जून में 5 दिन हैं बहुत स्पेशल, कई सालों बाद बना संयोग, इन शुभ मुहूर्तों में बनेंगे काम
ज्येष्ठ माह में 5 दिन में 5 बड़े पर्व और शुभ योग खरीदारी और नए कार्यों के लिए सुनहरा अवसर है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह संयोग कई वर्षों में एक बार आता है, जब इतने कम दिनों में इतने शुभ मुहूर्त और पर्व एक साथ पड़ें।

हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्तमान समय में ज्येष्ठ माह चल रहा है। यह धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत शुभकारी है। इस बार ज्येष्ठ के महीने में मात्र 5 दिनों के भीतर 5 बड़े पर्व और शुभ योग एक साथ पड़ रहे हैं, जो इसे और भी खास बना देते हैं। यह समय खरीदारी, नए कार्यों की शुरुआत, भूमि-गृह प्रवेश और विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह संयोग कई वर्षों में एक बार आता है, जब इतने कम दिनों में इतने शुभ मुहूर्त और पर्व एक साथ पड़ें। जो लोग किसी शुभ कार्य की प्रतीक्षा कर रहे थे, उनके लिए यह समय बिल्कुल उपयुक्त है। आचार्य पप्पु पांडेय कहते हैं कि इन दिनों में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करें। धार्मिक कार्यों, दान-पुण्य और पूजा में भाग लें। संपत्ति और वाहन की खरीददारी इन शुभ योगों में करना फलदायी रहेगा। पंडित सूर्यमणि पांडेय ने बताया कि ज्येष्ठ मास का यह संयोग न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से फलदायी है, बल्कि सांसारिक कार्यों के लिए भी यह अद्भुत अवसर है। इन 5 दिनों में आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
1. गंगा दशहरा 5 जून : गंगा के पृथ्वी पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाने वाला यह पर्व पुण्य और मोक्षदायक माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान व दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार प्रभु श्रीराम के काल से यह परिपाटी चली आ रही है। इस बार गंगा दशहरा पांच जून को है।
2. निर्जला एकादशी 6 जून : सभी एकादशियों में श्रेष्ठ मानी जाने वाली यह तिथि उपवास, तप और दान का विशेष दिन है। इस दिन उपवास करने से साल भर की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है।
3. सुपार्श्वनाथ जयंती 7 जून : जैन धर्म के 7वें तीर्थंकर भगवान सुपार्श्वनाथ की जन्म जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को आता है। यह जयंती 7 जून को पड़ रही है। भगवान सुपार्श्वनाथ तप, संयम, अहिंसा और करुणा के प्रतीक माने जाते हैं।
4.ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी आठ जून को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन रविवार होने की वजह से इसे रवि प्रदोष व्रत के तौर पर मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना होती है। इसके साथ ही रवि प्रदोष व्रत पितृ शांति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
5. ज्येष्ठ पूर्णिमा व वट सावित्री व्रत 10 जून : यह दिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। वट वृक्ष की पूजा करके महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। इन दिनों बन रहे हैं, विशेष शुभ योग: सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, द्विपुष्कर योग जैसे कई अद्भुत योग इन तिथियों पर बन रहे हैं, जो निवेश, खरीदारी, संपत्ति लेन-देन, वाहन खरीद, और व्यापार आरंभ के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं।