उत्तराखंड में UP, दिल्ली-एनसीआर से सफर करना अब और महंगा, जानिए कितने फीसदी बढ़ा ग्रीन सेस
परिवहन विभाग के सूत्रों के अनुसार तिपहिया वाहनों की अंतराज्यीय स्तर पर आवागमन नहीं के बराबर होता है। इसलिए ग्रीन सेस की दायरे से इन्हें हटा दिया गया है।

उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले यूपी, दिल्ली-एनसीआर सहित अन्य राज्यों के गाड़ियों के लिए ग्रीन सेस को बढ़ा दिया गया है। खासकर भारी वाहनों के लिए ग्रीन सेस आठ गुना से ज्यादा बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया है। जबकि, छोटी गाड़ियों, कारों पर भी ग्रीन सेस की दरों को बढ़ाया गया है। तिपहिया वाहनों को ग्रीन सेस के दायरे से बाहर कर दिया गया है।
कैबिनेट बैठक में परिवहन विभाग के सेस वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। परिवहन विभाग के सूत्रों के अनुसार तिपहिया वाहनों की अंतराज्यीय स्तर पर आवागमन नहीं के बराबर होता है। इसलिए ग्रीन सेस की दायरे से इन्हें हटा दिया गया है।
डेढ़ साल से केवल बातें हो रही, सेस की वसूली नहीं
यूपी, दिल्ली-एनसीआर सहित अन्य राज्यों के वाहनों से ग्रीन सेस वसूली की बातें पिछले काफी समय से चल रहें हैं। लकिन इसे लागू नहीं किया जा सका है। पिछले साल जनवरी 2024 में सरकार ने इसकी दरें लागू कर दी थी। लेकिन सेस वसूलने का सिस्टम तैयार न कर पाने की वजह से अब तक यह धरातल पर लागू नहीं हो पाया।
पूर्व में वर्ष 2013-14 के दौरान तत्कालीन परिवहन मंत्री सुरेंद्र राकेश ने चेक पोस्ट स्थापित करा कर हिमाचल की तर्ज पर एंट्री टैक्स की वसूली शुरू करा दी थी। लेकिन बाद में यह प्रक्रिया फिर ठप हो गई। परिवहन सचिव बृजेश कुमार संत ने बताया कि ग्रीन सेस वसूली के सिस्टम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार एक निजी कंपनी को सेस वसूली की जिम्मेदारी देने का निर्णय किया गया है।
भारी वाहन
अब तक भारी वाहन की श्रेणी के लिए एकमुश्त 80 रुपये शुल्क तय था। अब इसे अलग अलग श्रेणियों में बांट दिया गया है। छह से सात धुरे वाले ट्रक को 700 रुपये और सामान्य ट्रक-बस को ग्रीन सेस के रूप में 400 रुपये देने होंगे।
हल्के चौपहिया वाहन, छोटी कारें आदि
अब तक इन पर राज्य में एंट्री पर 40 रुपये शुल्क लागू था। इसे बढ़ाकर 120 रुपये कर दिया गया है।
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