हरिद्वार जमीन घोटाले में फंसे DM, 11 और अफसरों पर गिरेगी गाज; क्या है पूरा मामला
हरिद्वार जमीन घोटाले की जांच पूरी हो गई है। इस मामले में दो आईएएस समेत एक पीसीएस का नाम भी आया है। इन सभी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।

हरिद्वार नगर निगम के जमीन घोटाले की जांच पूरी हो गई है। जांच अधिकारी सचिव रणवीर सिंह चौहान ने मामले में अपनी रिपोर्ट गुरुवार को सचिव शहरी विकास नितेश झा को सौंप दी। सूत्रों ने बताया कि जांच रिपोर्ट में दो आईएएस और एक पीसीएस अधिकारी समेत कुल 11 लोगों की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए उन पर कार्रवाई की संस्तुति की गई है।
सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में बताया गया है कि गार्बेज डंपिंग यार्ड (कूड़ा एकत्र करने की जगह)के विस्तारीकरण के लिए जमीन खरीदने की प्रक्रिया में न तो पारदर्शिता बरती गई और न नियमों का पालन किया गया। साथ ही जमीन खरीदने के ऐवज में 54 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया जबकि असल में इस का मूल्य 15 करोड़ भी नहीं था। इससे राज्य को करोड़ों का नुकसान हुआ। इसमें 11 लोगों की भूमिका संदिग्ध है।
इस आधार पर जांच अधिकारी ने हरिद्वार के डीएम कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त व वर्तमान में अपर सचिव स्वास्थ्य वरुण चौधरी, एसडीएम अजय वीर सिंह, तत्कालीन तहसीलदार, प्रशासनिक अफसर,अभियंता,लिपिक, पटवारी, डाटा एंट्री ऑपरेटर पर कार्रवाई की संस्तुति की है।
जमीन की कीमत बढ़ाने को बदला भू-उपयोग
सूत्रों के अनुसार, जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि जमीन को खरीदने से पहले, सेक्शन 143 की कार्रवाई कर उसका भू-उपयोग बदल दिया गया। इससे कृषि भूमि का रेट कॉमर्शियल हो गया। ऐसा करके पांच हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर के दाम वाली जमीन की कीमत को बढ़ाकर 25 हजार प्रति वर्ग मीटर हो गया। 25 हजार प्रति वर्ग मीटर का रेट पूरी तरह विकसित कॉमर्शियल भूमि का है। इसके अलावा सेक्शन 143 की प्रक्रिया भी महज छह दिन के भीतर संपन्न कर दी गई जबकि आमतौर पर इस प्रक्रिया को पूरा करने में काफी समय लगता है। इसी आधार पर जांच अधिकारी ने रिपोर्ट में भूमि खरीद की प्रक्रिया को नियम विरुद्ध बताया है।
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