बोले देहरादून : एलिवेटेड रोड के लिए इंदिरा कॉलोनी में लगे निशान ने उड़ाई लोगों की नींद
देहरादून में बिंदाल नदी पर बनने वाले एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट के कारण इंदिरा कॉलोनी के निवासियों में चिंता बढ़ गई है। कई घरों को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिससे लोग बेघर होने की आशंका से परेशान...

देहरादून में बिंदाल नदी पर बनने वाले एलिवेटेड रोड के प्रोजेक्ट से इंदिरा कॉलोनी के लोगों की नींद उड़ गई है। नदी के दोनों तरफ बने घर चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और कई घर इसके दायरे में आ चुके हैं। स्थानीय लोगों को यह डर सताने लगा है कि उनके सिर से कहीं छत न छिन जाए। यहां स्मार्ट मीटर तो लगाए गए हैं, मगर सफाई का नामोनिशान नहीं है। हर गली में गंदगी पसरी है और बीमारी का खतरा बढ़ता जा रहा है। विकास के नाम पर उठाए जा रहे कदमों ने लोगों को असमंजस में डाल दिया है।
देहरादून से कुमुद नौटियाल की रिपोर्ट... देहरादून के चुक्खूवाला की इंदिरा कॉलोनी के कई घर एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट के दायरे में आ रहे हैं। यहां के लोगों की चिंंता बढ़ चुकी है। एक तरफ घर तोड़ने की बात तो दूसरी ओर स्मार्ट सिटी के तहत स्मार्ट मीटर लग रहे हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान के ‘बोले देहरादून अभियान के तहत इंदिरा कॉलोनी के लोगों से बात की गई। इस दाैरान उन्होंने कहा कि हम गरीब लोग हैं, इसलिए हमारे साथ ऐसा हो रहा है। घर टूट जाएगा तो हम कहां जाएंगे? हमारे पास तो किराया भरने के भी पैसे नहीं हैं। लोगों के अनुसार, हमारी कॉलोनी काफी साल से बसी हुई है। सरकार को हमें बेघर करने से पहले पूरी जानकारी देनी चाहिए। इसके बाद हम लोगों के रहने की व्यवस्था की जानी चाहिए। जब तक हम लोगों को दूसरी जगह घर नहीं दिए जाएंगे, तब तक हम अपना घर नहीं छोड़ेंगे। इसके खिलाफ हम प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने दाे टूक कहा कि अपने घरों को हम तोड़ने नहीं देंगे। सफाई की कोई ठोस व्यवस्था नहीं: स्थानीय लोगों ने बताया कि काफी पुरानी बसी इस बस्ती में सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां घरों के बाहर सड़कों पर अक्सर पानी बहता रहता है। नालियों की नियमित रूप से सफाई तक नहीं की जाती है। सफाई कर्मचारी भी अक्सर नहीं पहुंचते हैं। इससे लोग बहुत परेशान हैं। लोगों का कहना है कि यहां कभी सफाई नहीं होने के कारण नालियों का यही गंदा पानी खुले में बहता नजर आ जाता है। इससे गंदगी बनी रहती है। इस वजह से पूरे क्षेत्र में मक्खी, मच्छर की संख्या बढ़ गई है। इनसे होने वाली बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इन नालियों की नियमित रूप से सफाई की जानी चाहिए या घरों के बाहर बनी नालियों को बंद किया जाना चाहिए। सभी के हितों को ध्यान में रखकर ही योजना पर किया जा रहा काम एलिवेटेड रोड को लेकर सभी पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर योजना पर काम किया जा रहा है। योजना पर काम तेजी से आगे बढ़े इसे लेकर भी सभी एजेंसियां समन्वय बनाकर काम कर रही हैं और इसकी निगरानी भी की जा रही है। पुनर्वास और विस्थापन में किसी का अहित न हो इसके लिए टीमें ग्राउंड पर काम कर रही हैं। सभी प्रभावितों को एक नीति के तहत पुनर्वास, विस्थापन और मुआवजा तय किया जाएगा। योजना के तहत प्रभावित लोगों का ध्यान रखा जा रहा है। -सविन बंसल, जिलाधिकारी देहरादून एक तरफ मकान तोड़ने की बात दूसरी तरफ लग रहे स्मार्ट मीटर देहरादून। ‘हिन्दुस्तान के ‘बोले देहरादून अभियान के तहत इंदिरा कॉलोनी के स्थानीय लोगों ने बताया कि बस्तियों में हाल ही में स्मार्ट मीटर लगे हैं। एक तरफ तो एलिवेटेड रोड के लिए हम लोगों के घरों पर निशान लगाए जा रहे हैं, दूसरी ओर हमें सुविधाएं दी जा रहीं हैं। इससे हम लोग क्या समझेंगे। सरकारी विभागों के बीच आपस में ही तालमेल नहीं है। उन्होंने सरकार से पूछा कि गरीबों का घर टूट जाएगा तो वे कहां जाएंगे। सरकार को हमारे बारे में गंभीरता के साथ सोचना चाहिए। लेकिन, अब तो किसी न किसी योजना के तहत हम लोगों के घरों को उजाड़ने की बात की जाती है। इससे लोग परेशान हो चुके हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जाए लोगों का कहना है कि हम सब गरीब लोग हैं। हम यहां पर कई साल से रहते आ रहे हैं। परिवार में आठ से दस सदस्य हैं। हमारे घर टूट जाएंगे, तो कहां जाएंगे। हम लोगों का भविष्य तो अंधेरे में जाता नजर आ रहा है। सरकार को हम लोगों के लिए योजनाएं बनानी चाहिए। इन योजनाओं से हमारे बच्चों का भविष्य सुधरेगा। हमारे बच्चे भी सक्षम-आत्मनिर्भर बनेंगे। हम लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा। सफाई करने नहीं आते हैं कर्मचारी लोगों का कहना है कि यहां पर गंदगी बनी रहती है। सफाई कर्मचारी भी यहां पर सफाई करने नहीं आते हैं। हम लोग खुद से ही गलियों की सफाई करते हैं। अगर कभी सफाई कर्मचारी आते भी हैं तो वह गलियों में आगे की तरफ सफाई करके चले जाते हैं। पूरी गलियों की सफाई नहीं करते। लोग बोले-कई सरकारी भवन भी बसे हैं नदी किनारे, उनको भी तोड़ा जाना चाहिए लोगों का आरोप है कि हम लोग गरीब हैं इसलिए ही हमे परेशान किया जाता है। ऐसे तो बहुत से सरकारी भवन नदी किनारे बने हुए हैं, उन पर कभी कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है। अगर विकास के लिए हमारे घर तोड़े जा रहे हैं तो सरकारी भवन भी नदी किनारे ही हैं, उन्हें भी तो तोड़ा जाना चाहिए। सबके साथ एक समान व्यवहार किया जाना चाहिए। हम लोग अपने घरों को बचाने के लिए पूरा प्रयास करेंगे। जब से हमने सुना है कि हमारे घर टूटेंगे। तब से हम सबकी आंखों की नींद गायब हो चुकी है। हमेशा यही डर लगा रहता है कि कहीं हमारा घर टूट तो नहीं रहा है। अब तो बेघर होने की स्थिति बन गई है। सुझाव 1. हम लोगों को मकान के बदले मकान दिया जाना चाहिए। 2. हमारे बच्चों के भविष्य के लिए सरकार कोई कदम उठाए। 3. साफ-सफाई के लिए नियमित रूप से कर्मचारी आना चाहिए। 4. हम लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाना चाहिए। 5. क्षेत्र में बह रही नालियों को बंद किया जाए। उनकी नियमित रूप से सफाई कराई जानी चाहिए। शिकायतें 1. अगर हम लोगों के घर तोड़ दिए जाएंगे तो हम परिवार को लेकर कहां जाएंगे? 2. एक तरफ मकान तोड़ने की बात हो रही है और दूसरी तरफ स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। 3. क्षेत्र में साफ-सफाई के लिए कर्मचारी नियमित नहीं आते हैं। 4. यहां खुली नालियां बहती हैं, जिससे गंदगी होती है। 5. यहां कूड़ा गाड़ी नहीं आती है। बोले लोग- हमारे घरों में स्मार्ट मीटर तो लगा दिए गए हैं, लेकिन गंदगी अब भी वैसी की वैसी है। क्या सिर्फ स्मार्ट मीटर लगाने से बस्ती स्मार्ट बन जाएगी? सरकार को साफ-सफाई की व्यवस्था पर भी उतना ही ध्यान देना चाहिए, जितना इस समय तकनीक पर दिया जा रहा है। -पिंकी यह बस्ती बहुत पुरानी है और हम सभी लोग लंबे समय से यहां रह रहे हैं। अगर बस्ती उजाड़ी जाती है तो हम कहां जाएंगे? हमारे पास न तो दूसरी जगह है और न ही कोई साधन कि हम नया घर बना सकें। यह हमारे लिए बहुत बड़ी चिंता की बात है। -सुजीत कुमार शहर में किराये पर घर मिलना आसान नहीं है, और अगर मिल भी जाए तो हम अफोर्ड नहीं कर सकते। जो भी कमाते हैं, वह खाने-पीने में ही खर्च हो जाता है। ऐसे में किराया देना हमारे लिए असंभव है। सरकार को गरीबों की इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए। -गीता हमने मेहनत से अपना घर बनाया है, लेकिन यहां सफाई की बहुत बुरी स्थिति है। नालियों में गंदा पानी खुले में बहता है, जिससे बदबू उठती है और बीमारियों का खतरा रहता है। प्रशासन को नियमित सफाई करानी चाहिए, ताकि हम साफ-सुथरे माहौल में रह सकें। -ईश्वर घर के बाहर बनी नालियों की सफाई कभी समय पर नहीं होती। बदबू इतनी आती है कि राह चलना मुश्किल हो जाता है। मजबूरी में हम ही अपने घरों के बाहर की सफाई करते हैं। सरकार को सफाई की नियमित व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि हमें राहत मिल सके। -राकेश हम 20-25 साल से इस बस्ती में रह रहे हैं। अब तो हर दिन यही डर लगा रहता है कि कहीं हमारे सिर से छत न छिन जाए। गरीबों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। हमारी स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है और हम बेबस महसूस कर रहे हैं।-मीना नदी किनारे पूरा क्षेत्र कचरे से भरा रहता है। नगर निगम को यहां सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए, ताकि कचरा फेंकने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई की जा सके। अगर यह सख्ती लागू की जाए तो गंदगी काफी हद तक कम हो सकती है और क्षेत्र साफ रह सकेगा। -रीटा हमारे परिवार में आठ लोग हैं, बेटा भी प्राइवेट कंपनी में काम करता है। आमदनी बहुत कम है, दोबारा घर बनाना संभव नहीं। अगर सरकार हमारे घर तोड़ती है तो हमें उसके बदले घर भी दे। बिना पुनर्वास के हम अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं।-फूल कुमारी हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। हम जैसी परेशानियों से गुजरे, हमारे बच्चे न गुजरें। उन्हें बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी चाहिए, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। -राजबाला नालियों की सफाई न होने के कारण बरसात में सड़कों पर पानी भर जाता है। गंदा पानी घरों तक आ जाता है, जिससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। प्रशासन को नियमित नालियों की सफाई करानी चाहिए, ताकि बरसात में यह समस्या न आए। -शालू नदियों की सफाई नहीं होती, जिससे नदी किनारे गंदगी जमा रहती है। अगर सफाई कर्मचारी नियमित तौर पर यहां आकर सफाई करें तो हालात सुधर सकते हैं। नदी क्षेत्र को साफ रखना स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए जरूरी है। -राधिका कचरा उठाने की गाड़ी यहां कभी नहीं आती। मजबूरी में लोग आसपास ही कचरा फेंक देते हैं, जिससे बस्ती में गंदगी फैल जाती है। अगर कचरा उठाने की व्यवस्था नियमित की जाए तो यहां की हालत सुधर सकती है और वातावरण स्वच्छ रह सकता है। -एकता सरकार को पहले हमें योजना की पूरी जानकारी देनी चाहिए। अभी तक हम जो भी जानते हैं, वह आसपास के लोगों से सुनकर ही पता चला है। इससे भ्रम की स्थिति बनी रहती है। अगर पारदर्शिता हो तो हम भी सही फैसले ले सकें।-मीरा विकास के नाम पर हजारों लोगों को बेघर कर देना कहां तक सही है? अगर सरकार को हमारी जमीन चाहिए तो पहले हमें कहीं और घर दे। इसके बाद ही किसी तरह की कार्यवाही हो। पुनर्वास के बिना उजाड़े गए लोग कहां जाएंगे? -चांदनी खून-पसीना एक करके हमने अपना घर बनाया था। हम कई साल से यहां पर रह रहे हैं। सरकार को हमारे बारे में सोचना चाहिए। हमसे बात किए बिना हमें बताए बिना हमारे घरों को तोड़ने की बात की जा रही है। यह किसी प्रकार से सही नहीं है। -सुनीता कभी फ्लड जोन तो कभी एलिवेटेड रोड के नाम पर हमें बेघर करने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। हम लोग गरीब हैं, इसलिए हमारे साथ ऐसा हो रहा है। वरना तो कई सरकारी भवन भी नदी के किनारे बसे हैं, उन्हें क्यो नहीं तोड़ जा रहा है। -मधु
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