बोले काशी- अभी समय है, घाट बना दीजिए-बस्ती सजा दीजिए
Varanasi News - वाराणसी के रामनगर की गोलाघाट-चौहान बस्ती के लोग बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। सीवर ओवरफ्लो, गंदा पानी, और कूड़ा फेंकने की उचित व्यवस्था का अभाव है। स्थानीय निवासियों ने नगर निगम से समस्याओं...

वाराणसी। दर्द जब दास्तां बन जाए तो जीवन की दशा बदहाल रूप अख्तियार कर लेती है। कुछ ऐसा ही दर्द लिये जीवन काट रहे हैं रामनगर की गोलाघाट-चौहान बस्ती के लोग। दर्द आज का नहीं, पुराना है। बुनियादी सुविधाओं का तो जैसे अकाल है। जो सुविधाएं उपलब्ध हैं, वे भी आधी अधूरी या यह कहिए कि अनुपयोगी हो चुकी हैं। सीवर ओवरफ्लो करता है। कूड़ा रखने के लिए कंटेनर नहीं है। नगर निगम की परिधि में आने के बाद समस्याओं की अनदेखी हो रही है, शिकायतों की सुनवाई भी नहीं होती। रामनगर किले के पास गंगा तट पर बसी इस बस्ती के लोगों के चेहरे पर उभरी पीड़ा यह बता रही थी कि उनके सुकून को जैसे छीना जा रहा हो। बस्ती के पास बने गुफेश्वर हनुमान मंदिर पर जुटे लोगों ने ‘हिन्दुस्तान को अपना दर्द सुनाया और दुश्वारियां दिखाईं। विकास चौहान, पूर्णमासी, संतोष, रुस्तम खान ने घाट की दशा दिखाई। बताया कि व्यवस्थित घाट बनना था, लेकिन बना नही। बरसात और बाढ़ में करार के ढहने का खतरा बन जाता है। किनारे पत्थर डालकर मिट्टी की कटान रोकी गई है, लेकिन खतरा टला नहीं है। एक बार तो ऐसा लगा था कि कटान में मंदिर बह जाएगा। आसपास के लोगों ने चंदा लगाकर स्थिति संभाली। नागरिकों ने बताया कि हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा और छठ पर यहां श्रद्धालुओं की जुटान होती है। जब भीड़ बढ़ती है तो किसी अनहोनी की आशंका में बस्ती के लोग डरे रहते हैं। कहा कि शिकायतें तो कई बार की गईं लेकिन सुनवाई नहीं हुई। जब यह क्षेत्र नगर निगम की परिधि में आया तो हमें काफी खुशी हुई कि अब समस्याएं खत्म होंगी पर हालात बदतर हो गए हैं। पीड़ा सुनने यहां कोई आता ही नहीं है। निगम से अनुरोध किया कि अभी समय है, घाट बना दिया जाय तो राहत हो जाएगी अन्यथा बरसात में बारिश काम में रुकावट डालने लगेगी और हमारे दर्द का निवारण नहीं हो पाएगा।
घाट पर लाइट नहीं जलती
सूरज चौहान, दीपक, धन्नू चौहान, शमसाद खान ने घाट पर लगी लाइटें दिखाईं और कहा कि इन्हें लगे काफी वर्ष बीत गए हैं। लगीं तो कुछ दिन रोशनी हुई, लेकिन अब यहां अंधेरा रहता है। घाट के किनारे बस्ती है। हर समय लोगों का घाट पर आना-जाना लगा रहता है। शाम के समय बस्ती के लोग मंदिर पर बैठकर एक-दूसरे का हालचाल लेते हैं। अंधेरे के कारण बहुत परेशानी होती है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी निगम कर्मियों को न हो, लेकिन वे कुछ नहीं करते। पास के घरों से निकलती रोशनी ही रात में आने-जाने का आधार बनती है। कहा कि कई जगह बिजली के तार लटक रहे हैं।
सीवर ओवरफ्लो, प्रदूषित जलापूर्ति
विनोद कुमार सिंह, शिराज पाठक, गुरुचरण, मिट्ठू ने कहा कि बस्ती में पेयजलापूर्ति औंधे मुंह है। कहीं-कहीं पाइप फटने से आपूर्ति बाधित है। जहां आता भी है तो पानी गंदा रहता है। लोग डायरिया के शिकार हो रहे हैं। वे पानी की समस्या से निजात पाते हैं। बताया कि बरसात में स्थिति विकट हो जाती है। जलनिकासी का इंतजाम सही नहीं है। सीवर ओवरफ्लो भी अक्सर सताता है। एक तरफ सीवर ओवरफ्लो तो दूसरी तरफ पाइप फटी। परिणाम, सीवर का पानी फटी पाइप के जरिए घरों तक पहुंचता है।
मंदिर पर पेयजल का इंतजाम नहीं
विंध्यवासिनी गिरी, कमला देवी, कुमुद, सूरज सरोज ने कहा कि गुफेश्वर हनुमान मंदिर पर पेयजल का इंतजाम नहीं है। वर्षों पहले यहां नल लगा था, लेकिन आज खराब पड़ा है। रामनगर किला देखने आने वाले पर्यटक भी इस मंदिर पर आते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं। उन्हें भी पानी की समस्या से जूझना पड़ता है। बस्ती के लोग तो जूझ ही रहे हैं। अगर यहां नल और जलापूर्ति की व्यवस्था हो जाए तो सभी को राहत मिलती। गर्मी का मौसम है, पानी की सुविधा तो होनी ही चाहिए।
गंदगी से होती है कोफ्त
कृष्ण बिहारी, मोहम्मद फारुख ने ध्यान दिलाया कि बस्ती में सफाई व्यवस्था भी खराब है। खाली पड़े प्लाट ही कूड़ाघर बन गए हैं। कूड़ा फेंकने का कोई स्थान तय नहीं है, जिसे जहां जगह मिली वहीं कूड़ा फेंक दिया। किले से बस्ती की ओर हर खाली प्लाट में कूड़ा है। अगर कूड़ा फेंकने का स्थान तय हो जाता और उठाने की व्यवस्था हो जाती तो राहत मिलती। गंगा तट के पास बस्ती होने और पर्यटकों के आते-जाते रहने के कारण खुद पर कोफ्त होती है, लेकिन हम लोग कुछ कर नहीं पाते। जैसे तैसे जीवन जी रहे हैं।
जोनल कार्यालय किसी काम का नहीं
भैरव, किशन, अनिल और मोहम्मद फारुख ने बताया कि नगर निगम के जोनल कार्यालय पर सुनवाई नहीं होती। किसी भी समस्या के समाधान का आश्वासन मिलता है लेकिन होता कुछ नहीं। कर्मी कुछ न कुछ बहाना बनाकर टरका देते हैं। हाल यह है कि पानी का कनेक्शन किसी के नाम है और पाइप लगी है किसी दूसरे के घर में। कार्यालय में प्रमाणपत्र बनवा पाना भी टेढ़ी खीर है। जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र स्वीकार करने में भी टालमटोल किया जाता है। नगर निगम में आने के बाद स्थिति और गड़बड़ हो गई है। बताया कि यहां का लेखपाल प्रमाणपत्र जारी नहीं करता। राशन कार्ड में नाम नहीं जोड़ा जा रहा है।
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बाशिंदों का दर्द
घाट की स्थिति ठीक नहीं है। पर्वों पर जब यहां लोगों की भीड़ होने पर अनहोनी की आशंका बढ़ जाती है।
-विकास चौहान
अभी बहुत गनीमत है। बाढ़ के समय कटान का इतना खतरा रहता है कि रात में नींद नहीं आती है।
-पूर्णमासी चौहान
बारिश-बाढ़ में बस्ती के लोगों का जीना दूभर हो जाता है। एक तरफ जलजमाव तो दूसरी ओर बाढ़ का दर्द।
-संतोष चौहान
घाट पर लगी लाइट जलती नहीं। लगने के कुछ दिन तक तो जली, फिर जो बुझी कि आज तक बुझी ही है।
-रुस्तम खान
हम लोगों को हर समय कटान का भय सताता है। लोगों ने चंदा जुटाकर मंदिर को गंगा में जाने से बचाया है।
-सूरज चौहान
जोनल कार्यालय में तो सुनवाई नहीं होती। पानी कनेक्शन किसी के नाम है और कनेक्शन दे दिया दूसरे के घर में।
-मो. फारुख
कटान का दर्द हर समय सताता रहता है। उसे रोकने के लिए उपयुक्त और कारगर कदम उठाया जाना चाहिए।
-कृष्ण बिहारी
बस्ती के खाली पड़े प्लाट-मैदान नशेड़ियों का अड्डा बन गए हैं। नशेड़ियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि माहौल सुधरे।
-शमसाद खान
घाट निर्माण लंबे समय से स्वीकृत है लेकिन आज तक नहीं बनाया गया। शिकायत कई बार हुई लेकिन लाभ नहीं मिला।
-विनोद कुमार सिंह
राशन कार्ड से बच्चों का नाम कट गया है, लेकिन जोड़ा नहीं जा रहा है। इसकी सुनवाई भी नहीं हो रही है।
-कमला देवी
पेयजल की गंभीर समस्या है। सीवरयुक्त पानी आता है। इसे पीया नहीं जा सकता। जलापूर्ति सही की जाए।
-विंध्यवासिनी गिरी
गुफेश्वर हनुमान मंदिर पर पेयजल का इंतजाम नहीं है। नल और जलापूर्ति की व्यवस्था होने से राहत मिलती।
-कुमुद
देव प्रतिमा गढ़ने वाली बस्ती
बनारस स्टेट के जमाने में रामनगर का अलग रुतबा था। इसी में गोलाघाट वार्ड संख्या 12 में चौहान बस्ती है। यहां संगमरमर से देव प्रतिमा गढ़ने वाले 80 प्रतिशत कारीगर हैं। इनकी जिंदगी आज भी सुधर नहीं पाई है। दुर्ग के दक्षिणी छोर पर बस्ती है। करीब 15 सौ की आबादी है। यहां कभी एक गुफा हुआ करती थी। 70 के दशक तक गुफा में शाही पक्षी रहते थे। प्रशासनिक उपेक्षा, बरसात और कटान ने गुफा का अस्तित्व खत्म कर दिया है। गंगा तट से लगभग सौ फीट ऊंचाई पर प्राचीन हनुमान मंदिर है। कटान से वह भी गिरने के कगार पर था। बस्ती के युवाओं ने जनप्रतिनिधियों से मंदिर बचाने की गुहार लगाई थी किंतु कोई आगे नहीं आया। भक्त सुभाष चौहान लोगों के सहयोग से मंदिर का नए सिरे से निर्माण करा रहे हैं।
सुझाव
बस्ती में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उपलब्ध सुविधाओं को उपयोगी बनाने की पहल हो।
सीवर ओवरफ्लो रोका जाए, कूड़ा रखने के लिए कंटेनर की व्यवस्था हो। समस्याओं के समाधान पर गंभीरता से पहल की जाए।
जोनल कार्यालय पर समस्याओं की सुनवाई हो। नागरिकों को समाधान का केवल आश्वासन न दिया जाए।
गुफेश्वर हनुमान मंदिर पर पेयजल का समुचित इंतजाम किया जाए। गर्मी के मौसम में पानी की सुविधा तो होनी ही चाहिए।
बरसात-बाढ़ में करार ढहने से रोकने के उपाय किए जाएं। इससे बस्ती सुरक्षित रहेगी और लोगों में भय भी नहीं रहेगा।
शिकायतें
बस्ती में बुनियादी सुविधाएं खस्ताहाल हो चुकी हैं। सुविधाएं हैं भी तो आधी अधूरी हैं या उपयोगहीन हो चुकी हैं।
सीवर ओवरफ्लो करता है। कूड़ा रखने के लिए कहीं कंटेनर नहीं है। समस्याओं की अनदेखी हो रही है, सुनवाई नहीं होती।
जोनल कार्यालय पर शिकायतों की सुनवाई नहीं होती। किसी भी समस्या के समाधान का केवल आश्वासन ही दिया जाता है।
गुफेश्वर हनुमान मंदिर पर पेयजल का इंतजाम नहीं है। वर्षों पहले यहां एक नल था जो खराब पड़ा है, पानी नहीं आता।
बरसात-बाढ़ में करार ढहने का खतरा बढ़ जाता है। किनारे पत्थर डालकर मिट्टी की कटान रोकी गई है, लेकिन खतरा टला नहीं है।
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