सुबह का बचा शिकार शाम को खाने आई बाघिन हुई कैद, वन विभाग ने बेहोश कर पकड़ा
यूपी के पीलीभीत में सेहरामऊ उत्तरी क्षेत्र में तारकोठी के पास सुबह पड्डा का शिकार करने के बाद देर शाम रविवार को बाघिन फिर वहीं मौके पर पहुंची थी और इस बार एक्सपर्ट की टीम लगातार नजर बनाएं हुए थे। जैसे ही बाघिन दिखाई दी और उसे रेस्क्यू कर लिया गया।

यूपी के पीलीभीत में सेहरामऊ उत्तरी क्षेत्र में तारकोठी के पास सुबह पड्डा का शिकार करने के बाद देर शाम रविवार को बाघिन फिर वहीं मौके पर पहुंची थी और इस बार एक्सपर्ट की टीम लगातार नजर बनाएं हुए थे। जैसे ही बाघिन दिखाई दी और उसे रेस्क्यू कर लिया गया। पहली डाट यदि मिस होती तो दोबारा टीम के हाथ नहीं आती। अब बाघिन पूरी तरह होश में आ गई है। उसके व्यवहार पर नजर रखी जाएगी। गांव चतीपुर के पास नहर किनारे बाघिन का दो दिन से मूमेंट लगातार देखा जा रहा था। इस दौरान उसने शिकार भी किया था।
रविवार की सुबह पड्डे का बाघिन ने शिकार कर लिया था, लेकिन उसे खा नहीं सकी थी। वही जब टीम को बाघिन की लोकेशन मिली तो टीम वहीं पर ठहर गई। पूरे दिन इंतजार करने के बाद शाम करीब सात बजे बाघिन बचे हुए शिकार को खाने के लिए आई। शिकार से कुछ दूरी पर बाघिन आकर बैठ गई। यह देखकर पीलीभीत टाइगर रिजर्व के एक्सपर्ट डॉ दक्ष गंगवार ने दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एके सिन्हा की मौजूदगी में अपना निशाना साधा।
बाघिन जैसे ही शिकार की ओर बढ़ी डॉक्टर दक्ष की पहली डाट चल गई और वह वहीं पर बेहोश हो गई। बेहोशी की हालत में बाघिन को तत्काल पिंजरे में कैद कर दिया गया और यहां से सीधे किशनपुर रेंज ले जाया गया। यहां अधिकारियों की मौजूदगी में उसे एंट्री डोज देकर होश में लाया गया। बताया जाता है कि बाघिन की अवस्था करीब तीन साल है। जो पूर्ण रूप से स्वस्थ है किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है।
पहली डाट होती मिस तो दोबारा हाथ नहीं आती बाघिन
बाघिन को सामने देखकर ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि इसे अब रेस्क्यू कर लिया जाएगा। क्योंकि वह ऐसे स्थान पर बैठी थी जहां डांट मारना आसान था। इस दौरान पहली डाट मिस हो जाती तो दोबारा टीम के हाथ नहीं लगती और एक बार फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन सफल नहीं होता। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के एक्सपर्ट डॉ दक्ष गंगवार ने बताया कि बाघिन अपने शिकार की और आई थी। शिकार के पूरे मूड में जैसे ही बैठी उसे डाट मार दी गई। यदि डाट मिस हो जाती। तो उनके हाथ सफलता नहीं लगती।