MBBS के 87% छात्र तनाव के शिकार, शोध में पढ़ाई का दबाव सहित इन बातों पर एक्सपर्ट ने जताई चिंता
- मूल रूप से झारखंड के सरायकेला खरसवा की रहने वालीं डॉ. सुप्रिया सिंह ने दो बैच के 300 एमबीबीएस छात्रों में से 228 पर ‘बीएमआई और पर्सीव्ड स्ट्रेस में संबंध’ विषय पर शोध किया।

देहरादून मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे छात्रों को तनाव भी घेर रहा है। प्रथम वर्ष के छात्रों में से 87.3 फीसदी तनावग्रस्त पाए गए। जबकि, 38.1 फीसदी का बीएमआई अधिक मिला। फिजियोलॉजी विभाग की पीजी चिकित्सक सुप्रिया सिंह के शोध में यह दावा किया गया।
इसके पीछे गलत खानपान, फिजिकल एक्टिविटी से दूरी, समय से नहीं खाना, पढ़ाई का दबाव, पर्याप्त नींद का अभाव, ज्यादा देर बैठना, घर से दूरी और भविष्य की चिंता को कारण बताया गया। तनाव से निपटने के लिए कई अहम सुझाव भी दिए गए।
मूल रूप से झारखंड के सरायकेला खरसवा की रहने वालीं डॉ. सुप्रिया सिंह ने दो बैच के 300 एमबीबीएस छात्रों में से 228 पर ‘बीएमआई और पर्सीव्ड स्ट्रेस में संबंध’ विषय पर शोध किया। एचओडी डॉ. एएन सिन्हा, डॉ. ओमना चावला और डॉ. अंकिता जुयाल की देखरेख में 107 छात्र और 121 छात्राओं पर शोध किया गया।
डॉ. सुप्रिया के शोध को अवॉर्ड
डॉ. सुप्रिया सिंह के शोध को एचएनबी मेडिकल विवि की ओर से बेस्ट रिसर्च पेपर-डॉ. एमसी पंत अवॉर्ड से नवाजा गया है। नेशनल जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी, फार्मेसी एवं फार्माकोलॉजी में भी यह शोध प्रकाशित हुआ। हालांकि, वे दीक्षांत समारोह में किन्हीं कारणों से शामिल नहीं हो सकीं। प्राचार्य डॉ. गीता जैन और एचओडी डॉ. एएन सिन्हा ने उनको एचएनबी मेडिकल विवि की ओर से 21 हजार का चेक, अवॉर्ड और उपाधि प्रदान की।
लड़कियों में अधिक मोटापा
शोध में सामने आया कि 109 लड़कियां और 90 लड़के तनावग्रस्त मिले। 48 लड़कियां और 39 लड़के ओवरवेट पाए गए। शोध में 53.1 फीसदी लड़के थे। जबकि, 40.4 फीसदी 17 से 19 साल की उम्र के थे। 56.6 फीसदी 20 से 22 की उम्र वाले और 3.1 फीसदी 23 से 25 साल के थे।
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