जंगल बचाकर ही रोक सकेंगे ग्लोबल वार्मिंग
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती है। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि जंगलों को बचाना और बढ़ाना जरूरी है। वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। विकास...

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए चुनौती है। अगर हमें इस चुनौती से निपटना है तो जंगलों को बचाना और बढ़ाना होगा। खासकर उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्यों की ये बड़ी जिम्मेदारी है। ये बात वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बुधवार को सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी आडिटोरियम में विकास और पर्यावरण संतुलन पर आयोजित कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम में उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने कहा कि विकास जरूरी है और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान प्रदान कर सकती है। लेखक एवं एक्टीवीस्ट लोकेश ओहरी ने कहा कि दून में पेड़ों की कटाई रोकी जानी चाहिए और जेसीबी के प्रयोग को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
विकास कार्यों में आमजन जैसे हितधारकों की भी भागीदारी होनी चाहिए। एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने कहा कि विकास के लिए भले ही पेड़ काटे जाते हैं, लेकिन अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाते हैं। इस वर्ष शहर में अधिक से अधिक पौधरोपण करने का लक्ष्य है। शहर में दो झीलों का पुनरुद्धार किया गया, जिनका गुरुवार को लोकार्पण किया जाएगा। कार्यक्रम में आर्थिपेडिक सर्जन डॉ. बीकेएस संजय, बीआईएस निदेशक सौरभ तिवारी और एसडीसी के फांउडर अनूप नौटियाल सहित कई लेाग मौजूद रहे। साथ ही दून विश्वविद्यालय, जीआरडी कॉलेज राजपुर रोड और ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं ने भी हिस्सा लिया।
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