देवप्रयाग में नेपाल के छात्रों को शास्त्रों में किया जा रहा दक्ष
नेपाल के 28 छात्र इन दिनों देवप्रयाग में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत भाषा और शास्त्रों का अध्ययन कर रहे हैं। यह पहल नेपाल-भारत के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए की गई है।...

नेपाल के छात्र इन दिनों देवप्रयाग में दक्ष किये जा रहे हैं। विभिन्न गुरुकुलों से आये 28 छात्रों को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में संस्कृत में बातचीत करना और शास्त्रों का गहन अध्ययन कराया जा रहा है। यह पहल नेपाल-भारत के संस्कृत और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती देने का एक हिस्सा है। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने नेपाल और भारत के संस्कृत-सांस्कृतिक संबंधों को दृढ़ करने का बीड़ा उठाया है। गतवर्ष नेपाल के काठमांडू में आयोजित एक कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेडी ने इसकी घोषणा कर इस कार्य में आगे आने के लिए नेपाल की संस्था का आह्वान किया था। इस कार्य के श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर को चुना गया है। यहां आठ दिवसीय कार्यशाला में नेपाल के संस्कृत के छात्रों के अध्यापन की ठोस दिनचर्या बनाई गई है। सुबह पांच से रात्रि दस बजे तक बच्चों को योग, ज्योतिष, वेद, भगवद्गीता आदि का अध्यापन कराया जा रहा है। उन्हें संस्कृत में बातचीत करने में भी दक्ष भी बनाया जा रहा है। संस्कृत गीत और सुभाषित भी सिखाए जा रहे हैं। 11 से 20 वर्ष के इन छात्रों को श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के योग विज्ञान विभाग के एमएससी तथा विभिन्न विषयों के आचार्य के छात्र ही पढ़ाते हैं। वेद प्राध्यापक अंकुर वत्स ,न्याय अध्यापक डॉ जनार्दन सुवेदी तथा योग अध्यापक डॉ धनेश पीवी इन छात्रों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। नेपाल से छात्रों के साथ दो अध्यापक तुलसीरा और टेकेंद्र काफ्ले आए हैं। उन्होंने बताया कि इस शैक्षिक आदान-प्रदान से भारत और नेपाल एक दूसरे के अत्यंत निकट आ पाएंगे। उन्होंने केंद्र संस्कृत विश्वविद्यालय की इस पहल का स्वागत करते हुए श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में मिल रहे आतिथ्य की सराहना की। नेपाल के छात्र आशुतोष और मनीष ने बताया कि भारत के देवप्रयाग और अपने नेपाल क्षेत्र में उन्होंने बहुत अंतर नहीं लगा। यहां के विद्यार्थी उनके लिए नये हैं, परंतु सभी हमें अपने छोटे भाइयों जैसा प्रेम दे रहे हैं। कृतेश और सुमन ने बताया कि वे यहां से बहुत कुछ सीखकर अपने देश लौटेंगे। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेडी़ का इस संबंध में कहना है कि नेपाल और भारत की संस्कृति,परंपराएं और भाषाएं समान रही हैं। हमें इन संबंधों को और गहरा करना होगा। इससे दोनों देशों की आने वाली पीढ़ी भी एक-दूसरे को समझ सकेंगी और आपस में उनकी निकटता बढ़ेगी। यही विश्वविद्यालय की पहल का उद्देश्य है। निदेशक प्रो पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा यह पहल भारत-नेपाल के धर्म, अध्यात्म, भाषा और संस्कृति के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।
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