बोले उन्नाव : जनता की सेवा में लगे दिन-रात, समय पर मिले पगार तो बने बात
Unnao News - प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवान 1948 से जनता की सुरक्षा में लगे हैं, लेकिन उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वेतन में वृद्धि के बावजूद, उन्हें उचित मानदेय, संसाधनों की कमी, और भेदभाव का...
प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवान 1948 से लगातार अपनी सेवाएं देकर जनता को चैन की नींद देने का काम कर रहे हैं। सिपाही और होमगार्ड के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सर्दी हो या गर्मी, बिना धूप-छांव की परवाह किए सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से पीआरडी जवानों ने अपनी पीड़ा साझा की। सभी का एकसुर में कहना था कि लंबे समय से अपने हकों के लिए संघर्ष करने के बाद मात्र चंद रुपये ही बढ़े हैं मगर समस्याएं जस की तस बनी हैं। ड्यूटी लगाने में भेदभाव से लेकर संसाधनों की कमी, उचित मानदेय न मिलना, समय पर पगार का भुगतान न होना और वर्दी का अभाव जैसी समस्याओं से पीआरडी जवानों को जूझना पड़ रहा है।
पीआरडी जवान सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभाल रहे हैं। सिपाही की तरह ट्रेनिंग करके उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर ड्यूटी करने वाले इन जवानों के सामने इस महंगाई में बहुत बड़ा आर्थिक संकट खड़ा होता जा रहा है। सरकार उन्हें होमगार्ड से भी आधा मानदेय दे रही है। पीआरडी जवानों को ड्यूटी के दौरान समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई महीनों तक वेतन का इंतजार करना पड़ता है। समय से धनराशि का भुगतान न होने पर परिवार चलाना दूभर हो गया है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान संजय, अरुण और अभिषेक ने बताया कि ड्यूटी के दौरान अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। चाहे सर्दी हो या गर्मी, वह बिना किसी सुरक्षा साधन के अपनी जान-जोखिम में डालकर यातायात और सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा संभालते हैं। संसाधनों की कमी और ड्यूटी में भेदभाव, पर्याप्त मानदेय के न मिलने जैसी दिक्कतें से लगातार परेशान करती हैं। इसके साथ ही टॉर्च, वर्दी तथा अन्य जरूरी सामान भी विभाग की ओर से मुहैया नहीं कराए जाते हैं। दिक्कतों के समाधान और अच्छी सुविधा की मांग को लेकर जवानों से आवाज उठाए जाने पर अधिकारियों के कोपभजन का शिकार होना पड़ता है
आने-जाने के लिए संसाधन तक नहीं
गंगाचरन कहते हैं कि संसाधनों का अभाव, ड्यूटी लगाने में भेदभाव, जवानों की संख्या अधिक होने से कई-कई दिन तक घर में बैठना पड़ता है। काम के अनुरूप पगार न मिलने जैसी समस्याएं परेशान करती हैं। कार्यस्थल पर शुद्ध पानी तक नहीं मिलता है। ड्यूटी ऐसी जगह लगाई जाती है, जहां आने-जाने के लिए कोई संसाधन भी नहीं होते हैं। वह होमगार्ड के बराबर सम्मान मिलने की मांग उठा रहे हैं। पर्याप्त ड्यूटी न मिलने से भी काफी परेशान खड़ी रहती हैं।
महीने में कई दिन घर पर बैठना पड़ता है
शिवप्रसाद ने बताया कि पीआरडी जवान अपनी ड्यूटी तो पूरी ईमानदारी और तत्परता से निभा रहे हैं पर इन्हें सुख-चैन नसीब नहीं हो रहा है। धूप-छांव की परवाह किए बिना सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे हैं। अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को चैन की नींद देने वाले जवानों को संसाधनों और सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। न दिन में सुकून है और न ही रात में चैन। जब चाहे, जहां चाहे ड्यूटी लगा दी जाती है। संख्या के अनुसार, पर्याप्त ड्यूटी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में कई-कई दिन तक घर में ही बैठना पड़ता है। वह लंबे समय से अपने हकों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जवानों का कहना है कि जिले में उनकी समस्याओं को सुनने वाला कोई अधिकारी भी नहीं है, जिससे वह दुखड़ा सुना सकें।
नियमित लगे ड्यूटी, जख्मी होने पर दी जाए राहत
कृष्णकांत ने बताया कि होमगार्ड की तरह पीआरडी जवानों की भी नियमित ड्यूटी लगाई जानी चाहिए। पीआरवी वाहन में तैनाती की जाए। तैनाती के दौरान जख्मी होने पर जवानों को कोई मेडिकल सुविधा नहीं मिलती है। जवानों के मुताबिक राहत देने की बात तो छोड़िए, हाल खबर तक लेने के लिए कोई नहीं आता है। पीआरडी राहत कोष होने के बाद भी इस कोष से उन्हें न तो कोई सुविधा मिलती और न कोई राहत मिलती है। हम लोगों की समस्या सुनने वाला भी कोई नहीं है।
संसाधन कराएं मुहैया तो बचे मानदेय
विभाग की ओर से वर्दी, टॉर्च, डंडा और जूते आदि मुहैया कराए जाने चाहिए। जवानों को अपने मानदेय से यह सारे खर्च उठाने पड़ते हैं। दूरदराज क्षेत्र में ड्यूटी लगाए जाने से साधन तक उपलब्ध नहीं होते हैं। इस कारण उन्हें अपने वाहनों से तैनाती स्थल पर पहुंचना पड़ता है। कैलाश ने बताया कि संसाधन मुहैया करा दिए जाएं तो काफी मानदेय बच जाएगा। ड्यूटी लगाए जाने में भी भेदभाव नहीं किया जाना
महिला जवानों को मातृत्व अवकाश नहीं
संजय द्विवेदी ने बताया कि पीआरडी महिला जवानों को मातृत्व अवकाश का लाभ नहीं मिलता है। अवकाश लेने पर मानदेय काट लिया जाता है। प्रसव के बाद भी जल्द ड्यटी पर आने का दबाव रहता है। इससे उनके स्वास्थ्य और नवजात की देखभाल तक प्रभावित होती है। महिला जवानों का कहना है कि हर आपात स्थिति में वे ईमानदारी के साथ ड्यूटी करती हैं। इसके बाद भी उन्हें मातृत्व अवकाश जैसी सुविधाओं का लाभ नहीं है।
प्रशिक्षण की कमी से जूझ रहे जवान
कैलाश कहते हैं कि पीआरडी जवान उचित प्रशिक्षण के अभाव में अपनी जिम्मेदारियों का कुशलता से निभाने में कठिनाई महसूस करते हैं। उन्हें नई चुनौतियों से निपटने में दिक्कत होती है। इससे कार्यों की गुणवत्ता प्रभावित होती है। पीआरडी के जवानों को भी शस्त्र प्रशिक्षण की व्यवस्था है, लेकिन यह प्रशिक्षण मात्र दस फीसदी जवानों को दिया जाता है। वहीं, उचित मार्गदर्शन और नेतृत्व की कमी से उनका मनोबल प्रभावित हो रहा है।
सुझाव
1. पीआरडी जवानों की उनके थाना क्षेत्र में ड्यूटी लगाई जानी चाहिए। साधन के साथ ही आने-जाने का खर्च मिले।
2. शिविर लगा निशुल्क मेडिकल जांच करवाई जानी चाहिए। मेडिकल क्लेम भी दिलाया जाए।
3. वर्दी भत्ते के साथ ही टार्च और प्रशिक्षितों को असलहे उपलब्ध कराए जाएं। महंगाई और ट्रेवलिंग भत्ता भी दिया जाए।
4. पीआरडी जवानों को प्रत्येक माह नियमित ड्यूटी मिलनी चाहिए। ड्यूटी लगाए जाने को लेकर भेदभाव नहीं होना चाहिए।
5. सर्दी और धूप से बचाव के लिए सार्वजनिक स्थलों पर बूथ बनाए जाने चाहिए।
शिकायतें
1. मानदेय बढ़ने के बाद भी भेदभाव कम नहीं हो रहा है। होमगार्ड की तरह पीआरडी जवान को भी सम्मान मिलना चाहिए।
2. परेशानियों को बयां कर विरोध करने पर अधिकारियों का कोपभाजन बनना पड़ता है। घर से दूर ड्यूटी लगा दी जाती है।
3. पूरे महीने ड्यूटी नहीं कराई जाती है। इससे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है।
4. यातायात व्यवस्था के दौरान पीआरडी जवानों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है। शिकायत करने पर सुनवाई नहीं होती है।
5. मौसम के अनुकूल खुद ही वर्दी बनवानी पड़ती है।
बोले पीआरडी जवान
ड्यूटी स्थल तक पहुंचने के लिए साधन तक नहीं मिलते हैं। वर्दी और यात्रा भत्ता मुहैया कराया जाए।
- शिव प्रसाद
जवानों को निशुल्क मेडिकल सेवा नहीं मिलती है। कम पगार में इलाज करवाने में दिक्कत होती है। - श्रीकृष्ण
मानदेय समेत कई समस्याओं से जूझना पड़ता है। विरोध पर संघर्ष करना पड़ता है। ड्यूटी लगाने में भेदभाव न हो। -संतराम
पीआरडी जवानों की और भर्तियां होनी चाहिए। लंबे समय से कोई भर्ती नहीं की जा सकी है।
- लक्ष्मी नारायण
ड्यूटी स्थल तक पहुंचने के लिए साधन तक नहीं मिलते हैं। वर्दी और यात्रा भत्ता मुहैया कराया जाए।
- शिव प्रसाद
जवानों को निशुल्क मेडिकल सेवा नहीं मिलती है। कम पगार में इलाज करवाने में दिक्कत होती है। - श्रीकृष्ण
मानदेय समेत कई समस्याओं से जूझना पड़ता है। विरोध पर संघर्ष करना पड़ता है। ड्यूटी लगाने में भेदभाव न हो। -संतराम
बोले जिम्मेदार
पोर्टल के अनुसार ही ड्यूटी लगती है
पोर्टल पर भरे गए विकल्प के मुताबिक ही प्रांतीय रक्षा दल (पीआरडी) के जवानों की ड्यूटियां लगती हैं। पोर्टल पर मानव हस्तक्षेप वर्जित है। दुर्घटना में मृतकों को कोष से फंड और नौकरी मिलने का प्रावधान है। एक अप्रैल से जवानों को मानदेय में 105 रुपये बढ़कर मिलेगा। जवानों की समस्याओं को अफसरों के समक्ष रखेंगे। - शिवराम सिंह, जिला युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल अधिकारी
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।