Nagchandreshwar temple doors opened Today on Nag Panchami Mahakaleshwar Temple आज नाग पंचमी पर खुल गए नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट, सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है मंदिर, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़ - Hindustan
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आज नाग पंचमी पर खुल गए नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट, सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है मंदिर

Nag Panchami देश भर में आज नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। मध्यप्रदेश के उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर में नागचंद्रेश्वर मंदिर में नाग पंचमी का विशेष महत्व है, क्योंकि हर साल इस मंदिर के पट सिर्फ एक दिन यानी नाग पंचमी के दिन खुलते हैं।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तानFri, 9 Aug 2024 10:15 PM
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आज नाग पंचमी पर खुल गए नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट, सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है मंदिर

देश भर में आज नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। मध्यप्रदेश के उज्जैन के  महाकालेश्वर मंदिर परिसर में नागचंद्रेश्वर मंदिर में नाग पंचमी का विशेष महत्व है, क्योंकि हर साल इस मंदिर के पट सिर्फ एक दिन यानी नाग पंचमी के दिन खुलते हैं। इसलिए इस साल नाग पंचमी से पहले 8 अगस्त की देर रात से ही बड़ी संख्या में नाग देवता की पूजा के लिए दर्शनार्थियों की लाइनें लगी हुईं थी। मान्यता है कि नाग पंचमी को नाग देवता की पूजा करने से सर्पदंश का भय नहीं रहता और जीवन के सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। इस दिन वासुकि, मणिभद्र,कालिका, धनंजय, तक्षक, कर्कोटक आदि सभी की पूजा किए जाने की परंपरा है।

देश भर में अपनी तरह के अनूठे इस मंदिर के पट साल में एक बार सिर्फ नागपंचमी पर खुलते हैं। ऐसे में हर साल यहां नागपंचमी के एक दिन पहले आधी रात से ही मंदिर में दर्शन करने वाले लोगों की कतारें लग जाती हैं। आपको बता दें कि विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन बहुत खास माने जाते हैं। यहां महाकाल मंदिर परिसर में भगवान नागचंद्रेश्वर का  बहुत पुराना मंदिर है। इस मंदिर में नाग पर विराजे हुए शिव-पार्वती की अति दुर्लभ मूर्ति है। मान्यता है कि मंदिर में नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा के दर्शन और पूजन से शिव पार्वती दोनों ही खुश हो जाते हैं साथ ही सर्प भय से भी मुक्ति मिलती है। 

इस बार भी मंदिर के पट पूरे विधिविधान से पूजा अर्चना के साथ गुरुवार और शुक्रवार की दरमियानी रात खोले गए। इस दौरान मंदिर के सभी पुजारी मौजूद रहे। पट खुलने के बाद नागचंद्रेश्वर की विधिविधान से पूजा और अभिषेक किया गया। इस मंदिर में आज दिन भर लोगों को नागचंद्रेश्वर के दर्शन होंगे। इस दिन नागों की पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

साल में एक बार खुलता है यह मंदिर क्या है वजह-

बताया जाता है कि पूरे विश्व में यह एकमात्र मंदिर ऐसा है जिसमें भगवान विष्णु के स्थान पर भगवान शिव शंकर विराजमान है और उनके साथ गणेश और महा पार्वती सर्प सैया पर विराजित है।

नागचंद्रेश्वर की यह प्रतिमा 11वीं शताब्दी की बताई जाती है। और ऐसी मान्यता है कि सांपों के राजा तक्षक इस मंदिर में स्वयं रहते हैं। पुरानी कथाओं को माने तो पंडित बताते हैं कि राजा तक्षक ने भगवान भोलेनाथ की कठोर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था।

सर्पदोष से मिलती है मुक्ति

पंडित बताते हैं कि राजा तक्षक को अमरत्व का वरदान मिलने के बाद वह स्वयं बाबा महाकाल के पास रहने लग गए थे उनकी तपस्या में किसी प्रकार का विध्न ना पड़े इसके लिए उन्हें एकांतवास में रहने का संकल्प लिया। और महाकाल मंदिर के तीसरे तल पर जाकर रहने लगे बताया जाता है। इसीलिए यह मंदिर साल भर में 24 घंटे के लिए खोला जाता है। पंडितों के अनुसार नाग पँचमी पर जो लोग सर्पदोष से पीड़ित होते है वह नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर सर्प दोष से मुक्त हो जाते है।

प्रशासन ने की यह व्यवस्था

मंदिर प्रशासक मृणाल मीना के अनुसार नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए मंदिर प्रबंध समिति ने शीघ्र दर्शन टिकट की व्यवस्था की है।ओर श्रद्धालु घर बैठे भी ऑनलाइन माध्यम से शीघ्र दर्शन यानी 250 रुपए का टिकट बुक करवा सकते हैं। इसके लिए उन्हें महाकाल मंदिर की वेबसाइट पर क्लिक करना होगा। शीघ्र दर्शन टिकट लेने वाले श्रद्धालुओं को हरसिद्धि मंदिर के सामने से बैरिकेड्स में प्रवेश मिलेगा।

नागचंद्रेश्वर दर्शन व्यवस्था

सामान्य श्रद्धालु प्रवेश भील समाज धर्मशाला से तीन लाइन में गंगा गार्डन, चारधाम मंदिर पार्किंग, जिगजैग, हरसिद्धि चौराहा से रुद्रसागर की दीवार के पास से विक्रम टीला होकर बड़ा गणेश मंदिर के सामने से गेट नंबर 4 और 5 के रास्ते विश्रामधाम, एयरोब्रिज होते हुए दर्शन होंगे।

वाहन पार्किंग

नागचंद्रेश्वर और बाबा महाकाल के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अपने वाहन हरिफाटक पुल के पास मेघदूत पार्किंग, हरिफाटक पुल के नीचे हाट बाजार पार्किंग, कर्कराज महादेव मंदिर के पास, कार्तिक मेला मैदान, त्रिवेणी संग्रहालय के सामने पार्क करके मंदिर पर पहुंचना होगा इसके लिए प्रशासन ने बसों की व्यवस्था भी की है।

प्रस्तुति- विजेन्द्र यादव

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