बोले काशी: शेयर बाजार में गिरावट से न हो घबराहट, निवेशक सुनें अच्छे बदलाव की आहट
Varanasi News - वाराणसी में ट्रंप टैरिफ के कारण भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट आई है। निवेशकों में चिंता और आशंका का माहौल है, खासकर बनारसी निवेशकों के बीच। निवेश सलाहकारों का कहना है कि यह केवल शॉर्ट टर्म इफेक्ट...
वाराणसी। ट्रंप टैरिफ के चलते भारतीय शेयर मार्केट भी धड़ाम हुआ। लाखों करोड़ रुपये डूब गए। इससे निवेशकों में डर, घबराहट और भविष्य के प्रति आशंकाएं पैदा होना स्वाभाविक है। उनमें हजारों बनारसी भी हैं। सिर्फ म्यूचुअल फंड में लगभग 18 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने वाले सभी बनारसी शेयर बाजार में गिरावट से अछूते होंगे, ऐसा नहीं है। वहीं, निवेश सलाहकारों का कहना है कि ट्रंप टैरिफ का यह शार्ट टर्म इफेक्ट है। इससे घबराहट नहीं होनी चाहिए। बाजार में सुखद बदलाव की आहट सुनाई देने लगी है। सोमवार, सात अप्रैल-2025 को विश्व के सभी शेयर बाजारों में जबरदस्त गिरावट हुई। उस क्रम में भारत में सोमवार सुबह बीएसई यानी भारतीय स्टॉक एक्सचेंज के सेनसेक्स ने 3940 प्वाइंट और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई, निफ्टी) ने 1160 प्वाइंट का गोता लगाया। दोपहर में कुछ माहौल बदला, फिर भी बीसई सेनसेक्स 2227 अंक और एनएसई निफ्टी 743 अंक पर बंद हुए। कोरोनाकाल के बाद यह सबसे तेज गिरावट मानी जा रही है। इसके मद्देनजर बनारस के भी निवेशकों में अपनी पूंजी को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं होनी स्वाभाविक हैं। उन्होंने बीते दो दिनों के दौरान निवेश सलाहकारों को फोन किए हैं। अनगिनत आशंकाएं और जिज्ञासाएं प्रकट की हैं। ऐसे निवेशकों की आशंकाएं दूर करने म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन, वाराणसी के वर्तमान एवं पूर्व पदाधिकारियों और सदस्यों ने पहल की है। एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजेश कुमार तुलस्यान के मलदहिया स्थित आवास पर उन्होंने ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के बहाने उन बिंदुओं और बातों पर फोकस किया जो इस समय आम निवेशकों को मथ रही होंगी। संघ के अध्यक्ष राजीव शाह, पूर्व अध्यक्ष अनल झंवर ने बताया कि कोरोना काल से अब तक चार वर्षों की अवधि में मार्केट में नये निवेशक बहुतायत में जुड़े हैं। उनमें युवाओं की संख्या अधिक है। सात अप्रैल की गिरावट से सबसे अधिक परेशान भी वही हैं। इसकी मुख्य वजह यह कि ज्यादातर ने किसी अच्छे सलाहकार से विचार-विमर्श नहीं किया। निवेश ऐप और सोशल मीडिया के सलाहकारों की सुनकर पूंजी लगा दी। जबकि शेयर बाजार के जोखिम प्रबंधन के लिए हर निवेशक के साथ एक सलाहकार का होना जरूरी है। बहरहाल, जैसा कि संतोष कुमार श्रीवास्तव ने कहा-‘ऊंची उड़ान के लिए दो कदम पीछे आना जरूरी होता है। इस गिरावट को उसी रूप में लेना चाहिए। इस भरोसे के साथ कि अब आगे अच्छा होगा। राजेश तुलस्यान ने इस सूत्र को और स्पष्ट किया। बोले, दुनिया के दूसरे देशों के स्टॉक मार्केट में भारत से कहीं अधिक गिरावट आई है। भारत की जीडीपी ग्रोथ दर छह प्रतिशत या उससे अधिक है तो यह मानना चाहिए कि भारतीय बाजार में एक अंदरूनी ताकत है जो जल्द ही क्षतिपूर्ति कराने लगती है। जैसा कि 8 अप्रैल को दिखा भी। मंगलवार को भारतीय शेयर मार्केट चढ़ा और अच्छे शेयरों की बहुत अच्छी खरीदारी भी हुई है।
भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में ताकतवर
पूर्व अध्यक्ष राजेश तुलस्यान, अनल झंवर ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था विश्व बाजार की तुलना में कहीं अधिक ताकतवर है। इसकी मुख्य वजह यहां व्यापक उपभोक्ता मांग, जीएसटी कलेक्शन, मेक इन इंडिया के तहत मोबाइल-मिसाइल, ऑटोमोबाइल और डिफेंस सेक्टर में भारत का हब बनना है। इसके अलावा भारतीय कंपनियों का रिजल्ट बहुत अच्छा आ रहा है। अनिल झंवर ने कहा कि यह सब कुछ केन्द्र सरकार की नीतियों के चलते संभव हुआ है।
लालच और डर से समान दूरी जरूरी
वेणुरंजन अग्रवाल, संजय कुमार वर्मा, प्रशांत लखोटिया ने निवेशकों को एक बहुमूल्य सूत्र दिया। यह कि उन्हें लालच और डर से समान दूरी रखना जरूरी है। लालच क्या? संजय वर्मा ने समझाया कि किसी एक निश्चित अवधि के लिए निवेश किया, उस अवधि में उसे अपेक्षित रिटर्न (मान लें 30 प्रतिशत) मिल गया मगर उक्त निवेशक ने दूसरे निवेशक को 35 या 40 प्रतिशत रिर्टन मिलता देख तय कर लिया कि अभी हम भी अधिक लाभ लेंगे तो बहुत संभव है, लाभ की जगह हानि झेलनी पड़ जाए। उस स्थिति में कोई विकल्प नहीं रहेगा। वैकुंठलाल श्रीवास्तव, रितेश कुमार ने कहा कि पूंजी डूब जाने के डर से बचने के लिए निवेश बाजार में कई अच्छे विकल्प हैं। म्यूचुअल फंड, एसआईपी और दीर्घकालिक निवेश के रूप में। सलाहकारों से विचार-विमर्श के बाद निवेश करने में जोखिम या किसी प्रकार का डर कम रहता है।
इन तरीकों से निवेश होगा ‘एंटीफ्रेजाइल
सलाहकार अनिल अग्रवाल के मुताबिक बाजार के इस उतार-चढ़ाव के बीच अपने निवेश को तीन तरीकों से लाभदायाी बनाया जा सकता है। ये तरीके हैं-एसआईपी यानी स्मॉल इन्वेस्टमेंट प्लान, एसटीपी या सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान और दीर्घकालिक निवेश। इन तरीकों से कोई भी निवेशक अपने निवेश को ‘एंटीफ्रेजाइल बना सकता है। एंटीफ्रेजाइल का अर्थ होता है-‘सम थिंग बेनिफिट्स फ्रॉम स्टॉक्स यानी ऐसी विपरीत परिस्थिति जो आपकी शक्ति को बढ़ाती है। राजेश किशोर ने इसे सरल शब्दों में समझाया-आपदा को अवसर समझना। ट्रंप टैरिफ से लगे झटके को निवेशक एक सुनहरा अवसर मान सकते हैं।
घबराएं नहीं, ठहरें और निवेश करते रहें
वरिष्ठ सलाहकार-राजीव शाह, संजय वर्मा, उत्कर्ष शुक्ला ने कहा कि म्यूचुअल फंड का सूत्रवाक्य सभी निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए। सूत्र वाक्य है-घबराएं नहीं, ठहरें और निवेश करते रहें। पहले भी बाजार में ऐसी या इससे भी बड़ी गिरावट हुई है। उसके बाद बाजार तेजी से चढ़ा भी है। बाजार के निवेश हमेशा से ही जोखिमों के अधीन रहे हैं। इतिहास गवाह है कि बाजार में आई गिरावट अंत में एक स्वर्णिम अवसर के रूप में परिवर्तित होती है।
अनिल झंवर, कमोज गोयल, राजेश कुमार तुलस्यान ने कहा कि इसको समझने के लिए हमें कुछ बिंदुओं पर ध्यान देना होगा। सबसे पहले हम अपने भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए लक्ष्य आधारित निवेश की योजना बनाते हैं तो काफी हद तक गिरावट का जोखिम कम कर सकते हैं। हमें कुछ फंड की आवश्यकता एक वर्ष बाद होगी। कुछ की आवश्यकता अगले 2 से 5 साल और कुछ धन की आवश्यकता 10 से 15 साल या 20 साल बाद पड़ सकती है। इसलिए निकट भविष्य की जरूरत को ध्यान में रखते हुए कम जोखिम वाली जबकि बाद की आवश्यकताओं के लिए अधिक जोखिम वाली योजना में निवेश किया जा सकता है। इस तरह हम शेयर बाजार में गिरावट को स्वर्णिम अवसर में बदल सकते हैं।
सुझाव
1. शेयर बाजार में निवेश करने से पहले किसी विशेषज्ञ, अनुभवी व्यक्ति से सलाह लेनी चाहिए। इस क्षेत्र में बिना अनुभव, अध्ययन और तुलनात्मक रिपोर्ट के कोई फैसला नहीं लेना चाहिए।
2. ऐसे तमाम निवेशक हैं जिन्होंने कोविड काल के बाद निवेश शुरू किया। वे लंबे समय बाद पहली बार बाजार में गिरावट से भयभीत न होकर इंतजार करें, यह तय नुकसान नहीं होगा और अच्छा रिटर्न आएगा।
3. सोशल मीडिया पर वीडियो, रील में दिए जा रहे भ्रामक तथ्यों के आधार पर अपने निवेश की दिशा तय न करें। उस व्यक्ति के बताए तथ्यों को परखें।
4. शेयर बाजार को अनिश्चितता का बाजार नहीं कहा जा सकता। शेयर के रिटर्न अर्थव्यवस्था, महंगाई दर, सरकार के निर्णयों, प्रोजेक्ट, बुनियादी संरचना, कंपनियों की स्थिति पर निर्भर होते हैं।
5. शेयर बाजार में गिरावट आने पर तुरंत निर्णय न लें। कुछ दिन तक ट्रेंड देखें। यदि बदलाव चाहते हैं तो पैसे को लिक्विड फंड में ले जाएं। वहां से इक्विटी म्यूचुअल फंड में एसआईपी कर दें।
शिकायतें
1. शेयर बाजार में निवेश करने से पहले अक्सर लोग विशेषज्ञों-जानकारों की बजाए, दोस्तों, परिचितों से परामर्श लेते हैं। उसी आधार पर निवेश करते हैं और धोखा खाते हैं।
2. कुछ माह या दो तीन साल से निवेश कर रहे निवेशकों को बहुत डर है। बड़ी गिरावट पर वे तुरंत एसआईपी से पैसे निकालना चाहते हैं।
3. सोशल मीडिया पर तथाकथित विशेषज्ञों की सलाह मानकर निवेशक नुकसान उठा रहे हैं। इससे मार्केट की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
4. लोग शेयर बाजार को अनिश्चितता से जोड़ देते हैं। कई पढ़े-लिखे लोग भी इसे जुआ मान लेते हैं। लोग सोचते हैं कि किस्मत से कुछ लोग अच्छा रिटर्न पा जाते हैं।
5. गिरावट आने पर बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह लिए जल्दबाजी में मार्केट से पैसे निकालने की हड़बड़ी दिखने लगती है या एसआईपी से सीधे एसटीपी में निवेश होने लगता है।
निवेशकों को खाती हैं ये चिंताएं
1. मेरा आज घटा है, कल और घटेगा, परसों शून्य हो जाएगा।
2. शायद यह बाजार मेरे लिए नहीं है। मैं एफडी का निवेशक था। गलती से शेयर बाजार में आ गया।
3. एक दूसरे के रिटर्न को देखकर निवेशकों में ज्यादा चिंता देखने में आती है। इससे वे परेशान रहते हैं।
लंबे समय में मिला है अच्छा रिटर्न
शेयर बाजार का गिरना और चढ़ना स्वाभाविक प्रक्रिया है। इसे तकनीकी भाषा में करेक्शन कहते हैं। जैसे दिन और रात प्रकृति का नियम है, उसी तरह शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होता रहता है। यदि लंबे समय में इसका इतिहास देखें तो निवेशकों को अच्छे रिटर्न हासिल हुए हैं। वर्तमान गिरावट भी अंतरराष्ट्रीय कारणों से हुई है। बाजार पर जल्द सकारात्मक प्रभाव भी दिखेगा।
गोवर्द्धनलाल झंवर, पूर्व अध्यक्ष यूपी स्टॉक एक्सचेंज
सुनें नेक सलाह
भारतीय शेयर मार्केट में ज्यादा दिन उथल-पुथल नहीं रहेगी। ट्रंप टैरिफ का भारतीय बाजार पर असर दूरगामी नहीं रहेगा।
कमोज गोयल
निवेशकों को किसी भी हाल में डरना नहीं चाहिए। पिछले दशकों में ऐसी गिरावटें हुई हैं, लेकिन फिर बाजार तेजी से उभरा है।
राजेश कुमार तुलस्यान
हम सभी शेयर बाजार को तीन लाख तक पहुंचना भी देखेंगे। यह कल्पना नहीं, भविष्य में ऐसा होना ही है।
अनिल झंवर
भारत की जीडीपी छह प्रतिशत से अधिक है। इसलिए मार्केट को उठना ही है। यह स्थापित सिद्धांत है।
वैकुण्ठलाल श्रीवास्तव
कई निवेशकों को भय है कि उनकी गाढ़ी कमाई का नुकसान हो रहा है। पूंजी बाजार को समझने के लिए हमें उसके मूल स्वभाव को जानना होगा।
वेणुरंजन अग्रवाल
जब भी बाजार में गिरावट हो, इसे अवसर के रूप में देखें और पोर्टफोलियो को टॉप अप अवश्य करें। धैर्य न छोड़ें।
अनिल अग्रवाल
शेयर बाजार ने लांग टर्म निवेश में हमेशा अच्छा रिटर्न दिया है। इतिहास में इस तथ्य को परखा जा सकता है।
अवनीश अग्रवाल
बाजार में गिरावट निवेश का सबसे अच्छा समय होता है। इस समय मल्टी एसेट एलोकेशन बेहतर विकल्प है।
उत्कर्ष शुक्ला
बुधवार को आरबीआई क्रेडिट पॉलिसी में ब्याज दरों में कमी की घोषणा की उम्मीद है। इसका फायदा बाजार को होगा।
प्रशांत लखोटिया
ऊंची छलांग के लिए दो कदम पीछे हटना लाभप्रद होता है। यही बात शेयर मार्केट पर भी सटीक बैठती है।
संजय वर्मा
इतिहास गवाह है कि म्यूचुअल फंड ने हमेशा निवेशकों को 22 प्रतिशत का औसत रिटर्न दिया है।
रितेश कुमार
भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है, इसलिए बाजार पर लंबे समय तक गिरावट नहीं रहेगी। निवेशक चिंता न करें।
राजेश किशोर
निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि कहीं उनको कोई एफडी कहकर हाइब्रिड फंड में निवेश तो नहीं करा रहा।
सत्यप्रकाश अग्रहरि
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