्ग मीटर भूमि का आवंटन करने के मामले में तीन अधिकारियों के गम्भीर रूप से दोषी पाए जाने पर सस्पेंड कर दिया गया है। औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी ने सोमवार को तीनों अधिकारियों को निलंबित कर अनुशासनिक कार्रवाई संस्थित करने के निर्देश दिए।
मंत्री नंदी ने कहा कि बाकी कर्मचारियों की भूमिका के सम्बंध में भी जांच चल रही है। उनकी भूमिका को भी स्पष्ट करते हुए सूचना मांगी गई है। यदि उनकी भी गम्भीर लिप्तता सामने आएगी तो उनके खिलाफ भी कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। किसी भी अधिकारी एवं कर्मचारी की मनमानी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
साल 2008 में ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा पतवारी गांव में जमीन अधिग्रहण की प्रकिया शुरू की गई थी। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की योजना एलओपी-03 के अंतर्गत ग्राम पतवारी के खसरा संख्या 1245 में भूखण्ड नियोजित किए गए थे। 2023 में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने पटवारी गांव की भूमि पर आवासीय प्लॉट योजना की शुरूआत की और पांच आवंटियों को सबसे अधिक बोली लगाने पर आवंटन पत्र जारी कर दिया। ग्रेटर नोएडा के सेक्टर दो में पांच आवंटियों को 9600 वर्ग मीटर जमीन का आवंटन कर दिया गया।
जबकि इस खसरे के कुल 9600 वर्ग मीटर में से प्राधिकरण द्वारा मात्र 1600 वर्ग मीटर भूमि का ही अधिग्रहण किया गया था। लेकिन प्राधिकरण के सम्बंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा अनार्जित भूमि 8000 वर्ग मीटर के सापेक्ष त्रुटिपूर्ण लीज प्लान बनाने की कार्यवाही की गई। जिससे खसरा संख्या 1245 के कुल क्षेत्रफल 9600 वर्ग मीटर के सापेक्ष आवासीय भूखण्डों की योजना का प्रकाशन हुआ एवं मनिन्दर सिंह नागर व चार अन्य को भूखण्ड आवंटित किया गया।
प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहण किए बगैर ही भूखण्ड आवंटित किए जाने के कारण आवंटियों को कब्जा नहीं दिया जा सका। जिसके कारण आवंटी मनिन्दर सिंह नागर व चार अन्य द्वारा न्यायालय में याचिका दायर की गई। जिसके आधार पर 23 जनवरी 2025 को उच्च न्यायालय द्वारा जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था।