देश को गुमराह किया, कारगिल समिति जैसा कदम उठाएगी सरकार? CSD के 'खुलासे' पर कांग्रेस हमलावर
खरगे ने आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए कहा कि सीडीएस के बयान और हाल के घटनाक्रमों ने कई अहम सवाल खड़े किए हैं, जिनके जवाब के लिए संसद का विशेष सत्र तुरंत बुलाया जाना चाहिए।

कांग्रेस ने शनिवार को प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) अनिल चौहान के एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि क्या सरकार कारगिल युद्ध के तत्काल बाद बनी एक समीक्षा समिति की तर्ज पर कोई कदम उठाएगी। जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान के साथ हालिया सैन्य टकराव में विमान के नुकसान की बात स्वीकार की है, लेकिन छह भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराने के इस्लामाबाद के दावे को ‘‘बिल्कुल गलत’’ बताया।
इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। खरगे ने रक्षा तैयारियों की व्यापक समीक्षा की मांग की है और इसके लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करने का आह्वान किया है। ‘ब्लूमबर्ग टीवी’ के साथ एक इंटरव्यू में CSD चौहान ने कहा कि यह पता लगाना अधिक महत्वपूर्ण है कि विमान का नुकसान क्यों हुआ, ताकि भारतीय सेना रणनीति में सुधार कर सके और फिर से जवाबी हमला कर सके।
इस इंटरव्यू के बाद कई सवाल उठे हैं। खरगे ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए कहा कि सीडीएस के बयान और हाल के घटनाक्रमों ने कई अहम सवाल खड़े किए हैं, जिनके जवाब के लिए संसद का विशेष सत्र तुरंत बुलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार ने देश को गुमराह किया है। युद्ध की धुंध अब साफ हो रही है।"
कांग्रेस की दो मुख्य मांगें
रक्षा तैयारियों की समीक्षा: खरगे ने भारतीय वायुसेना के पायलटों की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर दुश्मन का मुकाबला किया। हालांकि, उन्होंने जोर दिया कि अब एक व्यापक रणनीतिक समीक्षा की जरूरत है। कांग्रेस ने मांग की है कि कारगिल समीक्षा समिति की तर्ज पर एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित की जाए, जो भारत की रक्षा तैयारियों की जांच करे। खरगे ने लिखा, "हमारे वायुसेना के पायलट दुश्मन से लड़ते हुए अपनी जान जोखिम में डाल रहे थे। हमें कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन हमारे पायलट सुरक्षित हैं। हम उनके दृढ़ साहस और बहादुरी को सलाम करते हैं। हालांकि, एक व्यापक रणनीतिक समीक्षा समय की मांग है। कांग्रेस पार्टी कारगिल समीक्षा समिति की तर्ज पर एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा हमारी रक्षा तैयारियों की व्यापक समीक्षा की मांग करती है।"
संघर्षविराम और शिमला समझौते पर सवाल: खरगे ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर भी सवाल उठाए, जिसमें ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम कराने में मध्यस्थता की थी। उन्होंने लिखा, "अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध विराम कराने के अपने दावे को फिर दोहराया है। यह शिमला समझौते का सीधा अपमान है। ट्रंप के बार-बार किए गए दावों और अमेरिकी वाणिज्य सचिव द्वारा अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय में दायर हलफनामे को स्पष्ट करने के बजाय, प्रधानमंत्री मोदी चुनावी तूफान में हैं, हमारे सशस्त्र बलों की वीरता का व्यक्तिगत श्रेय ले रहे हैं, उनकी बहादुरी के पीछे छिप रहे हैं और सहमत युद्ध विराम की रूपरेखा को चकमा दे रहे हैं, जिसकी घोषणा विदेश सचिव ने 10 तारीख को ट्रंप के ट्वीट के बाद की थी।" खरगे ने इसे शिमला समझौते का उल्लंघन बताते हुए कहा कि यह भारत के लिए अपमानजनक है। उन्होंने पूछा, "क्या भारत और पाकिस्तान फिर से एक साथ जोड़े जा रहे हैं? संघर्षविराम की शर्तें क्या हैं? 140 करोड़ देशभक्त भारतीयों को यह जानने का हक है।"
इससे पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, "29 जुलाई 1999 को, वाजपेयी सरकार ने भारत के रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ के. सुब्रमण्यम, जिनके पुत्र अब हमारे विदेश मंत्री हैं, की अध्यक्षता में कारगिल समीक्षा समिति का गठन किया था। यह कारगिल युद्ध समाप्त होने के ठीक तीन दिन बाद की बात है।"
उन्होंने कहा कि इस समिति ने पांच महीने बाद अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की और 'फ्रॉम सरप्राइज टू रेकनिंग' शीर्षक वाली रिपोर्ट को आवश्यक संशोधनों के बाद 23 फरवरी, 2000 को संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखा गया। रमेश ने सवाल किया कि क्या अब सीडीएस ने सिंगापुर में जो खुलासा किया है, उसके आलोक में मोदी सरकार भी वैसा ही कदम उठाएगी?