29 या 30 अप्रैल परशुराम जयन्ती कब, जानें पूजन-विधि व मुहूर्त
Parshuram Jayanti 2025: स्कंद पुराण व भविष्य पुराण के अनुसार, भगवान परशुराम का जन्म त्रेतायुग में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन प्रदोषकाल समय में हुआ था। ऐसे में असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि आखिर परशुराम जयंती कल मनेगी या परसों।

Parshuram Jayanti 2025: भगवान परशुराम विष्णु भगवान के छठवें अवतार हैं। परशुराम जयंती भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। स्कंद पुराण व भविष्य पुराण के अनुसार, भगवान परशुराम का जन्म त्रेतायुग में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन प्रदोषकाल समय में हुआ था। भगवान परशुराम का जन्म माता रेणुका के गर्भ से हुआ था, जो आज भी अजर अमर माने जाते हैं। तृतीया तिथि अप्रैल 29, 2025 को शाम 5:31 बजे से लेकर अप्रैल 30, 2025 को दोपहर 2:12 बजे तक रहेगी। ऐसे में असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि आखिर परशुराम जयंती कल मनेगी या परसों। आइए जानते हैं परशुराम जयंती की सही डेट, पूजन का शुभ मुहूर्त व विधि-
29 या 30 अप्रैल परशुराम जयन्ती कब: पुराणों के अनुसार, परशुराम जी का जन्म प्रदोष काल के समय हुआ था। इसलिए जिस दिन प्रदोष काल के दौरान तृतीया तिथि होती है, उस दिन ही परशुराम जयन्ती मनाई जाती है। यह पर्व सर्वार्थ सिद्धि योग तथा शोभन योग में 29 अप्रैल को प्रदोषकाल में मनाया जाएगा।
मुहूर्त: भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा अध्यक्ष केसी पाण्डेय के मुताबिक, भगवान परशुराम जी के पूजन के लिए 29 अप्रैल मंगलवार को शाम 5 बजकर 32 से 6 बजकर 43 तक का समय श्रेष्ठ है। ये दिन जप, तप, दान व खरीददारी के लिए विशेष शुभ व उपयुक्त है। इसदिन गंगाजल में स्नान करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
क्यों लिया भगवान परशुराम का अवतार: भगवान विष्णु ने पापी, विनाशकारी तथा अधार्मिक राजाओं का विनाश कर पृथ्वी का भार हरने हेतु परशुराम जी के रूप में छठवां अवतार धारण किया था। कल्कि पुराण में वर्णित है कि, परशुराम भगवान विष्णु के 10वें एवं अन्तिम अवतार श्री कल्कि को शस्त्र विद्या प्रदान करने वाले गुरु होंगे। यह प्रथम अवसर नहीं है कि भगवान विष्णु के छठवें अवतार किन्हीं अन्य अवतार से भेंट करेंगे। रामायण के अनुसार, देवी सीता एवं भगवान राम के विवाह समारोह में परशुराम जी का आगमन हुआ था तथा भगवान विष्णु के 7वें अवतार श्री राम जी से उनकी भेंट हुयी थी।
पूजन-विधि
1- स्नान कर मंदिर की सफाई करें
2- गणेश जी को प्रणाम करें
3- विष्णु जी का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
4- अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें
5- मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
6- श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें
7- पूरी श्रद्धा के साथ विष्णु जी की आरती करें
8- तुलसी दल सहित भोग लगाएं
9- अंत में क्षमा प्रार्थना करें
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।