Dausa by election Congress played Dalit card by giving ticket to Deen Dayal Bairwa किरोड़ी लाल मीणा के गढ़ में कांग्रेस ने खेला दलित कार्ड, बैरवा को टिकट देकर साधे समीकरण, Rajasthan-elections Hindi News - Hindustan

किरोड़ी लाल मीणा के गढ़ में कांग्रेस ने खेला दलित कार्ड, बैरवा को टिकट देकर साधे समीकरण

  • सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने दलित कार्ड खेलकर किरोड़ी लाल मीणा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। दौसा में दलितों की बड़ी आबादी है।

Prem Narayan Meena लाइव हिन्दुस्तानThu, 24 Oct 2024 08:42 AM
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किरोड़ी लाल मीणा के गढ़ में कांग्रेस ने खेला दलित कार्ड, बैरवा को टिकट देकर साधे समीकरण

राजस्थान में दौसा सीट पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस ने दलित कार्ड खेला है। यहां से दीन दयाल बैरवा को टिकट दिया है। जबकि बीजेपी ने कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को टिकट दिया है। खास बात यह है दोनों ही दलों ने आरक्षित वर्ग के प्रत्याशियों पर दांव खेला है। जबकि दौसा सीट सामान्य वर्ग की है। कांग्रेस के मुरारी लाल मीणा के सांसद बन जाने की वजह से यहां उप चुनाव हो रहे है। सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने दलित कार्ड खेलकर किरोड़ी लाल मीणा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एससी वर्ग को टिकट देने से कांग्रेस ने दलित हितैषी होने का संकेत दिया है। बता दें दौसा में खटीक और बैरवा बड़ी आबादी में है। कालांतर में बसपा कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाती रही है। हालांकि, विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस ने बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाते हुए शानदार जीत हासिल की थी। इस बार कांग्रेस ने दलित व्यक्ति को टिकट देकर बीजेपी के सियासी समीकरण बिगाड़ दिए है।

सियासी जानाकारों का कहना है कि मीणा समुदाय के वोट कांग्रेस-बीजेपी को बराबर मिलने के स्थिति में सामान्य वर्ग और एससी के वोट हार-जीत तय करेंगे। जानकारों का कहना है कि दौसा की राजनीति में सिर्फ जातिवाद की राजनीति की हवा घुल गई है। यहां पार्टियों का कोई वर्चस्व नहीं है। पूर्वी राजस्थान का दौसा विधानसभा गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है। ऐसे में यहां जातिगत राजनीति होती है, इसीलिए राजनीतिक पार्टियां भी जातिगत आधार पर ही टिकट देती हैं।

दौसा बीजेपी के कद्दावर नेता किरोड़ी लाल मीणा का गढ़ माना जाता है। किरोड़ी लाल के धरना-प्रदर्शन का मुख्य केंद्र दौसा ही रहा है। ऐसे में दौसा का राजनीति में किरोड़ी लाल का अपना वोटर है। सियासी जानकारों का कहना है कि इस सीट पर बीजेपी की हार-जीत से कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन यदि किरोड़ीलाल के भाई जगमोहन चुनाव हार जाते है तो किरोड़ी लाल का पार्टी में असर कम हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि दौसा सांसद मुरारी लाल मीणा ने चर्चित चेहरे को टिकट नहीं देकर खुद का हित साधा है। दीन दयाल बैरवा हैविवेट चैंपियन नहीं है। साधारण से कार्यकर्ता है। ऐसे में मुरारी लाल ने मीणा समुदाय के किसी व्यक्ति के टिकट नहीं दिलवाकर अपनी राजनीतिक जमीन को बचाए रखा है।

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