जयपुर से अयोध्या पहुंचा राम दरबार विग्रह, राम मंदिर के प्रथम तल पर इस दिन होगी स्थापना
श्रीराम जन्मभूमि परिसर में लाई गयी राम दरबार के विग्रह को राम मंदिर के प्रथम तल में गर्भगृह के मध्य आसन पर स्थापित कर दिया जाएगा और मूर्ति को आधार से युक्त करने की अवशेष निर्माण की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का लक्ष्य बड़ा था और चुनौतियां भी कम नहीं थी। फिर भी रामलला की कृपा ऐसी रही कि अनेकानेक चुनौतियों से गुजरते हुए राम मंदिर अब अपनी पूर्णता की ओर अग्रसर है। चंद महीनों में राम मंदिर तो पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि परिसर के भी अधिकांश निर्माण कार्य पूरे हो चुके होंगे। 22 जनवरी 2024 को जब रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई थी तो राम मंदिर का निर्माण अधूरा था।
प्रथम तल पर राम दरबार की स्थापना के साथ मंदिर का निर्माण लगभग पूरा हो जाएगा। अक्षय तृतीया तदनुसार 30 अप्रैल का दिन करीब है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी है। इस बीच राम दरबार की मूर्ति के अलावा परकोटा से सम्बन्धित सभी मूर्तियां जिनमें भगवान नर्वदेश्वर भी शामिल हैं अयोध्या पहुंच गयी है।
मई के शुभ मुहूर्त में होगा मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान
श्रीराम जन्मभूमि परिसर में लाई गयी राम दरबार के विग्रह को राम मंदिर के प्रथम तल में गर्भगृह के मध्य आसन पर स्थापित कर दिया जाएगा और मूर्ति को आधार से युक्त करने की अवशेष निर्माण की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। इस बीच मूर्ति की पैकिंग नहीं खोली जाएगी। प्राण-प्रतिष्ठित होने वाली मूर्तियों के नगर दर्शन की भी परम्परा रही है।
वाल्मीकि रामायण में है राम दरबार के स्वरूप का वर्णन
भगवान श्री राम के दरबार के स्वरूप का वर्णन वाल्मीकि रामायण में किया गया है। इस श्लोक में कहा गया है “ रामं रामानुजन सीतां, भरतं भरतानुजम, अग्रे वायुसुतं यंत्र प्रणमामि पुनः पुनः “। इसका तात्पर्य यह है कि मध्य में श्रीरामचंद्र जी उनके वामांग में माता जानकी, उनके वाम भाग में भरत जी, दाहिनी ओर लक्ष्मण व उनके दाहिने शत्रुघ्न जी तथा चरण कमलों में हनुमान जी का ध्यान कर, ऐसे प्रभु को बारम्बार प्रणाम करते हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने इसी श्लोक के अनुसार राम दरबार के विग्रह का निर्माण कराया है। इस विग्रह का निर्माण श्वेत संगमरमर की एक ही शिला पर कराया गया है।