अब बिना डीएनए के भी हो सकेगी उम्र की पहचान
Varanasi News - आईआईटी बीएचयू ने एक नई तकनीक विकसित की है जिससे डीएनए के बिना भी किसी व्यक्ति की सही उम्र का पता लगाया जा सकेगा। यह ग्लाइकेन-आधारित फॉरेंसिक तकनीक संदिग्धों की आयु सीमा का अनुमान लगाने और अज्ञात शवों...

वाराणसी, संवाददाता। आईआईटी बीएचयू ने ऐसी तकनीक तैयार की है जिससे डीएनए नहीं मिलने पर भी सही उम्र का पता लगाया जा सकेगा। ग्लाइकेन-आधारित फॉरेंसिक तकनीक से संदिग्ध व्यक्ति की आयु सीमा का अनुमान लगाने, अज्ञात शवों की पहचान आसानी से हो सकेगी। इसके अलावा किशोर अपराधों या मानव तस्करी जैसे मामलों में उम्र सत्यापन किया जा सकेगा।
स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. सुमित कुमार के साथ शोध छात्र शांतनु सिंह और बीटेक छात्र प्रणव चोपड़ा ने तकनीक तैयार की है। प्रो. सुमित ने बताया कि ग्लाइकेन-आधारित फॉरेंसिक तकनीक से प्रोटीन के माध्यम से उम्र का पता लगाया जा सकेगा। इसमें प्रोटीन के ऊपर लगे ग्लाइकेन को प्रोफाइल करते हैं। इसके बाद मैथमैटिकल मॉडल पर आकलन कर उम्र का पता लगाते हैं। उन्होंने बताया कि इससे न केवल व्यक्ति की वास्तविक उम्र का बल्कि जैविक उम्र का भी अनुमान लगाया जा सकता है। जैविक उम्र व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति, रोग प्रतिरोधक क्षमता या मानसिक तनाव की स्थिति को दर्शाती है। जो अपराध की जांच में महत्वपूर्ण सुराग दे सकती है।
डीएनए टूटने पर नहीं हो पाता उम्र का सही आकलन
प्रो. सुमित ने बताया कि डीएनए आधारित फॉरेंसिक विश्लेषण में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार डीएनए के टूटने से उम्र का सही आकलन नहीं हो पाता है। वहीं प्रोटीन आधारित विश्लेषण में यह समस्या नहीं आएगी। सैंपल भी जांच के लिए एक से दूसरे स्थान पर भेजा जा सकेगा।
फॉरेंसिक हैकाथॉन में टीम ने जीता प्रथम पुरस्कार
ग्लाइकेन-आधारित फॉरेंसिक तकनीक की शोध के लिए आईआईटी बीएचयू को ऑल इंडिया फॉरेंसिक साइंस समिट के तहत आयोजित फॉरेंसिक हैकाथॉन में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। गृहमंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में प्रो. सुमित कुमार को 2 लाख रुपये का पुरस्कार प्रदान किया। इस उपलब्धि पर आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने टीम को बधाई दी है।
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