Ganga Dussehra puja vidhi: गंगा दशहरा पर होती है शिवजी की खास पूजा, इस बार गंगा दशहरा पर हस्त सिद्धि योग
दरअसल भगीरथ ने इस दिन गंगा को अपनी तपस्या से कमंडल से छोड़ा और शिवजी ने अपनी जटाओं में गंगा को स्थान दिया। इसलिए इस दिन पर मां गंगा और भगवान शिव की पूजा खासतौर पर करनी चाहिए।

गंगा जी शिवजी की जटाओं से निकलती हैं।दरअसल भगीरथ ने इस दिन गंगा को अपनी तपस्या से कमंडल से छोड़ा और शिवजी ने अपनी जटाओं में गंगा को स्थान दिया। इसलिए इस दिन पर मां गंगा और भगवान शिव की पूजा खासतौर पर करनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा से जाने-अनजाने में हुए कष्टों से छुटकारा मिलता है। शिवजी की पूजा के लिए इस दिन भगवान शंकर का गंगाजल से स्नान कराना चाहिए। भोलेनाथ को गंगा जल और दूध से स्नान कराकर भगवान को बेलपत्र, फूल और काले तिल अर्पित करने चाहिए। भगवान को फल अर्पित करने के साथ गंगा मां और मां गौरी के लिए वस्त्र और सुहाग का सामान अर्पित करना चाहिए। पूजा के बाद भगवान शिव के आसपास 11 घी के दिए जलाने चाहिए। और भगवान शिव से अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
गंगा का अवतरण हस्त नक्षत्र में हुआ था। इस साल भी गंगा दशहरा पर सर्वार्थ सिद्धि योग और हस्त नक्षत्र पड़ रहा है। पांच जून गुरुवार को सुबह 3.35 बजे हस्त नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा। दशमी तिथि चार जून की देर रात्रि 11.54 बजे से पांच जून की देर रात्रि 2:16 बजे तक रहेगी। इसलिए उदया तिथि में गंगा दशहरा मनाया जाएगा। श्रद्धालु पांच जून को पूरे दिन स्नान-दान कर पुण्य प्राप्त कर सकेंगे। इसी दिन स्वर्ग से मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण माना गया है। इसलिए भी इस स्नान पर्व का विशेष महत्व माना गया है।
किन चीजों का करें दान
इसके साथ ही मौसमी फल में आम, मिठाई, पंखा, सतुआ, कपड़े, जूते-चप्पल, धन, अनाज का भी दान होगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा स्नान के साथ दान-पुण्य करने से जीवन में दस प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलेगी और ग्रह दोष शांत भी होते हैं।
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